साहित्य

“प्यार कहीं भी, कभी भी हो सकता है”

मेरी शादी हो चुकी थी और मैं अपने पति के घर में कदम रख चुकी थी। मैं उनके कमरे में बैठी हुई थी, जैसे किसी का इंतजार कर रही हूँ। कमरे की हर चीज़ को ध्यान से देख रही थी। दीवारों का रंग, पेंटिंग्स, फूलों की सजावट, यहाँ तक कि मेरी तस्वीरें भी, जो मैंने कभी किसी को नहीं दी थीं। सब कुछ मेरी पसंद का था। मैं सोचने लगी कि ये सब आकाश जी और उनके परिवार को कैसे पता। तभी दरवाजे की आवाज ने मेरा ध्यान भंग किया। आकाश जी, मेरे पति, दरवाजे पर खड़े थे।

उन्होंने कहा, “आराम से रहिए। मैं जानता हूँ, आप अभी मुझे पसंद नहीं करतीं। कोई बात नहीं, वक्त लीजिए। जब आप तैयार हों, तब हम इस रिश्ते को आगे बढ़ाएँगे। आप कंफर्टेबल हैं न? अगर किसी चीज की जरूरत हो, तो बताइए।” उनकी बातों का मैं सिर हिलाकर जवाब देती रही। जब उन्होंने कहा, “कपड़े बदल लीजिए, लहंगा काफी भारी होगा,” तो मैं चुपचाप चेंजिंग रूम चली गई।

जब बाहर आई, तो देखा कि वे मेरे लिए बिस्तर लगा चुके थे और खुद दीवान पर सोने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने कहा, “आप आराम से सो जाइए। किसी चीज की जरूरत हो, तो मुझे बुला लीजिए। गुडनाइट।” मैं बैड पर लेट गई, लेकिन नींद नहीं आई। बीता हुआ कल मेरी आंखों के सामने आ गया।

कॉलेज की बात याद आई। मेरा सपना था कि आईएएस बनकर देश की सेवा करूं। लेकिन पापा ने मेरे आगे पढ़ाई के बजाय मेरी शादी की बात तय कर दी। मैं मजबूर थी और भैया के दबाव में आकाश जी से मिलने गई। मन में असहमति थी, लेकिन कुछ कहने का साहस नहीं जुटा पाई।

शादी के बाद जब मैं नई जिंदगी के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश कर रही थी, तब एक दिन आकाश जी मुझे कहीं ले गए। मैं हैरान रह गई जब उन्होंने मुझे आईएएस कोचिंग सेंटर के बाहर खड़ा पाया। बिना कुछ कहे उन्होंने मेरा दाखिला करवा दिया।

वह केवल यहीं नहीं रुके। हर कदम पर उन्होंने मेरा साथ दिया। मेरी सोच थी कि शादी मेरे सपनों को रोक देगी, लेकिन आकाश जी ने यह साबित किया कि सही जीवनसाथी मिल जाए, तो शादी आपके सपनों को नई उड़ान दे सकती है।

आज, मैं समझ चुकी हूँ कि प्यार कहीं भी, कभी भी हो सकता है। शादी के बाद भी हमारा जीवनसाथी हमारा पहला प्यार बन सकता है। और यही मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई है।