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बिहार के दरभंगा पहुंचे प्रधानमंत्री से कांग्रेस पार्टी के सवाल : मोदी के जुमलों का विवरण देखें!

Jairam Ramesh
@Jairam_Ramesh
एक तरफ़ प्रधानमंत्री मोदी के अन्याय काल में 21 अरबपतियों और बड़ी-बड़ी कंपनियों के टैक्स में कटौती होती है। दूसरी तरफ़ वेतन पाने वाले प्रोफ़ेशनल्स, मध्यम वर्ग और श्रमिक पहले से कहीं अधिक आयकर का भुगतान करते हैं।

एक साधारण सा आंकड़ा पूरी कहानी बताने के लिए काफ़ी है – जब डॉ. मनमोहन सिंह ने पद छोड़ा था, तब व्यक्तिगत आयकर कुल कर संग्रह का 21% था, जबकि कॉर्पोरेट टैक्स 35%।

फिर आता है “हाउडी मोदी”। इस घटना से 2 दिन पहले मोदी सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में भारी कटौती की घोषणा की। इससे सरकारी खजाने को 2 लाख करोड़ का नुक़सान हुआ। आज, कुल कर संग्रह में कॉर्पोरेट टैक्स का हिस्सा तेज़ी से गिरकर एक दशक के सबसे निचले स्तर – केवल 27.1% पर आ गया है। इस बीच, कुल कर संग्रह में व्यक्तिगत आयकर की हिस्सेदारी बढ़कर 27.4% हो गई है।

निजी निवेश बढ़े बिना जीडीपी ग्रोथ में तेज़ी नहीं आ सकती। निजी निवेश डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में जीडीपी के 35% के उच्च स्तर से गिरकर, मोदी सरकार के पूरे कार्यकाल में 29% से नीचे आ गया है।

वित्त मंत्री का दावा है कि ये कॉर्पोरेट हैंडआउट्स ग्रोथ में तेज़ी लाएंगे, लेकिन ध्यान रहे कि कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का लाभ केवल बड़ी-बड़ी कंपनियों और भारत के 21 अरबपतियों को हुआ है। स्वामित्व और साझेदारी जैसे छोटे व्यवसाय आयकर का भुगतान करते हैं, न की कॉर्पोरेट टैक्स देते हैं।

Rahul Gandhi
@RahulGandhi
कर्नाटक में भाजपा समर्थित हैवान ने सैकड़ों महिलाओं और उनके परिवारों को ऐसा मानसिक आघात दिया है कि सोच कर भी आत्मा सिहर उठती है।

मैं आपकी पीड़ा और वेदना को समझता हूँ और भयंकर अत्याचार के खिलाफ न्याय की लड़ाई में आपके साथ खड़ा हूं। चुनावी शोर के बीच आपके साहस और संघर्ष को हम दबने नहीं देंगे।

मैने कर्नाटक के मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर उस हैवान के लिए कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित करने और पीड़ित परवारों को हर संभव सहायता मुहैया करवाने का आग्रह किया है।

मैं हर पीड़िता और उसके परिवार को विश्वास दिलाता हूं, आज आपका संघर्ष, कल एक ऐसा देश बनाएगा जहां किसी महिला के सम्मान से खिलवाड़ करने की सोचने पर भी प्रज्वल रेवन्ना जैसे हैवानों की रूह कांप उठे।

Jairam Ramesh
@Jairam_Ramesh
बिहार के दरभंगा पहुंचे प्रधानमंत्री से हमारे सवाल:

1. क्या दरभंगा में एम्स कभी बनेगा?

2. बीजेपी ने मैथिली भाषा की उपेक्षा क्यों की?

3. मोदी सरकार कोसी और बागमती नदी की बाढ़ पर कब ध्यान देगी?

जुमलों का विवरण:

1. दरभंगा में एम्स की स्थापना एक और ऐसा वादा है जिसे पीएम मोदी भूल गए हैं। 2020 में मंजूरी मिलने के बाद से स्थानीय लोग 2,100 बिस्तरों वाले अस्पताल का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है। हाल ही में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अंततः एक कमिटी को नियुक्त किया जो इस अस्पताल को डिज़ाइन करेगी। दरअसल ऐसा करना महज़ मतदाताओं को यह दिखाने के लिए है कि उन्होंने लोकसभा चुनावों से पहले कुछ प्रगति की है। यह परियोजना इतने लंबे समय तक क्यों रुकी हुई है? क्या पीएम मोदी अपना वर्षों पुराना वादा निभाने का इरादा रखते हैं?

2. पिछले 20 वर्षों में, भाजपा ने मैथिली भाषा के विकास, संरक्षण या इसके प्रचार-प्रसार के लिए कुछ नहीं किया है। मैथिली एक अनुसूचित भाषा है। यह संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल है। वर्ष 1968 में राजभाषा संकल्प ने केंद्र और राज्यों को अनुसूचित भाषाओं के “पूर्ण विकास” के लिए “ठोस उपाय” करने के लिए बाध्य किया था, ताकि वे तेजी से समृद्धि हों और आधुनिक ज्ञान के संचार का प्रभावी साधन बनें। भाजपा ने केंद्र में अपने 10 साल और बिहार में 13 साल के शासन काल के दौरान इस संकल्प की पूरी तरह से अवहेलना की है। उन्होंने प्राथमिक विद्यालयों में इस भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाने से इंकार कर दिया है। राज्य की मैथिली अकादमी एक भूतिया संगठन में तब्दील होकर रह गई है, जिसके पास वर्षों से न तो कोई धन है, न कोई अध्यक्ष है और न ही कोई कर्मचारी या प्रकाशन है। प्रधानमंत्री और भाजपा ने इस भाषा की उपेक्षा क्यों की?

3. हर मानसून में, कोसी, बागमती, और कमला बालन नदी बाढ़ से तबाही लाती है। आसपास के क्षेत्र पूरी तरह से तबाह हो जाते हैं। बाढ़ से लाखों लोग प्रभावित होते हैं – हर साल फ़सल बर्बाद होती है और परिवारों को महीनों के लिए विस्थापित होना पड़ता है। डबल इंजन सरकार तटबंधों के निर्माण और पुनर्निर्माण में लगी रहती है, ताकि अगली बाढ़ के दौरान वे फ़िर से बह जाएं। कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जाता है। स्थानीय निवासियों ने इसकी तुलना “सोने के अंडे देने वाली मुर्गी” से की है। लोग ऐसा मानते हैं कि भाजपा के पसंदीदा ठेकेदारों को हर बार तटबंध के पुनर्निर्माण के लिए कॉन्ट्रैक्ट मिलते हैं। भाजपा और JDU की सरकार इस समस्या के समाधान के लिए कोई प्रयास किए बिना, बैराज गेट खोलने के लिए नेपाल को दोषी ठहराना पसंद करती है। मोदी सरकार लाखों बाढ़ पीड़ितों की दुर्दशा को नजरअंदाज क्यों कर रही है? क्या मिथिलांचल और कोसी में लोगों की दुर्दशा भाजपा के लिए लाभ कमाने का एक और अवसर बनकर रह गई है?