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कामरेड शशि प्रकाश की ताज़ा कविता … हमारे लहूलुहान समय का एक दृश्य-चित्र!
* स्टिललाइफ़ 2023 तिपहरी उदास, सुनसान। एकाकी उचाट आत्मा पर ग्लानिग्रस्त गुलाब की छाया गिरती हुई अनमनी। पुराने बरगद की लटकती बरोहें डोलती हुई हवा में जिन्हें फिर से मिट्टी तक पहुँच कर नयी जड़ें बनना था। मनहूसी भरे आसमान में पुच्छल तारे सी उगी एक बन्दूक। नीचे कंसंट्रेशन कैम्प जैसी किसी आतंककारी इमारत के […]
उलझा हुआ इंसान…..जो वो कर रहा है वो बदमाशी है, ग़लत है!
Tajinder Singh ============= उलझा हुआ इंसान….. एक छोटा बच्चा रसोई में घुस आटा बिखेर रहा था। माँ कहीँ व्यस्त थी। अचानक माँ ने देखा तो दूर से ही डांट लगाई। बच्चा हड़बड़ा गया और वहां से भाग निकला। एक छोटे बच्चे को भी धीरे धीरे सही गलत का ज्ञान हो जाता है। वो जानता है […]
समय पुराना था, घर की बेटी, पूरे गाँव की बेटी होती थी…आज की बेटी पड़ोसी से ही असुरक्षित हैं…!…by-अंगद अग्रहरि
Anand Agrahari ============= समय पुराना था तन ढँकने को कपड़े न थे, फिर भी लोग तन ढँकने का प्रयास करते थे …! आज कपड़ों के भंडार हैं, फिर भी तन दिखाने का प्रयास करते हैं समाज सभ्य जो हो गया हैं ।
समय पुराना था, आवागमन के साधन कम थे। फिर भी लोग परिजनों से […]