नई दिल्ली: अजमेर ब्लास्ट केस 2007 में दोषी करार दिए गए भावेश पटेल जिन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, जमानत मिलने के बाद अपने घर भरूच लौटे। यहां भाजपा और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं सहित काफी लोगों ने एक हीरो की तरह उनका स्वागत किया। उन्हें माला पहनाई गई। कंधों पर उठाकर ले जाया गया।
दरअसल, अजमेर बलास्ट केस मामले में भरूच के रहने वाले भावेश पटेल और अजमेर के देवेंद्र गुप्ता को अगस्त 2017 में सजा सुनाई गई थी। पिछले हफ्ते राजस्थान हाई कोर्ट ने दोनों को जमानत दी थी। इनके वकील की ओर से कहा गया कि उनके मुवक्किल को ‘मानवीय संभावनाओं, परिस्थितिजन्य साक्ष्य और अनुमान’ के आधार पर सजा सुनाई गई थी। बता दें कि अजमेर दरगाह ब्लास्ट में तीन लोग मारे गए थे और 15 लोग घायल हो गए थे।
#Gujarat: After being granted bail by Court, 2007 Ajmer blast convict Bhavesh Patel, felicitated in his home town of Bharuch (2.9.18) pic.twitter.com/pwHVAxwWei
— ANI (@ANI) September 5, 2018
जमानत प्रक्रिया पूरी करने जयपुर गए भाई हितेश व अन्य लोगों के साथ रविवार को भरूच वापस लौटने पर रेलवे स्टेशन पर काफी संख्या में लोगों ने भावेश पटेल का स्वागत किया। भगवा कपड़ा पहने हुए और खुद को स्वामी मुक्तानंद बताते हुए भावेश एक जुलूस के साथ दांडियाबाज स्थित स्वामी नारायण मंदिर से हाथीखाना इलाके स्थित अपने घर गए। लोग उन्हें अपने कंधों पर उठाए हुए थे। उनके उपर गुलाब की पंखुडि़यां बरसाई जा रही थी। पटाखे फोड़े जा रहे थे। साथ ही डीजे भी बुलाया गया था।
इस स्वागत जुलूस में भाजपा के भरूच नगर पालिका के अध्यक्ष बीजेपी के सुरबबीन तामकुवाला, काउंसिलर मारुतिसिंह अतोदारीया, वीएचपी के विरल देसाई और स्थानीय आरएसएस के सदस्य भी शामिल थे। भावेश पटेल और देवेंद्र गुप्ता भी आरएसएस के सदस्य रह चुके हैं।
जुलूस के दौरान मौजूद रहने के बारे में पूछने पर तामकुवाला ने कहा कि “मुझे व्हाट्सएप ग्रुप पर एक मैसेज मिला और मैं वहां गया। मैं भावेश पटेल को नहीं जानता और मैं इस विषय पर बात नहीं करना चाहता हूं।” अतोदारिया ने कहा कि, “हाथीखाना क्षेत्र मेरे वार्ड में पड़ता है और मैं बचपन से भावेश को जानता हूं। हमें पता चला कि भावेश अपना रास्ता बदल दिए और जेल में स्वामी बन गए। वे घर लौट रहे थे, इसलिए मैं वहां गया और उन्हें सम्मानित किया।
दक्षिण गुजरात के विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विरल देसाई ने कह कि, “मुझे शनिवार को भावेश के भाई हितेश से फोन आया था। उन्होंने कहा कि जमानत दी गई है और वे रविवार दोपहर भरूच पहुंचेंगे। हमने स्वागत समारोह के लिए तैयारी शुरू की। वे मेरे करीबी दोस्तों में से एक थे और संघ से भी जुड़े हुए थे। भावेश ने मुझे बताया कि जेल में रहने के दौरान उन्होंने कई धार्मिक किताबें पढ़ीं और एक साधु बन गए। उनका नाम भावेश पटेल से स्वामी मुक्तामानंद हो गया। यह सुनकर मुझे खुशी हुई और मैंने उन्हें बधाई दी।