ब्यूरो । भारत में लोकतान्त्रिक प्रक्रिया को मज़बूत बनाने में देश की संसद की सर्वोच्च भूमिका रही है तथा संसद ही भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है। भारतीय संसद में द्विसदनीय व्यवस्था है। भारतीय संसद में राष्ट्रपति तथा दो सदन- लोकसभा एवं राज्यसभा होते हैं। राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने अथवा लोकसभा को भंग करने की शक्ति है। भारतीय संसद का संचालन ‘संसद भवन’ में होता है।
राज्य सभा में राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का निर्वाचन अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति द्वारा किया जाता है। प्रत्येक राज्य तथा दो संघ राज्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों का निर्वाचन उस राज्य की विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों तथा उस संघ राज्य क्षेत्र के निर्वाचक मंडल के सदस्यों, जैसा भी मामला हो, द्वारा एकल संक्रमणीय मत द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार किया जाता है।
राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव राज्य की विधान सभा के चुने हुए सदस्यों द्वारा होता है। राज्यसभा में स्थान भरने के लिए राष्ट्रपति, चुनाव आयोग द्वारा सुझाई गई तारीख को, अधिसूचना जारी करता है। जिस तिथि को सेवानिवृत्त होने वाले सदस्यों की पदावधि समाप्त होनी हो उससे तीन मास से अधिक समय से पूर्व ऐसी अधिसूचना जारी नहीं की जाती। चुनाव अधिकारी, चुनाव आयोग के अनुमोदन से मतदान का स्थान निर्धारित और अधिसूचित करता है।
दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निर्वाचक मंडल में दिल्ली विधान सभा के निर्वाचित सदस्य और पुडुचेरी संघ राज्य क्षेत्र के निर्वाचक मंडल में पुडुचेरी विधान सभा के निर्वाचित सदस्य शामिल हैं।
संविधान में यह व्यवस्था है कि राज्य सभा में 250 सदस्य होंगे। उनमें से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाएंगे होंगे जिन्हें साहित्य, विज्ञान, कला और सामाजिक सेवा के संबंध में विशेष जानकारी या व्यावहारिक अनुभव प्राप्त हो। राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों के 238 से ज्यादा प्रतिनिधि नहीं होंगे।
राज्यसभा को कभी भंग नहीं किया जाता है। हर दो साल में में इसके एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं। जिसके बाद चुनाव कराकर नए सदस्य छह साल के लिए सांसद बनते हैं।
राज्य सभा के लिए अप्रत्यक्ष चुनाव होता है, राज्यों का प्रतिनिधत्वि करने वाले सदस्यों का चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत के द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार राज्यों के विधान सभाओं के द्वारा और जब राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वालों का चुनाव संसद द्वारा कानून के तहत निर्धारित तरीके से होता है।
वर्तमान में राज्य सभा में 245 सीटें हैं। उनमें से 233 सदस्य राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित हैं। संसद सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए एक व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए। राज्य सभा में चुने जाने के लिए उसकी आयु कम से कम 30 वर्ष होनी चाहिए।
राज्य सभा के पीठासीन अधिकारियों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे सभा की कार्यवाही का संचालन करें। भारत के उपराष्ट्रपति राज्य सभा के पदेन सभापति हैं। राज्य सभा अपने सदस्यों में से एक उपसभापति का भी चयन करती है। राज्य सभा में उपसभाध्यक्षों का एक पैनल भी होता है, जिसके सदस्यों का नामनिर्देशन सभापति, राज्य सभा द्वारा किया जाता है। सभापति और उपसभापति की अनुपस्थिति में, उपसभाध्यक्षों के पैनल से एक सदस्य सभा की कार्यवाही का सभापतित्व करता है।