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#बजट के बाद गौतम #अदाणी 15 स्थान पर पहुंच गए, अडानी की कंपनियों के शयरों में आज भी भारी गिरावट हुई : रिपोर्ट

केंद्र सरकार की तरफ से पेश किए गए बजट के बीच जहां शेयर बाजार लगातार बढ़ा, वहीं भारत के अरबपतियों की संपत्ति में उतार चढ़ाव जारी है। ताजा जानकारी के मुताबिक, बजट पेश किए जाने के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी 83.7 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में नौवें नंबर पर आ गए हैं, जबकि शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग के आरोपों के बीच गौतम अदाणी फिलहाल 75.1 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ 15वें नंबर पर हैं। एक दिन पहले ही वह अमीरों की सूची में 11वें स्थान तक खिसक गए थे। हालांकि, बजट भाषण के बीच में उनके समूह की कंपनियों के शेयर में सुधार हुआ था और वह टॉप-10 अमीरों की सूची में लौट आए थे। हालांकि, बजट के बाद वह 15 स्थान पर पहुंच गए।

हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में हुए खुलासे के बाद एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति में शुमार गौतम अदाणी को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। तीन दिन में उनके समूह की कंपनियों को 34 अरब डॉलर का घाटा हुआ था।

हिंडनबर्ग की हालिया रिपोर्ट में क्या है?
25 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अदाणी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि यह समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से अदाणी समूह के संस्थापक गौतम अदाणी की संपत्ति एक अरब डॉलर बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है। इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े हैं।

 

Sanjeevchandel
@Sanjeev22053300
बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, PNB, यूनियन बैंक, SBI किसी बैंक को मित्र की सेवा से दूर नहीं रखा गया।
साहब, अब और कितना डुबायेंगे।
अब रहने दीजिए, दुनिया
आपकी दोस्ती जान गई.. कांग्रेस

Akash kaushal
@akashkaushal199

Today’s Forbes report states that Adani Group will soon be out of the list of World 20 Richest Person. The condition that Sahara India had done a few years ago, the same condition will happen to those people who invested in Adani Group.
#Adaniscam

Suban.M
@idsuban7
Stock performance of Adani Group companies in last few days

Shares of Adani Group’s Total Gas Company fell by over 50%

गौतम अदानी मुश्किल में फंसे तो क्या अंबानी परिवार ने बचाया?

गुजरात से आने वाले अरबपति व्यवसायी गौतम अदानी के लिए मंगलवार का दिन राहत की ख़बर लेकर आया.

उनकी कंपनी अदानी एंटरप्राइज़ेज़ की ओर से पिछले हफ़्ते बाज़ार में उतारे गए एफ़पीओ यानी फ़ॉलो-ऑन पब्लिक ऑफ़र को आख़िरकार पूरी तरह ख़रीद लिया गया.

अदानी समूह 20 हज़ार करोड़ रुपये जुटाने के मक़सद से इस पब्लिक ऑफ़र को लेकर आया था जिसे ख़रीदने की अंतिम तारीख़ 31 जनवरी यानी मंगलवार थी.

लेकिन सोमवार तक इस पब्लिक ऑफ़र के लगभग तीन फ़ीसद हिस्से को ही ख़रीदा गया था.

इसके बाद एकाएक सोमवार देर शाम ख़बरें आना शुरू हुईं कि अबू धाबी के शाही परिवार से जुड़ी इंटरनेशनल होल्डिंग कंपनी ने अदानी समूह में 3218 करोड़ रुपये का निवेश करने का फ़ैसला किया है.

इसके साथ ही भारत के कई फ़ैमिली ऑफ़िसेज़ की ओर से इस एफ़पीओ में रुचि दिखाने की ख़बरें आईं. फ़ैमिली ऑफ़िस से आशय उन फ़र्मों से है जो बेहद अमीर लोगों की निजी संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं.


लेकिन मंगलवार सुबह तक ये सामने नहीं आया था कि भारत के कौन से व्यवसायी अदानी समूह में निवेश करना चाहते हैं.

हालांकि, बुधवार सुबह छपे फ़ाइनेंशियल एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़, इस मामले से अवगत लोगों ने बताया है कि मुकेश अंबानी मुश्किल के वक़्त में गौतम अदानी की मदद को आगे आए हैं.

हालांकि, मुकेश अंबानी अकेले नहीं हैं जिन्होंने इस मौके पर गौतम अदानी की मदद की है.

टेलीग्राफ़ में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि अदानी समूह की मदद करने वालों में जेएसडब्ल्यू स्टील के मालिक सज्जन जिंदल, एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल और जायडस लाइफ़ के पंकज पटेल के शामिल होने की ख़बरें आ रही हैं.

बिज़नेस जगत की ख़बरें देने वाले अख़बार लाइव मिंट की रिपोर्ट में भी इन कयासों का ज़िक्र है, लेकिन अब तक ये स्पष्ट नहीं हो सका है कि किस-किस व्यवसायी ने अदानी समूह की कितनी मदद की.


इस एफ़पीओ से जुटाई गई रक़म, क़र्ज़ लौटाने से लेकर अदानी एंटरप्राइज़ेज़ और समूह की दूसरी कंपनियों के पूंजी विस्तार में ख़र्च की जाएगी.

हालांकि, ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में इस मसले से जुड़े एक अहम पहलू को सामने लाया गया है.

रिपोर्ट कहती है कि एफ़पीओ का उसके आख़िरी दिन पूरी तरह सब्सक्राइब हो जाना अदानी समूह के लिए जंग जीतने जैसा है.

क्योंकि किसी भी पब्लिक ऑफ़र का सौ फ़ीसद बिकना ज़रूरी होता है. लेकिन इससे अदानी समूह की कॉरपोरेट गवर्नेंस को लेकर निवेशकों की चिंताओं का अंत नहीं हुआ है.

यही नहीं, ख़ुदरा निवेशकों ने उनके लिए तय किए गए शेयरों में से सिर्फ़ 10 फ़ीसद हिस्से को ही ख़रीदा है.

और इससे अदानी समूह का वो उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा है जिसका ज़िक्र अदानी समूह के सीएफ़ओ जुगेशिंदर सिंह ने बीते नवंबर में किया था.

जुगेशिंदर सिंह ने कहा था कि हालिया वर्षों में रणनीतिक निवेशकों पर ध्यान देने के बाद अदानी समूह अपने निवेशक समूह को विस्तार देने की कोशिश कर रहा है.