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बांग्लादेश की ओर से भारतीय उत्पादों पर लग रही पाबंदियों के बीच सरकार ने यह उठाया : रिपोर्ट

भारत ने अपने पड़ोसी बांग्लादेश से जुड़ा एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने बांग्लादेश से भूमि बंदरगाहों के जरिए आयात को नियंत्रित करने का एलान किया है। सरकार के इस फैसले पर पूरे बाजार की नजर है। कारोबार जगत के जानकार यह मानते हैं कि भारत का यह फैसला पड़ोसी देश को भड़काने के लिए नहीं है। बांग्लादेश की ओर से भारतीय उत्पादों पर लग रही पाबंदियों के बीच सरकार ने यह कदम सोच समझ कर उठाया गया है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के अजय श्रीवास्तव के अनुसार बांग्लादेश की प्रतिबंधात्मक व्यापार नीतियां न केवल दोनों देशों के बीच व्यापार को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि उसके खुद के आर्थिक हितों को भी नुकसान पहुंचा रही है। श्रीवास्तव के अनुसार भारत ने इस मामले में कार्रवाई कर केवल अपने शुरुआती संकेत जाहिर किए हैं, और कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है।

खुद को ही नुकसान पहुंचा रहा बांग्लादेश

बांग्लादेश की ओर से सूत और चावल जैसे भारतीय उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाने और अपनी सीमाओं पर निरीक्षण बढ़ाने का जिक्र करते हुए श्रीवास्तव ने कहा, “बांग्लादेश खुद को नुकसान पहुंचा रहा है। वे भारत का कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

 

 

बांग्लादेश से कारोबार पर भारत के फैसले से 77 करोड़ डॉलर से अधिक के आयात पर असर पड़ेगा। यह बांग्लादेश से भेजे जाने वाले सभी सामानों का लगभग 42% है। पिछले साल अकेले रेडीमेड गारमेंट्स का आयात 66 करोड़ डॉलर का था। अब उन्हें सिर्फ कोलकाता और न्हावा शेवा बंदरगाहों के जरिए ही भारत में उत्पाद भेजने की अनुमति होगी, जिससे पूर्वोत्तर के जमीनी रास्ते बंद हो जाएंगे।

 

 

श्रीवास्तव ने कहा, “ये बड़े ब्रांड हैं- एचएंडएम, जारा। वे बांग्लादेश में उत्पाद बनाते हैं और दुनिया भर में निर्यात करते हैं। अब, वे भारतीय भूमि बंदरगाहों का उपयोग नहीं कर सकते। हर चीज समुद्र के रास्ते लानी पड़ेगी।” हालांकि, श्रीवास्तव ने कहा कि बांग्लादेश की बढ़ती शत्रुतापूर्ण व्यापारिक स्थिति के पीछे आर्थिक नहीं बल्कि राजनीतिक उद्देश्य हैं।

बांग्लादेश में सत्ता पर कट्टरपंथियों के कब्जे के बाद बिगड़े हालात

उन्होंने कहा, “बांग्लादेश कपड़ों से आगे बढ़कर चमड़े जैसे क्षेत्रों में भी विविधता ला रहा था। लेकिन पिछले साल देश में सत्ता परिवर्तन के बाद से कट्टरपंथियों ने इस पर कब्जा कर लिया है। उन्होंने भारत के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। बिना किसी उकसावे के उन्होंने भारतीय वस्तुओं- चावल, धागा, यहां तक कि एफएमसीजी को भी रोकना शुरू कर दिया।

भारत ने पड़ोसी के प्रतिबंधों पर जवाबी कार्रवाई करने के बजाय, एक नरम संकेत देने का विकल्प चुना। किसी भी चीज का आयात बंद नहीं किया गया है, लेकिन प्रमुख श्रेणियों के उत्पादों को अब अधिक महंगे और धीमे समुद्री मार्गों का उपयोग करना होगा। श्रीवास्तव ने कहा, “यह टीजर है। हमने उनके सामान को अवरुद्ध नहीं किया है। हमने केवल प्रवेश बिंदु बदल दिया है।”

बांग्लादेश को मिली शून्य टैरिफ सुविधा के समीक्षा की जरूरत

श्रीवास्तव ने कहा कि बांग्लादेश का हाल ही में सबसे कम विकसित देश (एलडीसी) का दर्जा खत्म होने का मतलब है कि अब वह किसी देश में डिफॉल्ट रूप से टैरिफ-मुक्त पहुंच की उम्मीद नहीं कर सकता। भारत ने उन्हें एलडीसी मानदंडों के तहत शून्य टैरिफ की सुविधा दी थी। अब इसकी समीक्षा की जानी चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे यूरोप और अमेरिका कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “वे गंभीर दबाव में हैं। एलडीसी दर्जा खत्म होने का मतलब है कि वे अपनी पहुंच खो देंगे, और उनकी अपनी नीतियां चीजों को और खराब कर रही हैं। वे खुद को नुकसान पहुंचा रहे हैं।” चीनी सामान बांग्लादेश के रास्ते भारत में आ रहे हैं, इस जोखिम को श्रीवास्तव ने कमतर बताया। उन्होंने कहा, “बड़े पैमाने पर ट्रांस-शिपमेंट नहीं होता। कानूनी तौर पर इसकी अनुमति नहीं है। शायद छोटे पैमाने पर हो। लेकिन मुख्य रूप से वे चीन से कपड़ा आयात करते हैं, कपड़े तैयार करते हैं और निर्यात करते हैं।

यूनुस के चीन में दिए गए बयान के बाद और बिगड़े दिल्ली-ढाका के संबंध
प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के कार्यकाल में नई दिल्ली और ढाका के बीच संबंध और खराब हो गए हैं, खासकर बीजिंग में उनके हालिया बयानों के बाद हालात और बिगड़े हैं। यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर को “भूमि से घिरा हुआ” बताया और बांग्लादेश को इस क्षेत्र में “समुद्र का संरक्षक” बताया।

 

भारतीय अधिकारियों के अनुसार व्यापार प्रतिबंधों को निष्पक्षता

सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है। भारत ने बांग्लादेश को भूमि और बंदरगाहों के माध्यम से पूरी पहुंच की अनुमति दी है। वहीं, ढाका ने चुनिंदा भारतीय निर्यातों को पूरी तरह रोक दिया है, खासकर पूर्वोत्तर की ओर जाने वाले निर्यातों को।

नए नियमों के तहत बांग्लादेश के इन उत्पादों के भारत पहुंचने पर पड़ेगा असर

नए भारतीय नियमों के तहत असम, त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और बंगाल के कुछ हिस्सों में भूमि बंदरगाहों के माध्यम से बांग्लादेशी प्लास्टिक, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, फर्नीचर, पेय पदार्थ और सूती धागे के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। ये नियम भारत की ओर से पांच साल की उस व्यवस्था को खत्म करने के कुछ सप्ताह बाद आए हैं जिसके तहत बांग्लादेश को भारतीय हवाई अड्डों और बंदरगाहों के माध्यम से तीसरे देशों में माल भेजने की अनुमति थी। एक सरकारी अधिकारी ने इस बारे में पीटीआई को बताया कि “यह एक पारस्परिक कदम है।” उन्होंने ढाका की ओर से भारतीय वस्तुओं पर पाबंदी कड़ा करने और चुनिंदा आयात प्रतिबंधों की ओर इशारा किया।