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बीमारों को निशाना बनाने की अमरीकी साज़िश को क्या नाम देना चाहिए : संयुक्त राष्ट्र संघ की विशेष रिपोर्टर

संयुक्त राष्ट्र संघ की विशेष रिपोर्टर आलेना दोहान ने ईरान पर लगी पाबंदियों के प्रभावों के बारे में अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी है।

उन्होंने बताया कि अमरीका की पाबंदियों के चलते ईरान में स्पेशल डिज़ीज़ से ग्रसित बीमारों की दवाएं मिलने में बड़ी कठिनाइयां आ गई हैं।

आलेना दोहाना ने जारी वर्ष की दूसरी तिमाही में इस्लामी गणराज्य ईरान के मानवाधिकार आयोग के निमंत्रण पर ईरान आईं ताकि अलग अलग क्षेत्रों में अमरीकी पाबंदियों के प्रभावों की रिपोर्ट तैयार करें। इस रिपोर्ट के कई आयाम हैं जिसका एक अहम आयाम स्वास्थ्य और हेल्थकेयर है।

पिछले वर्षों के दौरान बहुत सारे बीमार जिनमें स्पेशल डिज़ीज़ से ग्रस्त बीमार ख़ास तौर पर शामिल हैं बड़ी कठिनाइयों से गुज़रे है यहां तक कि इनमें से बहुत सों की तो जान भी चली गई। ईरान मेडिकल साइंस के मैदान में काफ़ी तरक़्क़ी कर चुका है लेकिन कुछ दवाएं एसी हैं जिन्हें बनाने के लिए कच्चा माल विदेश से लाने की ज़रूरत पड़ती है और पाबंदियों के कारण यह कच्चा माल देश में नहीं आ पाता। इसी लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की विशेष रिपोर्टर की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाबंदियों की वजह से 2011 से ईरान में मेडिकल सेवाएं नियमित रूप से अंजाम नहीं पा रही हैं।

इसके अलावा पाबंदियों के नतीजे में बीमारों पर भारी आर्थिक दबाव भी पड़ रहा है क्योंकि ईरान के तेल निर्यात में आने वाली भारी गिरावट के कारण हेल्थकेयर डिपार्टमेंट का बजट भी प्रभावित हुआ है जिसके चलते बीमारों की ज़रूरत की दवाएं मुहैया कराने में भी मुश्किल पेश आ रही है। आलेना दोहान की रिपोर्ट में भी इस विषय की तरफ़ संकेत किया गया है।

दूसरी बात यह है कि दोहान ने अपनी रिपोर्ट में साफ़ तौर पर कहा कि दवाएं बनाने वाली कुछ कंपनियों ने कुछ ज़रूरत से ज़्यादा ही अमरीकी पाबंदियों पर अमल किया है जिसका ईरानी बीमारों पर बहुत बुरा असर पड़ा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाबंदियों का क़ानून साफ़ साफ़ कहता है कि दवाएं और मेडिकल इक्विपमेंट मानवता प्रेम के आधार पर पाबंदियों के दायरे से बाहर हैं लेकिन इसके बावजूद यह चीज़ें भी ईरान को नहीं मिल पा रही हैं क्योंकि ईरान की वित्तीय व ट्रेड कंपनियों, व्यापारिक संस्थानओं और जहाज़रानी विभाग सभी पर पाबंदियां लगी हुई हैं। नतीजतन ईरान को यह चीज़ें भी नहीं मिल पा रही हैं।

जब कोरोना वायरस की भयानक महामारी फैल गई तब भी अमरीकी पाबंदियों में कोई कमी नहीं हुई। हद यह हो गई कि यह पाबंदियां मास्क और कोरोना की दवाओं की सप्लाई में भी रुकावट बनी रहीं। यह कहना ग़लत न होगा कि पाबंदियों ने ईरान के बीमारों को अमरीका की राजनैतिक साज़िश की भेंट चढ़ा दिया।

इतना सब कुछ होने के बावजूद अमरीका मानवाधिकार का ढिंढोरा पीटता रहता है और ईरान सहित अनेक देशों पर पाबंदियां लगाने के लिए भी हमेशा तैयार रहता है।