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बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन लक्षद्वीप में जनविरोधी नीतियां लागू कर रहे हैं!

केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में प्रशासन ने स्कूलों में नई यूनिफॉर्म लागू की है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ लक्षद्वीप में सिली हुई स्कूल यूनिफॉर्म के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं. इनमें बेल्ट, टाई, जूते और मोजों को लेकर भी निर्देश हैं.

ये निर्देश लक्षद्वीप प्रशासन के तहत आने वाले स्कूलों के लिए हैं.

स्कूल में पढ़ रहे बच्चों की यूनिफॉर्म को लेकर जारी इन निर्देशों में हिजाब या स्कार्फ़ को लेकर कुछ नहीं कहा गया है.

सर्कुलर में कहा गया है, “इन दिशानिर्देशों के उल्लंघन को गंभीरता से लिया जाएगा.”

नए निर्देशों के तहत पांचवी क्लास तक के छात्रों को हाफ़-पेंट (चैक डिज़ाइन) और आसमानी रंग की आधी बाज़ू की शर्ट पहननी होगी. लड़कियों के लिए स्कर्ट (चैक डिज़ाइन) और आधी बाज़ू की आसमानी रंग की शर्ट का प्रावधान किया गया है.

वहीं छठी से 12वीं कक्षा तक के लड़कों को नेवी ब्लू पेंट और आधे बाज़ू की आसमानी रंग की शर्ट पहनने के लिए कहा गया है. इस वर्ग की लड़कियों के लिए नेवी ब्लू डिवाइडर स्कर्ट और स्काई ब्लू हाफ़ स्लीव शर्ट पहनने के लिए कहा गया है.

सर्कुलर में ये दावा भी किया गया है कि नई यूनिफॉर्म से सभी पक्ष ख़ुश हैं, इनमें छात्र, अभिभावक और जनप्रतिनिधि शामिल हैं.

कांग्रेस ने कहा- संस्कृति पर हमला
कांग्रेस ने प्रशासन के इस क़दम को स्थानीय संस्कृति पर हमला बताया है.

शनिवार को लक्षद्वीप में कांग्रेस के नेता और पूर्व सांसद हमीदुल्लाह सईद ने आरोप लगाया है कि ये नए दिशानिर्देश इस क्षेत्र की संस्कृति और जीवन पद्धति पर हमला हैं.

हमीदुल्लाह ने आरोप लगाया है, “बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और स्थानीय प्रशासन लक्षद्वीप में जनविरोधी और ऐसी नीतियां लागू कर रहे हैं जो इस द्वीप की संस्कृति और मूल्यों के ठीक उलट हैं.”

समाचार एजेंसी पीटीई से बात करते हुए हमीदुल्लाह ने कहा, “हम ऐसे किसी दिशानिर्देश को लागू नहीं होने देंगे जो लक्षद्वीप की संस्कृति और जीवन पद्धति को नष्ट कर सकती है.”

मुसलमान बहुल इस केंद्र शासित प्रदेश में इन नए दिशानिर्देशों के बाद लक्षद्वीप के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग के तहत चल रहे स्कूलों में लड़कियों के हिजाब और स्कार्फ़ पहनने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता मोहम्मद फ़ैज़ल ने कहा, “स्कार्फ़ या हिजाब का कोई ज़िक्र नहीं है. ये संवैधानिक अधिकारों का हनन है. हम इसके ख़िलाफ़ राजनीतिक और क़ानूनी लड़ाई लड़ेंगे.”

प्रशासन ने क्या दी दलील?

लक्षद्वीप प्रशासन ने दस अगस्त को स्कूलों के प्रिंसिपलों और हेडमास्टरों को जारी किए गए एक सर्कुलर में कहा है कि स्कूल में बच्चों के यूनिफॉर्म पहनने से एकरूपता सुनिश्चित होगी और बच्चों में अनुशासन की भावना पैदा होगी.

इस सर्कुलर में कहा गया है, “तय की गई यूनिफॉर्म से अलग कोई चीज़ पहनने से बच्चों में एकरूपता का सिद्धांत प्रभावित होगा. स्कूल में अनुशासन और यूनिफॉर्म ड्रेस कोड बनाये रखना प्रिंसिपलों और स्कूल प्रमुख की ज़िम्मेदारी है.”

सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल का कहना है कि इस आदेश के बाद केंद्र शासित प्रदेश में प्रशासन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन हुए हैं और स्कूल के छात्र तब तक कक्षाओं का बहिष्कार करेंगे जब तक उन्हें उनके अधिकार नहीं मिलते हैं.

एक फ़ेसबुक पोस्ट में मोहम्मद फ़ैज़ल ने कहा, “लक्षद्वीप प्रशासन ने हम टापू के लोगों को ऐसे संकट में धकेल दिया है जो हमने पहले कभी अनुभव नहीं किया है. हम पर ऐसे क़ानून लागू करने की कोशिश हो रही है जिन्हें हम नहीं चाहते. संशोधित शराबबंदी और हिजाबबंदी सबसे बड़ा उदाहरण हैं.”

मोहम्मद फ़ैज़ल ने आम लोगों से यूनिफॉर्म से जुड़े दिशानिर्देशों का विरोध करने का आह्वान भी किया है.

लक्षद्वीप में प्रशासन शराब की बिक्री को अनुमति देने के लिए भी विधेयक लाने जा रहा है. प्रशासन के इस क़दम के ख़िलाफ़ भी विरोध हो रहा है.

पहले भी हुआ है विरोध
लक्षद्वीप एक केंद्रशासित प्रदेश है, यहाँ कोई विधानसभा नहीं है. राज्य की कमान राष्ट्रपति की ओर से नियुक्त प्रशासक के हाथों में होती है.

बीजेपी के नेता रहे प्रफुल खोड़ाभाई पटेल इस समय लक्षद्वीप के प्रशासक हैं.

ये पहली बार नहीं है जब लक्षद्वीप में विवाद हो रहा है और प्रशासन पर आरोप लग रहे हैं.

इससे पहले साल 2021 में लक्षद्वीप में लाये गए नये नियमों को लेकर भी विवाद हुआ था.

तब बीफ़ बैन, पंचायत चुनाव दो से अधिक बच्चों वाले लोगों के प्रत्याशी बनने पर पाबंदी, लोगों की गिरफ़्तारी और भूमि अधिग्रहण से जुड़े नए नियमों को लेकर विरोध हुआ था.