शहर में बंदर पकड़ने के रेट में बड़ा खेल सामने आया है। जिस मंकी कैचर का एक बंदर पकड़ने का रेट मथुरा में 100 और फिरोजाबाद में 200 रुपये है, उसी का रेट बनारस आते-आते 745 रुपये हो गया। नगर निगम बंदरों को पकड़ने और उन्हें वन क्षेत्रों में छोड़ने के लिए मथुरा के छाता निवासी मोहम्मद इमरान की सेवाएं लेता रहा है। इमरान कुछ समय पहले तक वाराणसी में 300 और 500 रुपये में एक बंदर पकड़ता था, लेकिन इस बार 745 रुपये में एक बंदर पकड़ रहा है।
इमरान उत्तराखंड, राजस्थान, मथुरा, फिरोजाबाद, सहारनपुर, बरेली, बागपत सहित कई जिलों में बंदर पकड़ने का काम करता है। यह काम पूरा परिवार 50 साल से करता चला आ रहा है। इमरान ने बताया कि बंदर पकड़ने के कार्य में 8 कर्मचारी, दो टेंपो और जाली, पिंजड़े का उपयोग होता है। बंदरों के खान-पान पर भी खर्च होता है। एक बंदर का खर्च 200 रुपये तक आता है।
इससे पहले नगर निगम ने शहर में बंदर पकड़ने के लिए मथुरा के ही शकील को रखा था। उसे एक लाख बंदर पकड़ने का टारगेट दिया गया था। हालांकि इमरान का कहना है कि नगर निगम बिना टेंडर कराए बंदर पकड़ने की अनुमति दे तो वह 500 रुपये में एक बंदर पकड़ेगा, लेकिन नगर निगम बिना टेंडर के बंदर पकड़ने की अनुमति नहीं दे रहा है। इस कारण ज्यादा पैसे लग रहे हैं।
शहर में बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। लंका निवासी राहुल ने बताया कि बंदर छोटे बच्चों को ज्यादा निशाना बनाते हैं। गली में बैठे बंदर उनको काटकर सामान ले लेते हैं। उधर, मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में एक महीने में बंदरों के काटने के कारण 130 लोगों ने एंटी रैबीज का इंजेक्शन लगवाया है।