सेहत

बढ़ गया है इंसानों के ब्रेन का साइज़, हमारी सेहत में कई प्रकार के बदलाव हो रहे हैं : स्वास्थ्य विशेषज्ञ

पिछले पांच-सात दशकों में हमारी सेहत में कई प्रकार के बदलाव नोटिस किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, इस अवधि में कई प्रकार की क्रोनिक बीमारियों का जोखिम काफी तेजी से बढ़ा है। डायबिटीज-हृदय रोगों के मामले अब कम उम्र के लोगों में भी बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। इसी तरह के एक अध्ययन में शोधकर्ताओं की टीम ने पाया कि समय के साथ इंसानों के मस्तिष्क का आकार भी बदल गया है।

जामा न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार मानव मस्तिष्क का आकार अब पहले की तुलना में बढ़ गया है। अध्ययन में पाया गया है कि 1930 के दशक की तुलना में 1970 के दशक में जन्मे लोगों के मस्तिष्क के माप में परिवर्तन हुआ है।

लंबे समय से चले आ रहे हार्ट के अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों की टीम ने ब्रेन की इमेजिंग डेटा का भी अध्ययन किया, जिससे पता चलता है कि करीब 40 वर्षों के दौरान इंसानों के मस्तिष्क के आकार में कुछ बदलाव आ गया है। अब सवाल ये उठता है कि ब्रेन का साइज बढ़ने का क्या मतलब हो सकता है, क्या ये इंसानी सेहत के लिए लाभकारी संकेत है या फिर इसके नुकसान हो सकते हैं? आइए समझते हैं।

बढ़ गया है इंसानों के ब्रेन का साइज

ब्रेन के बढ़ते आकार को विशेषज्ञ सकारात्मक तौर पर देखते हैं। अल्जाइमर डिजीज रिसर्च सेंटर एंड इमेजिंग ऑफ डिमेंशिया के शोधकर्ता चार्ल्स डेकार्ली कहते हैं, ब्रेन का साइज बढ़ने से उम्र बढ़ने के साथ होने वाली की बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा मिल सकती है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि ये डिमेंशिया रोग के खिलाफ भी सुरक्षा प्रदान करने वाली हो सकती है।

प्रकाशित शोध के अनुसार आने वाले दशकों में हमें अल्जाइमर रोग-डिमेंशिया के मामलों में कमी देखने को मिल सकती है।

क्या कहते हैं अध्ययनकर्ता?

प्रोफेसर चार्ली कहते हैं, यह अंतर कम से कम हाई स्कूल शिक्षा वाले व्यक्तियों में नोटिस किया जा रहा है। हमने पाया है कि मस्तिष्क के आकार में अंतर करीब तीन पीढ़ियो के बाद देखा जा रहा है। वहीं मेयो क्लिनिक में शोधकर्ता प्रशांति वेमुरी ने एक संपादकीय में लिखा, “यदि इन परिणामों की दूसरों अध्ययनों द्वारा भी पुष्टि की जाती है तो ये अंतर उम्र बढ़ने के साथ होने वाली बीमारियों और डिमेंशिया के खतरे को कम करने की दिशा में बेहतर संकेतक हो सकता है।
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उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कतों में कमी की संभावना

एशियाई और भारतीय आबादी पर इसका क्या असर हो सकता है, इसे समझन के लिए हमने रांची स्थित रिम्स अस्पताल में न्यूरोसर्जन डॉ विकास कुमार से बातचीत की। डॉ विकास बताते हैं, ब्रेन के आकार बढ़ने से उम्र से संबंधित मस्तिष्क की बीमारियों में कमी आने की उम्मीद है। जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती जाती है त्वचा की तरह ब्रेन भी सिकुड़ने लगता है। आकार बड़ा होने पर उम्र के साथ इसमें होने वाली प्राकृतिक सिकुड़न से तंत्रिकाओं को कम नुकसान होने की संभावना रहेगी, जो आपको मस्तिष्क और न्यूरोलॉजी से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों से बचाने में सहायक हो सकती है।

डिमेंशिया के मामलों में कमी आने की उम्मीद

गौरतलब है कि साल 1948 से चल रहा ये अध्ययन नेशनल हार्ट, लंग्स एंड ब्लड इंस्टीट्यूट द्वारा प्रायोजित है, जिसमें हृदय और अन्य बीमारियों के पीढ़ीगत पैटर्न में हो रहे बदलावों को समझने की कोशिश की जा रही है। इसी अध्ययन से संबंधित एक पुराने पेपर में भी वैज्ञानिकों की टीम ने कहा था कि डिमेंशिया के मामले कम हो रहे हैं।

अध्ययन के लेखक कहते हैं, इन निष्कर्षों को मान्य करने और इसकी प्रमाणिकता के लिए अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि इन रुझानों से जो संकेत मिल रहे हैं वह निश्चित ही सकारात्मकता वाले हैं।

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स्रोत और संदर्भ
Trends in Intracranial and Cerebral Volumes of Framingham Heart Study Participants Born 1930 to 1970

अस्वीकरण: लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर तीसरी जंग हिंदी किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।