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बचपन में पूरी सर्दियों में हम सबके घरों में दोनों समय साग और सगपाहिता वाली दाल ही बनाई खाई जाती थी
अरूणिमा सिंह =========== · दिन जब ढलना शुरू हो जाता था लगभग ढाई तीन बजे तक घर के सारे काम बर्तन धोने, झाड़ू लगाकर रसोई साफ करने, चूल्हे पर खाना बनता था तो लकड़ी उपले की व्यवस्था करने के बाद, हाथ मुँह धोकर, सुंदर सी चुटिया बनाकर, सुंदर मुखड़े को थोड़ा और संवार कर, हाथ […]
लोगों के गले मिलना अब छोड़ दो ‘नीलोफ़र’
DrNirmala Sharma ============ लोगों के गले मिलना अब छोड़ दो ‘नीलोफर’ दूर से ही मुस्कुराओ क्योंकि दुनिया का यह दस्तूर है कि जो जितना कसकर गले लगाता है वह उतना ही तेजी से पीठ में छुरा भोकता है जो जितना अधिक हमदर्द बनता है वही एक दिन आपके दुःख सरेआम करता है जो जितना अधिक […]
#कहानी- स्टेशन जो छूट गया
राधा रात के लगभग दस बजे दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर खड़ी थी. उसकी हालत कुछ ठीक नहीं थी. वह भीड़ में अपना चेहरा छिपाकर रो रही थी. सामान के नाम पर उसके पास सिर्फ उसका पर्स था. वह बार-बार अपना फोन चेक कर रही थी, मानो जैसे चाहती हो कि फोन पर ही सही […]