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#बाज़ारवाद……वहां मर्यादाएं नही बचती…By-Tanupriyanka Singh

Tanupriyanka Singh
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#बाज़ारवाद…..ये एक ऐसा शब्द है….जहां भी ये अप्लाई यानी इसका क्रियान्वयन शुरू हुआ…..वहां मर्यादाएं नही बचती….ऐसा ही कुछ हाल हमारी #भोजपुरी #म्यूजिक #इंडस्ट्री का है….जो पूर्णतः बाजारवाद और व्यवसायीकरण से प्रभावित हो चुका है….इसलिए ना यहां मर्यादाएं बची है और ना ही गुणवत्ता…..गाना बेचने के लिए, व्यूज के लिए चाहे ज़मीर बेचना हो या मर्यादा का हनन करना हो सब जायज़ है…..हिट जो होना है…..भोजपुरी को आठवी अनुसूची में भाषा को दर्जा दिलाने का आंदोलन…या फिर भोजपुरी हमारी संस्कृति है, संस्कार है, हमारा सम्मान है…. इन शब्दों को दफन कर दीजिए….और आठवीं अनुसूची में भाषा की मान्यता का सपना सिर्फ सपना रह जायेगा…..वजह वो शीर्ष पर बैठे लोग है जिन्होंने सबसे ज्यादा चीर हरण किया भोजपुरी संगीत का नाम और शोहरत कमाई..लेकिन भोजपुरी के उत्थान पर सिर्फ मौन धारण किया…और किसी भी मंच पर प्रतिभाशाली कलाकार का न तो समर्थन किया ना ही सहयोग…..अश्लील गाकर जो लोग नाचकर बोलकर दिखाकर बाद में सात्विक हो गए उनका महिमामंडन किया जाता है…..क्योंकि वही उनके अधीन रहकर उनके पैरों में बैठ सकता है..यह प्रतिभा की जरूरत नही चाटुकार की ज़रूरत है…और लड़कियों के विषय में कुछ नही कहूंगी…क्योंकि अपना सत्य वो स्वयं जानती है और नही जानती तो आईने में खुद से पूछ लें जवाब मिल जायेगा….और एक बात भोजपुरी का बहुत बड़ा वर्ग इस बरबादी पर मौन साधे है या जो चल रहा है उसका आनंद भी ले रहा है और दूसरे मुंह से विरोध भी कर रहा है….आज कल ऑडियो विडियो का क्या कहे…..रियल्टी शो भी रियल्टी से काफी दूर है सुर का पता नही पता नही जज कैसे मैडल पहना रहे है और सुरीले लोग बेसुरों की तारीफ़ कर रहे हैं😂😂इतनी भी क्या मजबूरी है….जो बेसुरों को सुरीला कहना पड़ रहा है..याद रहे जब किसी भी समाज के बुद्धिजीवी मौन धारण करते है या अयोग्य लोगों का समर्थन करते है तो उस समाज संस्कृति परंपरा का अंत निश्चित है…..और हमारे वरिष्ठ इस काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं…..बाकी हम तो अपने गाने में लगे है आखों देखी मक्खी निगली नही जाती इसलिए कुछ कह देते हैं……हर हर महादेव