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फ़िलिस्तीनी संगठनों की सुरंगे जटिल और मज़बूत बनाई गयी हैं, इनमे कई जगहों पर क्रास प्वाइंट होंगे इसका हमें अंदाज़ा नहीं था : इस्राईली सेना

हमास की जटिल ताक़त पश्चिमी एशिया मे नई जियो पालिटिक्स का एक और गहरा संकेत

इस्राईली सेना के इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के कमांडर ने न्यूज़वीक से बातचीत में कहा कि हमें पता था कि हम ग़ज़ा पट्टी में वो सब देखेंगे जिसकी हमें पहले से अपेक्षा है लेकिन हमास और अन्य फ़िलिस्तीनी संगठनों की सुरंगे इतनी जटिल होंगी और इतनी मज़बूती के साथ बनाऐई गई होंगी और उनमें कई जगहों पर क्रास प्वाइंट होंगे इसका हमें अंदाज़ा नहीं था। हमन इन सुरंगों में दाख़िल नहीं होते लेकिन इनका जो हिस्सा हमने देखा वो हमारे लिए हैरतअंगेज़ था।

न्यूज़ीवीक मैगज़ीन का विशलेषण यह था कि सुरंगों का जाल दरअस्ल फ़िलिस्तीनी संगठनों और मुख्य रूप से हमास की रक्षा रणनीति का हिस्सा है। इन सुरंगों के बारे में कहा जाता है कि 40 साल से ज़्यादा पुरानी हैं और उस समय भी बड़ी सफलता के साथ इस्तेमाल की जाती थीं जब ग़ज़ा पट्टी पर ज़ायोनी सेना का क़ब्ज़ा था मगर ग़ज़ा पट्टी से ज़ायोनी सेना के निकल जाने के बाद 2007 में ग़ज़ा पट्टी का प्रशासन हमास ने संभाला तो टनल्ज़ का यह नेटवर्क बहुत व्यापक हो गया है।

यहां तक कहा जाता है कि यह सुरंगें ग़ज़ा की लाइफ़लाइन का दर्जा रखती हैं। इस समय इन्हीं सुरंगों की वजह से हमास ने ग़ज़ा पट्टी के इलाक़े में ज़ायोनी सेना को जो दुनिया की बड़ी शक्तिशाली सेनाओं में ख़ुद को गिनती है नाकों चने चबवा दिए।

ज़ायोनी सेना को जहां भी यह सुरंगें नज़र आईं उसने उन्हें ध्वस्त कर दिया लेकिन इसके बाद भी यह नज़र आता है कि न तो फ़िलिस्तीनी रेज़िस्टेंस संगठनों की गतिविधियों में कोई कमी आई है और उन के हमलों पर क़ाबू पाया जा सका है।

जेहादे इस्लामी और दूसरे फ़िलिस्तीनी संगठन भी इन सुरंगों को इस्तेमाल करके अपनी रेज़िस्टेंस गतिविधियां करते हैं।

इस समय जब ग़ज़ा पट्टी में संघर्ष विराम जारी है और क़ैदियों की रिहाई की प्रक्रिया चल रही है तो आने वाले दिनों में इस्राईल के हमले फिर शुरू हो जाने की संभावना को देखते हुए हमास ने ख़ुद को तैयार कर लिया है। हमास ने कहा है कि वो इस्राईल से लंबी लड़ाई के लिए तैयार है।

हमास ने जब तूफ़ान अलअक़सा आप्रेशन किया और उससे पूरा इस्राईल दहल गया और फिर इस्राईल ने ग़ज़ा पट्टी पर हमला कर दिया तो बहुत से इस्राईल समर्थक यह बातें कहने लगे थे कि हमास ने जल्दबाज़ी में एक क़दम उठाया और फिर जब उसके जवाब में इस्राईल ने ग़ज़ा पट्टी पर हमला किया है तो हमास को अब अपनी ग़लती का एहसास हो रहा होगा।

मगर इस तरह की बातें इस्राईल के शुभचिंतक ही करते हैं। शेष टीकाकार तो ज़मीनी हालात का जायज़ा लेने के बाद यही कह रहे हैं कि हमास ने पूरे आप्रेशन और इसके नतीजों और असर का हर पहलू से जायज़ा लिया और ख़ुद को पहले ही बड़े युद्ध के लिए तैयार कर लिया था इसका सुबूत तब मिला जब यह नज़र आया कि इस्राईल अमरीका के भरपूर समर्थन और अपनी पूरी शक्ति झोंक देने के बावजूद हमास को ख़त्म नहीं कर पाया जिसका वह बड़ा दावा करता था।

यह दरअस्ल केवल हमास की स्थिति नहीं है बल्कि इलाक़े में हिज़्बुल्लाह, अंसारुल्लाह और हश्दुशबी जैसे कई संगठन हैं जो दुश्मन का मुक़ाबला करने की अपनी क्षमताओं का लोहा मनवा चुके हैं। यह सब प्रतिरोध मोर्चे या रेज़िस्टेंस फ़्रंट का एक हिस्सा हैं और यह रेज़िस्टेंस फ़्रंट अपने अपने समाजों को मज़बूत करने के साथ ही पश्चिमी एशिया के इलाक़े को अमरीकी प्रभाव से बाहर निकालने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। निश्चित रूप से ईरान इस पूरे फ़्रंट का सूत्रधार है।