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फ़ार्स खाड़ी में अमरीकी युद्धपोत ईरान से एक हज़ार किलोमीटर दूर भागे, वजह जानिये!

ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ के जनरल स्टाफ़ के चीफ़ जनरल मुहम्मद बाक़ेरी ने कहा कि पिछले दो साल में कोई भी अमरीकी विमान वाहक पोत और हेलीकाप्टर फ़ार्स खाड़ी के भीतर नहीं आया और इस समय ईरान से उनकी दूरी एक हज़ार किलोमीटर से ज़्यादा है।

जनरल बाक़ेरी ने बूशहर में प्रशासनिक काउंसिल की बैठक में ईरान की आर्म्ड फ़ोर्सेज़ की सराहना करते हुए कहा कि ईरान की सेना, पासदाराने इंक़ेलाब फ़ोर्स, एयर डिफ़ेंस विभाग, अलग अलग सुरक्षा विभाग और बसीज फ़ोर्स सब भरपूर तरीक़े से तैयार हैं और उनकी क्षमताएं सराहनीय हैं।

जनरल बाक़ेरी ने कहा कि अमरीका और इलाक़े में उसके घटक बड़ी मेहनत से इस कोशिश में लगे हुए थे कि फ़ार्स खाड़ी में ईरान के संसाधनों तक पहुंच बना लें, आठ वर्षीय जंग के बाद तक अमरीकी विमान वाहक पोत, हेलीकाप्टर और पनडुब्बियां फ़ार्स खाड़ी में गश्त करती थीं और ईरान के तट से दस बारह किलोमीटर की दूरी तक आ जाती थीं मगर आज स्थिति यह है कि पिछले दो साल में एक भी अमरीकी विमान वाहक पोत और कोई भी हेलीकाप्टर फ़ार्स खाड़ी में तैनात नहीं हो सका बल्कि वो ईरान के तट से एक हज़ार किलोमीटर से अधिक दूरी पर हैं।

जनरल बाक़ेरी ने कहा कि ख़ुद अमरीकियों ने यह बयान दिया है कि ईरान के मिसाइलों की रेंज बढ़ गई है जिसके बाद यहां हमारा ठहरना ख़तरनाक है।

वरिष्ठ ईरानी कमांडर ने कहा कि हमारी फ़ोर्सेज़ लगातार दुश्मन की गतिविधियों पर नज़र रखती हैं, और अगर दुश्मन ईरान पर हमला नहीं कर रहा है तो यह इंसानियत के नाते नहीं बल्कि ईरान की प्रतिरोधक ताक़त की वजह से है।

 

दबाव और धमकियों के बीच ईरान, वार्ता को तैयार नहींः कनआनी

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि धमकियों और दबाव के बीच ईरान कभी भी वार्ता के लिए तैयार नहीं है।

नासिर कनआनी का कहना है कि अमरीकी अधिकारी जानते हैं कि ईरान किसी भी प्रकार के दबाव में बातचीत के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि धमकी देकर विशिष्टता नहीं ली जा सकती।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनआनी ने सोमवार को अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अमरीका के निकट वार्ता को प्राथमिक्ता नहीं है बल्कि उसका ध्यान अन्य मुद्दों पर है। जेसीपीओए के बारे में पश्चिम के सदस्यों की वार्ता और व्यवहार में विरोधाभास पाया जाता है। उनका कहना था कि यह अमरीकी क्रियाकलापों का ही परिणाम है कि उन्हें इस संबन्ध में अपने ग़ैर ज़िम्मेदाराना व्यवहार और कार्यों के लिए जवाबदेह होना चाहिए।

नासरि कनआनी ने कहा कि ईरान, परमाणु समझौते के निकमों के प्रति कटिबद्ध था जबकि अमरीकी सरकार, जेसीपीओए की उल्लंघनकर्ता रही है। उन्होंने कहा कि इस बारे में जेसीपीओए के यूरोपीय सदस्यों ने भी अपने वचनों का पालन नहीं किया। अमरीका द्वारा एकपक्षीय रूप से परमाणु समझौते से निकल जाने की उन्होंने किसी भी रूप में क्षतिपूर्ति नहीं की। ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना था कि तेहरान अबभी परमाणु वार्ता के लिए पाबंद है।