दुनिया

बिनयामिन नेतन्याहू के सामने समस्याओं का अंबार

बिनयामिन नेतन्याहू केनेसेट के प्रतिनिधियों से विश्वास मत प्राप्त करने में सफल रहे और एक बार फिर इस्राईली कैबिनेट के प्रमुख बन गये।

नेतेन्याहू 120 केनेसेट सदस्यों में से 63 वोट प्राप्त करने में सफल रहे। इस बीच नेतन्याहू और उनके सहयोगियों ने पहली नवम्बर को केनेसेट चुनाव में 64 सीटें जीतीं थीं। 2009 के बाद से यह नेतन्याहू की छठीं कैबिनेट है।

नेतन्याहू की कैबिनेट ने ऐसी हालत में काम करना शुरू किया जबकि यह उनकी सबसे अलग कैबिनेट है। 15 साल पहले नेतन्याहू इस्राईल के प्रधान मंत्री बने थे लेकिन ज़ायोनी शासन के इतिहास में अब तक का यह सबसे चरमपंथी कैबिनेट है।

इसीलिए कैबिनेट में विश्वास मत हासिल करने के लिए केनेसेट सत्र की शुरुआत ही सार्वजनिक विरोध से हुई। इसके साथ ही नेतन्याहू के केनेसेट में भाषण के दौरान, संसद की आंतरिक और बाहरी स्थिति तनावपूर्ण थी और सैकड़ों लोग संसद के बाहर उनके विरुद्ध नारेबाज़ी कर रहे थे।

ऐसा लगता है कि नेतन्याहू के प्रधान मंत्री के रूप में उनके नए कार्यकाल में पिछले काल की तुलना में अधिक कठिन परिस्थितियां पैदा होंगी।

एक ओर वह भ्रष्टाचार के मामलों का सामना कर रहे हैं जो उनके ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शनों का एक कारण है जबकि दूसरी ओर नेतन्याहू ने नए मंत्रिमंडल में उन लोगों के साथ गठबंधन किया है जिनके रिकॉर्ड में चोरी, भ्रष्टाचार, नस्लवाद और आतंकवादी कृत्यों जैसे मामले शामिल हैं जिसकी वजह से विरोधियों की आवाज़ अंदर और बाहर साफ़ तौर पर सुनी जा सकती है। कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि नेतन्याहू के साथी उनके नए मंत्रिमंडल की दुखती रग हैं जबकि कुछ लोग नेतन्याहू को ख़ुद ही मुख्य समस्या मानते हैं क्योंकि उन्होंने सत्ता हासिल करने के लिए चरमपंथियों के साथ गठबंधन किया है।

इसी संबंध में में हेब्रू अख़बार हारेत्ज़ में पार्टी के मुद्दों के एक विश्लेषक योसी वार्टर ने लिखा कि नई कैबिनेट बहुत कट्टर, अंध विचारधारा वाली और ख़तरनाक है और इस बात को साबित करने के लिए हम इस कैबिनेट के लाइन पार्टनर की उपलब्धियों की ओर इशारा किया जा सकता है जिनके पास बहुत शक्ति है और उन ज़ायोनी बस्तियों के निवासियों की ओर भी किया जा सकता है जो समस्याओं, मतभेदों और नस्लवाद को बढ़ावा देना चाहते हैं, लेकिन अस्ल मामला यह नहीं है बल्कि यही केवली एक आंशिक समस्या समझी जाती है, असली ख़तरा तो प्रधानमंत्री की ओर से है जिन्होंने सभी संभावित सीमाओं को पार कर लिया है और सभी मूल्यों और कानूनों का उल्लंघन किया है।