सेहत

बबूल कीकर, बबूल,,,”हीलिंग ट्री”…गांव देहात की चमत्कारी चिकित्सा,,,,,

Anamika Shukla
================
·
बबूल 🌹
कीकर,,बबूल,,हीलिंग गांव_देहात चमत्कारी चिकित्सा,,,,,
अपने आस-पास के घास-फूस और पेड़-पौधों में इतनी समस्याओं का समाधान छुपा है, लेकिन हमें सही जानकारी और पहचान ही नहीं।

अब यह सहज उपलब्ध पेड़ बबूल या देशी कीकर (Acacia) “हीलिंग ट्री” के नाम से मशहूर है क्योंकि इसके सभी भागों (छाल, जड़, गोंद, पत्ते, फली, बीज) का उपयोग विभिन्न औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। बबूल के पेड़ के पत्ते, फूल और छाल बहुत गुणकारी होते हैं। इनका उपयोग कई दवाओं को बनाने में होता है।

इसकी छाल में बीटा ऐमीरीन, गैलीक अम्ल, टैनिन, कैटेचीन, क्वेरसेटिन, ल्युकोसायनीडीन होता है।

फल में गैलिक अम्ल, कैटेचीन, क्लोरोजैनिक अम्ल होता है। अपने औषधीय गुणों के कारण बबूल गोंद को विभिन्‍न प्रकार की स्‍वास्‍थ्‍य संबंधित समस्‍याओं को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्‍वों में गैलेक्‍टोज (Galactose), ग्लुको रोनिक एसिड (Glucoronic Acid), आरबीनोगलैक्‍टन-प्रोटीन कॉम्‍प्‍लेक्‍स (Arabinogalactan-Protein Complex), ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoprotein) आदि शामिल होते हैं। इन पोषक तत्‍वों के अलावा इसमें बहुत से एंटीऑक्‍सीडेंट गुण और खनिज पदार्थ भी शामिल हैं।

अगर किसी के दस्त में खून आ रहे हों तो उसे शहद के साथ बबूल की हरी पत्तियों के रस को मिलाकर दिन में 2-3 बार पीना चाहिए। इससे काफी आराम मिल सकता है।

इसके अलावा दस्त और खूनी दस्त, दोनों में आराम पाने के लिए आधा कप पानी में 10 ग्राम बबूल के गोंद को अच्छे से मिलाकर उसे छानकर पीने से काफी आराम मिलता है
आंतों, पेट, टॉन्सिल में घाव या छाले हैं तो कीकर के छाल के काढ़े से या पत्रों के रस से कुल्ला करना चाहिए। कोमल टहनी या पत्तों के रस में हल्दी मिलाकर तीन या चार दिन तक पिलानी चाहिए।

बबूल के काढ़े में दर्द निवारक गुण होता है, जो पीरियड्स में होने वाली परेशानी को दूर कर सकता है। अगर आपको पीरियड्स के दिनों में काफी दर्द या ऐंठन की परेशानी होती है तो इस काढ़े का सेवन करें। इससे काफी लाभ मिलेगा।

जोड़ों घुटनों और कमर के दर्द जो कि शारीरिक क्षति यानि डीजनरेटिव चेंज आने के कारण होता है।

इसमें भी बबूल की छाल, फली और गोंद को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार सेवन करने से कमर दर्द में आराम मिलेगा।
इसके एंटी ऑक्सीडेंट एंटी ऐसिड और एंटी इंफ्लामेटरी गुण उस समस्या से छुटकारा दिला सकते हैं

अपनी हीलिंग प्रॉपर्टीज और एंटी बैक्टेरियल तथा एंटी सेप्टिक गुणों के कारण शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव हो रहा हो तो उस पर बबूल के पत्तों का रस लगाना चाहिए। ऐसा करने से बहुत तेजी से हील होता है। इसके अलावा सूखे पत्तों या सूखी छाल का चूर्ण रक्तस्राव वाले स्थान पर छिड़क देना चाहिए। इससे रक्तस्राव रुक जाता है।

इसी तरह 10-15 बबूल के कोमल पत्ते लें। इसमें 2-4 नग काली मिर्च और 2 चम्मच चीनी मिलाएं, पीस कर छान लें। इसे पिलाने से आमाशय से होने वाला रक्तस्राव ठीक हो जाता है।
बबूल की फलियों का रस निकालकर सुखाकर या ताजा थोड़ी सी मात्रा में सेवन करने से त्वचा में खिंचावट आती है तथा स्त्री यौन अंगों की स्थिलता समाप्त होती है

ऑटो इम्युन डिज़ीज़ तथा कैंसर का सबसे बड़ा कारण है रक्तपित्त दोष, खून का एसिडिक और दूषित हो जाना, अपने एंटी ऑक्सीडेंट फाइटो एंटी एसिडिक, एंटी कार्सिनोजेनिक गुणों और खूब सारे पोषक तत्वों के कारण बबूल के पत्ते तथा गोंद न‌ सिर्फ कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकते हैं बल्कि उनको नष्ट करनी की शक्ति रखते हैं।

कैंसर के शुरूआती लक्षण को रोकने में बबूल गोंद बेहद उपयोगी है।

इसका उपयोग बहुत सी दवाओं के रूप में कर सकते हैं।

यह एक्जिमा को कंट्रोल करता है।

स्किन में खुजली, जलन और रूखेपन जैसी समस्या को ठीक करने में बबूल गोंद बेहद उपयोगी है।

ल्यूकोरिया यानि श्वेत प्रदर के इलाज के लिए 10 ग्राम बबूल की छाल को 400 मिली जल में पकाएं।

जब काढ़ा 100 मिली रह जाए तो काढ़ा में 2 चम्मच मिश्री मिला लें। इसे सुबह-शाम पिएं। इससे ल्यूकोरिया में फायदा होता है।

काढ़े में थोड़ी-सी फिटकरी मिलाकर जननांग को धोने से भी ल्यूकोरिया में फायदा मिलता है।

ऐसे ही मासिक धर्म में अधिक रक्त आने या दर्द होने पर भी यही काढ़ा बहुत लाभदायक होता है।

साभार डॉ० जयवीर सिंह 🙏

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *