सेहत

बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन में ईरान दुनिया के तीन अग्रणी देशों में शामिल : रिपोर्ट

पार्सटुडे- चिकित्सा के क्षेत्र में ज़बरदस्त प्रगति की वजह से ईरान बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन के क्षेत्र में तीन अग्रणी देशों में शामिल हो गया है।

हालिया वर्षों के दौरान में, इस्लामी गणतंत्र ईरान स्थानीय लोगों की शक्ति पर भरोसा करके चिकित्सा के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति करने में सक्षम रहा है। इन क्षेत्रों में बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन भी शामिल है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन ल्यूकेमिया या मायलोइड्सप्लास्टिक सिंड्रोम, अन्य हेमटोलॉजिकल बीमारियों जैसे लिम्फोमा, मल्टीपल मायलोमा और अप्लास्टिक एनीमिया जैसी बीमारियों वाले लोगों में किया गया है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन या बीएमटी या स्टेम सेल ट्रांसप्लांट एक जटिल मेडिकल प्रक्रिया है जिसमें क्षतिग्रस्त या नष्ट हुई स्टेम सेल को स्वस्थ बोन मैरो सेल से बदला जाता है। बोन मैरो या अस्थि मज्जा हड्डियों के बीच पाया जाने वाला एक पदार्थ होता है जिसमें स्टेम सेल होते है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन की आवश्यकता तब पड़ती है जब बोन मैरो ठीक तरह से काम करना बंद कर देता है या पर्याप्त मात्रा में स्वस्थ रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नही कर पाता है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन में यह जरुरी है कि रोगी का बोन मैरो डोनर के बोन मैरो से मेल खाता हो। इसके साथ ही ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन यानी एचएलए का मैच होना भी आवश्यक है।

हालिया वर्षों में, ईरानी विशेषज्ञ डॉक्टर बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन के क्षेत्र में कुछ कहने और इस क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष तीन देशों में शामिल होने में सक्षम हुए हैं, इसलिए हाल ही में एक ईरान की नालेज बेस्ड कंपनियों ने विशेष रूप से बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन के रोगियों के लिए एक एलोजेनिक सेल थेरेपी दवा “डेस्ट्रोसेल” विकसित की है, जो इस क्षेत्र में रोगियों के लिए बहुत मददगार है।

डेक्सट्रोज़ दवा जीवीएचडी की जटिलताओं को काफी कम कर सकती है, जीवीएचडी (GVHD) बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन से उत्पन्न होने वाली बीमारियों में से एक है, जिसमें रोगी के लिए कई ख़तरे होते हैं।

इस संबंध में, ईरान के जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और चिकित्सा प्रौद्योगिकी स्टाफ के सचिव मुस्तफ़ा क़ानेई ने 29 अक्टूबर, 2024 को डेस्ट्रुसेल दवा के अनावरण के मौक़े पर कहा था कि: ईरान बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन में क्षेत्र के अग्रणी देशों में से एक है, जिससे ईरान के बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन के आंकड़े क्षेत्र के अन्य देशों से बहुत आगे हैं।

ईरान में बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन का इतिहास तीन दशकों से अधिक पुराना है और जैसा कि ईरानी स्वास्थ्य, उपचार और चिकित्सा तथा शिक्षामंत्री के वरिष्ठ सलाहकार अली जाफ़रियान ने 3 फरवरी, 2025 को कहा था, ईरान में अब तक 17 हज़ार बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन किए जा चुके हैं।

बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन के प्रकार –

बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन दो प्रकार का होता है-

ऑटोलोगस ट्रांसप्लांट –

बोन मैरो के ऑटोलोगस ट्रांसप्लांट में व्यक्ति के अपने शरीर से ही स्वस्थ बची मूल कोशिकाओं या बोन मैरो लेकर उनका ट्रांसप्लांट किया जाता है। इस तरह के ट्रांसप्लांट का प्रयोग ब्लड कैंसर को ठीक करने के लिए किया जाता है।

एलोजेनिक ट्रांसप्लांट –

बोन मैरो के एलोजेनिक ट्रांसप्लांट में किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर से स्वस्थ मूल कोशिकाओं या बोन मैरो को लेकर जरुरतमंद व्यक्ति में ट्रांसप्लांट किया जाता है। एलोजेनिक ट्रांसप्लांट का प्रयोग थेलेसिमिया, एप्लास्टिक एनीमिया, हाई रिस्क एएमएल जैसी बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है।

बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन से इन बीमारियों का इलाज किया जाता है-

ल्यूकेमिया – ल्यूकेमिया एक तरह का कैंसर है जो खून और बोन मैरो में होता है। ल्यूकेमिया के इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन की मदद ली जाती है।

लिंफोमा – लिंफोमा संक्रमण से लड़ने वाली कोशिकाओं का कैंसर होता है। लिंफोमा के लिए इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन की मदद ली जाती है।

एक्यूट लिम्फोटिक ल्यूकेमिया – यह बच्चों में होने वाला सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर है। यह हड्डी और बोन मैरो में होता है। इस कैंसर के लिए इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन की मदद ली जाती है।

अप्लास्टिक एनीमिया – अप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें बोन मैरो पर्याप्त मात्रा में रक्त कोशिकाएं नही बना पाता है। इस बीमारी के इलाज के लिए बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन किया जाता है।

प्राइमरी इम्यूनो डेफिशियेंसी, हेमोग्लोबिनोपेथीज़, मायलोडिसप्लास्टिक सिंड्रोम, पोयम्स सिंड्रोम और अमायलोडोसिस जैसी बीमारियों के लिए इलाज के लिए भी बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन की मदद ली जाती है।

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