देश

‘बुलडोज़र एक्शन’ पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फ़ैसले पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा….

‘बुलडोज़र एक्शन’ के चलन पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से बुधवार को दिए गए फ़ैसले पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) चीफ़ असदुद्दीन ओवैसी ने प्रतिक्रिया दी है.

हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को राहत देने वाला बताया है.

असदुद्दीन ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर लिखा, “सुप्रीम कोर्ट का ‘बुलडोज़र’ फ़ैसला स्वाग्त योग्य और राहत वाला है.”

उन्होंने कहा कि निर्णय का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बयान नहीं बल्कि लागू करने लायक दिशा निर्देश में है. उम्मीद है कि वो राज्य सरकारों को मुसलमान और अन्य हाशिए के समूहों को दंडित करने से रोकेंगे.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की दो सदस्यीय बेंच ने मामले पर सुनवाई की.

सुप्रीम कोर्ट ने दिए दिशानिर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने दिए दिशानिर्देश

दिशा निर्देश इस तरह से हैं:

किसी भी ढांचे को ढहाने से पहले स्थानीय नगर निगम कानूनों के अनुसार या फिर कम से कम 15 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य है. इनमें से जो भी अवधि ज़्यादा होगी, वो मान्य रहेगी.

नोटिस किसी रजिस्टर्ड अधिकारी के हवाले से ही जारी होना चाहिए और इसे संबंधित संपत्ति पर भी चिपकाना अनिवार्य है. नोटिस में संपत्ति ढहाने के कारण को विस्तार में बताना ज़रूरी होगा.

पुरानी तारीख़ में नोटिस जारी करने से जुड़ी किसी भी शिकायत से बचने के लिए, संपत्ति के मालिक/या कब्ज़ा करने वालों को नोटिस देने के फ़ौरन बाद ही ज़िला कलेक्टर को सूचित करना होगा.

आज से तीन महीने के अंदर हर नगर निगम या स्थानीय निकाय को एक डिजिटल पोर्टल बनाना होगा, जिसपर सर्विस, नोटिस चिपकाने, जवाब और आदेश से जुड़ी हर जानकारी अपलोड की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने दिए दिशानिर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने दिए दिशानिर्देश

अधिकारियों को उस व्यक्ति की शिकायतें भी सुननी होंगी, जिसकी संपत्ति पर कार्रवाई होनी है. इस मुलाक़ात को रिकॉर्ड में दर्ज करना होगा. याची को संपत्ति ढहाने के आदेश के खिलाफ़ कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाने का मौका मिलना चाहिए.

संपत्ति ढहाने का आदेश डिजिटल पोर्टल पर डालना अनिवार्य है.

संपत्ति के मालिक को आदेश पारित होने के 15 दिनों के भीतर अवैध ढांचा खुद हटाने या गिराने का मौका मिलना चाहिए. लेकिन ये उसी स्थिति में होना चाहिए, जब आदेश पर रोक न लगी हो.

संपत्ति ढहाने की पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफ़ी होनी चाहिए और इसकी रिपोर्ट भी तैयार करनी होगी.

ऊपर दिए किसी भी दिशानिर्देश का उल्लंघन अवमानना माना जाएगा. अगर संपत्ति ढहाने की कार्रवाई को इन निर्देशों के अनुरूप नहीं पाया गया, तो अधिकारियों को ज़िम्मेदार माना जाएगा. उन्हें निजी खर्च से संपत्ति दोबारा बनवानी होगी.