साहित्य

प्रेम पत्र…প্রেমের চিঠি…By-पुष्पिता चट्टोपाध्याय

Puspita Chatterjee
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প্রেমের চিঠি
পুষ্পিতা চট্টোপাধ্যায়
তুই ঢেউ দিবি সমুদ্র শীৎকারে
সফেদ ফেনার বালিয়ারী দেব তোকে
বাতাসের সাথে সমুদ্র সঙ্গমে
জীবন কাটাব যা বলে বলুক লোকে।
তুই ফিরে আয় চুমুর শব্দ নিতে
নতজানু হব একটা জীবন পুরো
দুঃখ মোছাব কবিতা ফাল্গুনিতে
আমরা কাঙাল গড়বো স্বপ্ন চূড়ো
তোর দুই চোখে কালবৈশাখী আলো
সেদিন দেখেছি সেই দ্বিপ্রহর মেঘে
কাঁপে বিদ্যুৎ থরথর জমকালো
খড় কুটো পাতা উড়ালি হাওয়ার বেগে
সেই শেষ দেখা সেই শেষ কথাকলি
পাখির উড়ানে তোর শেষ সংবাদ
পৌষী গোধূলি সেদিনের অঞ্জলি
সুর্য ডুবলে রাত্রির অবসাদ
তুই নেই আর পৃথিবীও দিশাহারা
রাত্রির জমি শূন্যতা বুকে চাষ
সাথী হতে চায় কত ভিনদেশী তারা
স্বপ্নের তুই কবিতার ক্যানভাস।

प्रेम पत्र
पुष्पिता चट्टोपाध्याय
तुम ठंडे समंदर में लहरें बनाओगे
मैं तुम्हें सफेद झाग दूंगा बलियारी
समुद्र में हवा के साथ
लोग कुछ भी कहे हम तो अपनी जिंदगी जी लेंगे।
चुम्मा की आवाज लेने तुम लौट आओ
मैं उम्र भर घुटने टेक दूंगा।
उदासी मिटाती है कविता फाल्गुनी में
हम एक बढ़ई बनाएंगे, सपनों के शिखर।
कलबैसाखी तेरी दो नैनों में नूर
उस दिन को दोपहर के बादलों में देखा
कांपते हुए बिजली का थोर्थोर बहुत खूबसूरत है
हवा की रफ़्तार से उड़ रहे हैं तिनका और पत्ते
वह आखिरी बार देखा वह आखिरी बात
परिंदों की उड़ान में आपकी आखिरी खबर
पौशी गोधूलि उस दिन की अंजलि
रात की थकान धूप में डूबती है
तुम नहीं हो और दुनिया भी एक दिशा है
रात की भूमि खालीपन छाती में खेती
कितने विदेशी साथी बनना चाहते हैं
तुम सपनों की कविता का कैनवास हो।