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फ़िलिस्तीन और कर्बला में संबंध : रिपोर्ट

अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने वालों ने कहा है कि मुजाहिदों ने प्रतिरोध की संस्कृति को कर्बला से लिया है।

26 मेहर 1403 अर्थात 17 अक्तूबर 2024 को ईरान के पवित्र नगर मशहद में एक अंतरराष्ट्रीय बैठक का आयोजन किया गया जिसमें शहीद हसन नसरुल्लाह और शहीद इस्माईल हनिया के स्थानों पर रोशनी डाली गयी और ईरान की इस्लामी व्यवस्था के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. की बेटी डा᳴क्टर श्रीमती मुस्तफ़वी को सम्मानित किया गया।

पार्सटुडे ने समाचार एजेन्सी इर्ना के हवाले से बताया है कि इस कार्यक्रम व समारोह में ज़ायोनी सरकार और उसके अत्याचार से मुक़ाबले पर बल दिया गया।

ईरान की संसद मजलिसे शुराये इस्लामी के सभापति मोहम्मद बाक़िर क़ालीबाफ़ ने इस समारोह में बल देकर कहा कि इस्राईल से मुक़ाबला और इस अतिग्रहणकारी सरकार से संघर्ष का स्रोत स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. की शिक्षायें हैं। साथ ही उन्होंने बल देकर कहा कि इस्लामी क्रांति का आधार, अत्याचार से मुक़ाबला व संघर्ष है।

लेबनानी सांसद शैख़ हसन इज़्ज़ुद्दीन ने भी इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की समाप्ति पर कहा कि प्रतिरोध मोर्चे ने इस नारे के साथ कि हम कर सकते हैं, बहुत से संकटों को पार कर लिया है। इस सम्मेलन का एक महत्वपूर्ण भाग यह था कि उसमें स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. की बेटी डा᳴क्टर मुस्तफ़वी को सम्मानित किया गया और उसमें ईरान की इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता के संदेश को भी पढ़ा गया।

इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता सैयद अली ख़ामेनेई ने अपने संदेश में कहा कि इस महान महिला ने अपने अमल से दर्शा दिया कि वह महान हस्ती व विद्वान की बेटी हैं और वह उसी महान हस्ती यानी स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी रह. के मार्ग में अग्रसर हैं और उसका एक नमूना इस महान महिला द्वारा फ़िलिस्तीनी संस्था का गठन है।

26 मेहर अर्थात 17 अक्तूबर को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के दिन ही कुछ दूसरे जनसंगठनों व संस्थाओं की बैठक भी हुई जिसमें फ़िलिस्तीनी जनता के समर्थन के मार्गों की समीक्षा की गयी।

इससे पहले यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन दमिश्क, नई दिल्ली और दामग़ान में आयोजित हुआ था।