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बौखलाया इस्राईल, हमास के ज़ियालों का आतंकी ज़ायोनी सेना को मुंहतोड़ जवाब : इस्राईली राष्ट्रपति का सफ़ेद झूठ पकड़ा गया : रिपोर्ट

इस समय पूरी दुनिया ग़ाज़ा पर इस्राईल द्वारा किए जा रहे पाश्विक हमलों का साक्षी है। लेकिन साथ-साथ वह इस बात को लेकर हैरान है कि कैसे एक प्रतिरोध आंदोलन, एक ऐसी सेना का मुक़ाबला कर रहा है कि जिसका अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी समेत कई बड़े-बड़े देश दे रहे हैं।

फ़िलिस्तीन के इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास द्वारा आतंकी इस्राईल के पाश्विक हमलों के जवाब में अलअक़्सा ऑपेरशन के बाद आरंभ हुए युद्ध को 17 दिन बीत रहे हैं। इस दौरान जहां हमास ने इस्राईल की आतंकी सेना और ख़ुफ़िया एजेंसियों को शर्मनाक हार दी है तो वहीं बौखलाया इस्राईल ग़ाज़ा में आम लोगों पर बमों को बरसा रहा है। इस्राईल के पाश्विक हमलों में अब तक लगभग पांच हज़ार फ़िलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं। शहीद होने वालों में 60 प्रतिशत संख्या बच्चों और महिलाओं की है। इस बीच ज़ायोनी शासन के एक सैन्य कमांडर ने अपने बयान में कहा है कि हमास का मुक़ाबला करने के लिए आईडीएफ बिना रुके ग़ाज़ा पट्टी पर हमले कर रहा है। इन हमलों में उनके अनुसार, इस्राईली सेना का लक्ष्य हमास के ठिकानों को निशाना बनाना है।

ज़ायोनी सैन्य कमांडर के मुताबिक़, आईडीएफ का फिलहाल पूरा फोकस हमास के इन्फ्रास्ट्रक्चर को तहस नहस करने पर है। लेकिन यह दुनिया देख रही है कि आतंकी इस्राईली सेना अपने हमलों में आम लोगों, विशेषकर बच्चों और महिलाओं को निशाना बना रही है। इस तरह वह इस्लामी प्रतिरोध के जियालों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। वहीं आतंकी ज़ायोनी सेना के मुख्य प्रवक्ता डेनियल हगारी ने सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि सात अक्टूबर को हमास द्वारा किए गए हमले में कई लोगों को बंधक बनाया है। जिसमें फिलहाल 222 लोगों को बंधक बनाए जाने की पुष्टि हो पाई है।

दूसरी तरफ हमास का कहना है कि उसके जियालों ने इधर कुछ दिनों के भीतर आतंकी इस्राईली सेना के भारी संख्या में हथियारों को नष्ट कर दिया है और उन्हें पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया है। हमास ने अपने बयान में कहा कि प्रतिरोधक बल के जियालों ने घुसपैठ करने वाली आतंकी इस्राईली सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया है। दो बुल्डोज़र और एक टैंक समेत कई सैन्य वाहनों को को नष्ट कर दिया और बेस पर सुरक्षित लौटने से पहले ही सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। हमास की सैन्य शाख़ा क़स्साम ब्रिगेड ने भी एक बयान जारी करके कहा है कि उनके जियालों ने दक्षिणी ग़ाज़ा के खान यूनिस में घुसपैठ करने की कोशिश करने वाले आतंकी इस्राईली सैनिकों को खदेड़ भगाया है। इस दौरान कई इस्राईली सैनिक मारे गए हैं और कई घायल भी हुए हैं। वहीं प्रतिरोध के जियालों की जवाबी कार्यवाही होते ही युद्ध के मैदान से भागते हुए कई इस्राईली सैनिकों को देखा गया है।

क़स्साम ब्रिगेड ने कहा है कि आतंकी इस्राईली सैनिक युद्ध को और आक्रामक करने के लिए साज़िशें रच रहे हैं और हमारा काम उन्हें रोकना और उनका मुक़ाबला करना है। बता दें कि सात अक्टूबर से शुरू हुए इस युद्ध के बाद अब तक ग़ाज़ा में 30 हज़ार से ज़्यादा इमारतें तबाह हो गई हैं। बड़ी संख्या में अस्पतालों, स्कूलों, मस्जिदों और चर्च पर आतंकी इस्राईल ने बमबारी की है। ग़ाज़ा में अब तक मरने वालों की संख्या लगभग पांच हज़ार बताई जा रही है। इनमें लगभग दो हज़ार बच्चे शामिल हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ गाजा में चार लाख से अधिक लोग घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।

हमास को लेकर इस्राईली राष्ट्रपति का सफ़ेद झूठ, बोलने से पहले ही पकड़ा गया

ज़ायोनी राष्ट्रपति इसहाक़ हर्ज़ोग ने दावा किया है कि हमास, रासायनिक हथियार विकसित करने का इरादा रखता है।

हालांकि हर्ज़ोग ने अपने इस दावे को साबित करने के लिए जो दस्तावेज़, सबूत के तौर पर पेश किया है, वह वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के एक हमलावर रमज़ी यूसुफ़ की जीवनी है और इसमें रासायनिक हथियार विकसित करने के बारे में कोई जानकारी नहीं है।

स्काई न्यूज़ के साथ एक साक्षात्कार में इस्राईली राष्ट्रपति हर्ज़ोग ने सबूत के तौर पर जो पत्रिका कैमरे पर दिखाई, वह अल-क़ायदा की एक आधिकारिक पत्रिका थी।

इस पत्रिका के पहले पन्ने पर ही साफ़ शब्दों में अल-क़ायदा लिखा हुआ है, लेकिन हर्ज़ोग ने दावा किया कि यह हमास से संबंधित है और इसमें रासायनिक हथियार बनाने का फॉर्मूला मौजूद है।

ज़ायोनी राष्ट्रपति ने अपने झूठे दावे को सही ठहराने का प्रयास करते हुए कहा कि यह दस्तावेज़, 7 अक्तूबर को अवैध अधिकृत इलाक़े में ऑप्रेशन करने वाले हमास के एक लड़ाके के पास से उन्हें मिला है।

उन्होंने कहाः यह कितनी चौंकाने वाली स्थिति है, जहां हम उन निर्देशों को देख रहे हैं, जिनमें उल्लेख किया गया है कि रासायनिक हथियार कैसे बनाए जाएं।

हालांकि सच्चाई इंटरनेट पर मौजूद है, 30 पेज की बुकलेट में कहीं भी रासायनिक हथियारों के बनाने का ज़िक्र नहीं है। उसमें अल-क़ायदा आतंकवादी गुट के लिए काम करने वाले कुवैती नागरिक यूसुफ़ की जीवनी है, विशेष रूप से 9/11 की घटना में उसकी भूमिका का।