साहित्य

बहन को बिट्टू से शादी के लिए इसलिए मना नहीं कर रहे है, क्यंकि….

Sukhpal Gurjar ·
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“अबे सुनो, गुड्डू भईया को देखे हो?”
अन्नू ने गली में मिलने वाले तीसरे शख्स से ये सवाल पूछा, बाकी
दो की तरह इस आदमी ने गर्दन हिलाकर मना नहीं किया।

“देखे तो है अन्नू भईया, पर जाने दीजिए, ये समय उन्हे आप अकेला छोड़ दीजिए।” उस आदमी ने किसी दार्शनिक की तरह अन्नू को समझाने की कोशिश की।

“तुमसे हम प्याज का दाम पूछा करे तो हमको पकौड़े की विधि मत समझाया करो,किसी दिन बिना बेसन की जगह बारूद लपेटकर तल दिए जाओगे तुम इस आदत की वजह से।” अन्नू शायद आज किसी साधु संत से भी लड़ जाता। बात ही कुछ ऐसी थी।

“खौल काहे रहे है अन्नू भईया, हम क्या किए है, जो किया है उसका तो बाल न तोड़ पाए है और गरीब पर रौब झाड़ रहे है।” उस आदमी ने डर भरी आवाज पर बहादुरी का नमक छिड़क कर कहा।

“जो किया है उसका तो हिसाब होगा ही बाबू, गुड्डू भईया की गिरेबान पर हाथ डाला है उसने, नाखून भी मिला उसका तो तुम्हारी चप्पल गले में पहन कर इसी गली के नुक्कड़ पर बैठ जायेंगे। इससे पहले हम तुम्हारा बद्धी फीता सब खोल दे, जल्दी बताओ कहा देखे हो गुड्डू भईया को?”

उस आदमी को समझ आ गया कि वो आग से खेल बैठा है, उसने जबान बंद करके एक दिशा में उंगली से इशारा कर दिया। अन्नू उस के बताए रास्ते पर तेजी से बुलेट भगाते हुए निकल गया। उसे जाते देखकर लग रहा था कि अगर कोई उससे कहता कि पहाड़ की खाई में है तुम्हारे गुड्डू भईय,तो अन्नू कूद जाता।

अन्नू गुड्डू भईया का चेला था, गुड्डू भईया उभरते हुए सितारे थे अपने क्षेत्र के। छात्र राजनीति में डंका बजाने के बाद वो ब्लॉक स्तर पर मेहनत कर रहे थे। हर कोई उन्हे मौजूदा बुजुर्ग नेताओ का उत्तराधिकारी मानता था। गुड्डू भाई नामी समाजसेवी थे अपने इलाके में, उनकी समाज सेवा का प्रभाव ऐसा था कि आज तक समाजसेवा का एक भी केस दर्ज नही हुआ था उनके नाम पर। लोग डरते थे, कांपते थे उनसे। पर यही डरने कांपने वाले लोग एक मौके की तलाश में भी थे। फिर एक दिन गुड्डू भईया की बहन के अफेयर की अफवाह उड़ी। पता चला गुड्डू भईया के पॉलिटिकल राइवल बिट्टू ने घर में सेंध मारी है उनके। बात गुड्डू भईया तक पहुंची तो वो अपनी बहन के पास गए और बोले की भूल जाओ बिट्टू को।

बहन ने पहले तो मनाने की कोशिश की, पर गुड्डू भईया ने उसे समझाया कि वो बहन को बिट्टू से शादी के लिए इसलिए मना नहीं कर रहे है क्युकी बहन के प्यार करने से ऐतराज है उन्हे, बल्कि इसलिए क्युकी उन्हे अपनी फील्ड का पता है। कौन कैसा है सब जानते थे गुड्डू भईया। और फिर भी जब बहन न मानी गुड्डू भईया ने बिट्टू के और अपनी फील्ड के बारे में कुछ बाते ऐसी बताई जो उनकी बहन ने सोची भी न थी, और अपनी बहन को सब सोच समझ कर खुद फैसला करने को कहा। बहन ने पता किया तो बाते सच निकली, उसने उस लड़के को मना कर दिया आगे रिश्ता रखने से। बिट्टू को पहले लगा कि भाई के दबाव में एस कह रही है, फिर किसी ने ये समझाया कि काटकर चली गई है वो तुम्हारा।
बिट्टू के अंदर के पिलपिले मर्द ने बदला लेने की ठानी और अगले दिन गुड्डू भईया की बहन की नंगी तस्वीरे पूरे मुहल्ले की दीवारों पर चिपका दी गई। सुबह उठते ही गुड्डू के पास लोग खबर लेकर पहुंचे, उसके बाद गुड्डू भईया कहा गए किसी को नही पता। उनका दोस्त और दाहिना हाथ अन्नू इसीलिए गुड्डू भईया को ढूंढ रहा था। उसे पता था कि मिलावटी पेट्रोल की बहस में पेट्रोल पंप फूकने वाला आदमी आज अपनी बहन की बात आने पर बिट्टू का खानदान राख कर देगा। अन्नू को बिट्टू के खानदान से कोई हमदर्दी नही थी, बस उसे फिक्र थी कि गुड्डू भईया अकेले न कूद पड़े हो इस लड़ाई में। यही सब सोचते हुए अचानक से उसने बुलेट को ब्रेक लगाए। सामने एक दीवार के नीचे गुड्डू भईया बैठे सिगरेट पी रहे थे। पैर के पास पड़े सिगरेट के टुकड़े देखकर अंदाजा लग रहा था कि गुड्डू भईया चिमनी बना रहे है फेफड़े को। उनके हाथ में कागज के कुछ टुकड़े थे, जो शायद उन्होंने पीछे की दीवार पर चिपके पोस्टर से फाड़े थे। अन्नू कुछ देर उनके पास खड़ा रहा, दो फीट के फासले पर, लेकिन उसके मुंह से आवाज नही निकल रही थी। फिर अचानक गुड्डू भईया ने निगाह उठाकर उसे देखा, अन्नू को समझ नही आया कि इस वक्त गुड्डू भईया की आंखो में शर्म थी या गुस्सा।

“भईया यहां क्या कर रहे है आप, चलिए उठिए, हम फोन कर दिए है, सब लड़के तैयार बैठे है, आप आदेश कीजिए बिट्टू के खून से शहर की दीवार रंग देंगे।”

अन्नू गुड्डू भईया से निगाह तो नही मिला पा रहा था, इसलिए जेब से पिस्तौल निकाल कर सेफ्टी लॉक और गोलियां चेक करने लगा। पर गुड्डू भईया अभी भी जड़ हुए अपने हाथ में उस पोस्टर के टुकड़ों को देख रहे थे।अन्नू अच्छे से समझ रहा था कि गुड्डू भईया पर क्या गुजर रही थी। गुड्डू भईया परिवार थे उसका और उनकी बहन उसकी बहन।

“अरे सोचिए मत, हम चले जायेंगे आपकी जगह सरेंडर करके, बस आप उठिए, इस पोस्टर की तरह बिट्टू को छीलकर शहर की सड़क पर न बिछाए तो कभी हमको अपना भाई मत कहिएगा।”

गुड्डू भईया अपनी सोच में डूबे हुए थे जैसे कुछ सुन ही न रहे हो। फिर एक निगाह उठाकर अन्नू को देखा।

“इसको जेब में रखो इसकी जरूरत नही है”
गुड्डू भईया ने गुस्से में बोला पर आवाज में वो रौब नही था जिसके लिए वो जाने जाते थे।

“कैसे जरूरत नही, अरे आप अपने राजनीतिक कैरियर की चिंता मत कीजिए, खानदान साफ कर देंगे उसका तो खौफ फिर बन जायेगा समाज में, बाकी कोर्ट कचहरी हम देखेंगे आप राजनीति पर ध्यान दीजिएगा”
अन्नू को लग रहा था कि गुड्डू भईया की आवाज का रौब अब बंदूक की गोली ही लौटा सकती है।
“काहे? काहे करोगे बिट्टू का खानदान साफ?”
गुड्डू ने अन्नू से पूछा
“अरे वो , वो उसने इज्जत पर हाथ डाला है आपकी”
अन्नू ने निगलते हुए कहा।
“तुम तो शुरू से साथ रहे हो, तुम जानते हो ये डर इज्जत रुतबा जो भी है हम कैसे बनाए है, तुमको क्या लगता है हमारी बहन की तस्वीरे चिपका कर कोई हमारी बनाई इज्जत उतार लेगा?”
अन्नू को गुड्डू भईया की बात समझ नही आ रही थी।
“पर, बदला तो लेना होगा ना, नही तो कल को कोई भी मुंह उठाकर कुछ भी चिपका देगा”
अन्नू ने गुड्डू का हाथ पकड़ कर कहा।
“वही तो, वही सोच रहे थे हम, हमारी बहन है। हम जानते है उसको, वो क्या है हमारे लिए ये पूरा शहर जानता है, जो कागज के टुकड़े हवा और पानी की चोट झेल नही पा रहे वो तय करेंगे कि हमारी बहन की इज्जत का वजन क्या है?”
गुड्डू ने पोस्टर के टुकड़े को मुट्ठी में भींचते हुए कहा।
“आप शायद इसलिए सॉफ्ट हो रहे है कि अपनी बहन की भी गलती है इसमें”
अन्नू को ये बोलने से पहले पता होता तो वो अपनी जबान काट लेता, कर अब देर हो चुकी थी, गुड्डू भईया उसका गिरेबान थामकर खड़े थे।
“गलती? किस बात की गलती? ये गलती है? तुमको याद है जब दिवाली में दिया जलाने के चक्कर में उसने लाखो का पावडर फूंक दिया था? हम लाखो के नुकसान पर उसकी गलती नही समझे, ये तो कौड़ी दो कौड़ी की बात है।”
गुड्डू ने अन्नू के कॉलर को ठीक करते हुए कहा।
“मतलब आप कुछ नही करेंगे? इतना कुछ कर दिया बिट्टू ने आपके साथ और आप खामोश बैठेंगे तो क्या बोलेगा समाज”
अन्नू को गुड्डू भईया का गुस्सा ना करना खल रहा था।
“अन्नू इस समाज की दिक्कत ही यही है कि ये बोलता नही, फुसफुसाता है, देखकर हंसता है, बाद में झूठा मातम भी करता है पर जब इस समाज को बोलना चाहिए, तब ये चुप रहता है निगाह फेर लेता है।”
अन्नू खामोशी से इंतजार कर रहा था कि गुड्डू भईया की बात कब वायलेंस के स्टॉप पर रुकती है।
“देखो ये हमारा और बिट्टू का मामला है ही नही, ये बिट्टू और हमारी बहन का मामला है। बिट्टू ने हमारा कुछ नही लिया है हमसे, ना हमारी इज्जत को कोई नुकसान पहुंचाया है। पर उसने भरोसा तोड़ा है हमारी बहन का। बात यहां किसी के घर की इज्जत की नही है, बात है दो लोगो के बीच भरोसे की। “
अन्नू को अब कुछ कुछ समझ आ रहा था।

“तो भईया तब क्या करे, जाने दे?”
“नही जाने कैसे देंगे, भरोसा तोड़ना भी कम पाप नही है, इसी से तो सारे पाप जन्म लेते है। तू हमारा धंधा देख ले, पाप ही तो है, पर इसमें भरोसा निकाल दो समझ में आएगा कि पाप से बुरा क्या हो सकता है। जाने तो नही दे सकते इस मामले को, पर कुछ ऐसा करना होगा जिससे समाज को ये मैसेज जाए कि बिट्टू को भरोसा तोड़ने की सजा मिली है, इज्जत चली गई है इसलिए हम कुछ किए है तो ये मैसेज गया तो इस सोच की वजह से दस बिट्टू रोज पैदा होते रहेंगे।”

“तो फिर क्या सोचे है आप भईया?”
गुड्डू भईया अपनी सोच में डूबे मुट्ठी में फंसे पोस्टर के उस टुकड़े को देख रहे थे।
“सोचे नही है अन्नू, सोच रहे है।”
अगले दिन अन्नू भईया के घर के गेट पर बिट्टू हाथ जोड़े चिल्ला रहा था।

“हमसे गलती हो गई है गुड्डू भईया, पाप हो गया हमसे, अपने लोगो को मना कर दीजिए। हमारे घर वाले हमसे बात नही कर रहे है, नाखून टूट गए है हमारे पोस्टर नोचते नोचते। शहर में जितने पोस्टर बचे थे सब नोच लाया हूं, बस आप माफ कर दो हमे”

उस दिन गुड्डू भईया जब उठे थे तो उन्होंने बहुत अजीब फैसला किया। गुड्डू ने अपने सभी चेले चपाटो को हुक्म दिया कि शहर के किसी कोने में अगर कोई पोस्टर दिख जाए तो उसे उतारकर बिट्टू के घर पर चिपका देना। हमारी बहन की इज्जत कागज के टुकड़े डिसाइड नही करेंगे, पर बिट्टू के लिए जहर पीने जैसा होगा जब उसकी बहन उससे पूछेगी कि लोग किसके पोस्टर चिपका रहे है और आपका क्या लेना देना इन पोस्टर्स से।

और हुआ भी वही। जिसको जो पोस्टर दिखता, वो खामोशी से उतारकर बिट्टू के घर चिपका देता। चेले चपाटो की देखा देखी बाकी शहर वालो को भी ये तरीका समझ आया और धीरे धीरे बिट्टू के घर बिट्टू की हरकत चिपका दी गई। किसी को गोली मारने के बाद ताव से घर में घुसने वाला बिट्टू इस वक्त अपनी बहन और मां बाप से नजर नहीं मिला पा रहा था। उसने कोशिश की भी थी कि सारे पोस्टर नोच दे अपने घर से, पर वो जितना नोचता उतने और चिपका देते लोग। थक हार कर बिट्टू शहर में लगा हर पोस्टर खुद से उतारने लगा, एक भी बचता तो वो उसके घर चिपक सकता था। फिर भी कुछ न कुछ पोस्टर रह गए थे जो लोग बिट्टू के घर थोड़ी थोड़ी देर में चिपकाए जा रहे थे। थकहार कर बिट्टू ने गुड्डू से माफी मांगने का फैसला किया किया कि गुड्डू चाहे तो गोली मार दे पर अपने लोगो को मना कर दो।

“हमने कोई आदमी नही लगाए है, दस पोस्टर हमने लगाए हमारी देखा देखी सौ और लोगो ने लगाए, हम किसी को मना कहा से कर पाएंगे, अब जब तक इस शहर की दीवारों पर तुम्हारे लगाए पोस्टर बचे है तब तक चिपकते रहेंगे तुम्हारे घर पर, अब ये तुम्हारी हेडेक है कि शहर की दीवार पर कोई पोस्टर न बचे”
बिट्टू ने अपने खून से सनी उंगलियों को देखा जिसके नाखून उखड़ चुके थे, उसे समझ आ रहा था कि बात कहा तक पहुंच गई है, वो गुड्डू की बहन के पैरो में गिरकर माफी मांगने लगता है।

“किस बात की माफी मांग रहे हो?” गुड्डू ने बहन के पाव में लिपटे बिट्टू से पूछा।

“गुड्डू भईया हमने पोस्टर लगाए है उसके लिए, आप चाहो तो जान ले लो पर ये सब बंद करवाओ हमारा अपने घर में रहना मुश्किल हो गया है”

“गलत बात है बिट्टू, माफी पोस्टर के लिए नही, हमारी बहन का भरोसा तोड़ने के लिए मांगो, आगे उसकी मर्जी वो क्या करती है उसमे हमारा दखल नहीं।”

ये सुनने के बाद बिट्टू बहन के पैरो में गिरा माफी मांग रहा था, और बहन गुड्डू की तरफ बहुत नाज और गुरूर के साथ देख रही थी। कुछ दिन पहले उसने सोचा था कि जान ले लेगी खुद की, पर अब उसे यकीन था कि उसका भाई उसकी ढाल है, ऐसी ढाल जिसकी चार नही सिर्फ एक दीवार है, जो उसे बचाने के लिए है उसका दम घोटने के लिए नही। घर के गेट पर खड़े मुहल्ले वालो को भी समझ में आ रहा था कि इज्जत के पैमाने उन्होंने गलत बना रखे थे अब तक। तभी अचानक से किसी आदमी के रोने की आवाज आने लगी, सबने गेट की तरफ देखा तो अन्नू एक आदमी का हाथ पकड़े अंदर लेकर आ रहा था, वो आदमी बस रोए जा रहा था।

“रो काहे रहे हो,छुए भी तो नहीं है तुम्हे, गुड्डू भईया तुमको बस घसीट के लाने को बोले थे, वरना तुम्हारी इस्त्री का कोयला ऐसी जगह डालते कि जिंदगी भर तुमको कोहरा और लू का फर्क समझ नही आता।”

गुड्डू उस आदमी को पहचान गया, उसने अन्नू से छुड़ाया उसको, और कपड़े ठीक किए उस आदमी के।

“पागल हो क्या अन्नू, इसको काहे मार रहे हो?”
“मारे नही है भईया, ये साला रडार है बिलकुल, अपने बाल सही करने के लिए हाथ हिलाओ तो ये रोने लगता है।”

“तो तुम इसको काहे पकड़ के लाए हो?”
“अरे गुड्डू भईया, आप ही तो बोले थे, प्रेस वाले को पकड़ कर ले आओ, उसको भी सबक सिखाना है वो भी बराबर का हिस्सेदार है बिट्टू के पाप में।”
“अरे हमारे बीरबल, प्रिंटिंग प्रेस वाले को लाने के लिए बोले थे तुमको,तुम साला कपड़ा प्रेस करने वाले को उठा लाए हो, ये कपड़ा प्रेस करता है, तुमको हम पोस्टर प्रिंट करने वालो को पकड़ने के लिए बोले थे।”

“अरे भईया वो आप ने बोल दिया मारना नही तो अपनी बुद्धि वही जाम हो जाती है, अभी सही आदमी लेकर आते है हम।”
अन्नू फिर प्रेस वाले के पास पहुंचता है, उसका कंधा पकड़ता है प्रेस वाला डर रहा है।

“अरे होता रहता है ये सब, तुम भी एक बार हमारी शर्ट जला दिए थे, हमने कुछ कहा था? गलती इंसान से होती है, जाओ तुम भाग कर दुकान जाओ, अब।”
प्रेस वाला अन्नू के हाथ से छूटते ही बाहर खड़ी भीड़ को चीरता निकल गया। अन्नू भी वापस गेट की तरफ जाने लगता है कि समाज की भीड़ उसे रोक लेती है। उस भीड़ से कुछ लोग अन्नू और गुड्डू की तरफ देखकर कहते है।

“आप रहने दीजिए, हम लेकर आयेंगे प्रेस वाले को, वो आपका नही समाज का गुनहगार है, हमे देर से ही सही गुनाह और गुनहगार का फर्क समझ में आ गया आपकी वजह से। फिर भीड़ का एक हिस्सा प्रेस वाले को ढूंढने निकलता है, गुड्डू की बहन एक नजर अपने भाई और एक नजर बिट्टू को देखती है। गुड्डू अपनी बहन का हाथ थामे पूरी भीड़ के सामने खड़ा है। उस वक्त वहा खड़े लोगो को ये समझ आता है कि दुनिया का सबसे बड़ा रिश्ता भरोसे का रिश्ता होता है, दुनिया का सबसे कीमती धागा भरोसे का धागा होता है जो इस वक्त गुड्डू की कलाई मे अपनी मटमैली रंगत में भी जगमगा रहा था।
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