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प्याज का ब्याज़ खाया है कभी…? वो कहते हैं न कि……

Vikas Sharma
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प्याज का ब्याज खाया है कभी…? वो कहते हैं न कि असल से ज्यादा उसका ब्याज प्यारा होता है। प्याज के मामले में अपना भी यही हिसाब है। जानिये आखिर क्या है यह ब्याज…

प्याज की फसल मुख्यतः उगाई जाती है इसके भूमिगत कन्द/ तने के लिए जो वैज्ञानिक रूप से बल्ब कहलाते हैं। इसका खाया जाने वाला भाग न तो जड़ है और न ही तना बल्कि यह तो पत्तियों का निचला फुला हुआ माँसल भाग है जिसके बीच मे अल्पविकसित तना सुरक्षित रहता है। यहाँ तक तो ठीक है लेकिन ब्याज की गुत्थी सुलझनी अभी बाकी है। तो चलिए सीधे चलते हैं, रहस्योद्घाटन पर…

प्याज की खेती क्यो की जाती है, यह तो आपने जान ही लिया है। प्याज के गुणों से भी आप भली भांति परिचित है। यह सब्जी, मसाले और सलाद तीनो रूपों में जमकर पसंद किया जाता है। ज्यादातर घरों के सन्दर्भ में बात करूं तो शायद ही कोई ऐसा व्यंजन होगा जिसमें प्याज की उपस्थिति न होती हो।

मसाले के रूप में प्याज वर्षभर खाई जाती है। किंतु सलाद और सब्जी के रूप में गर्मियों में इसकी खपत अधिक होती है। ग्रामीण बुजुर्गों का कहना है कि गर्मियों में प्याज खाने से लू नही लगती। और तो और अधिक लू भरी हवाओ के बीच यात्रा करना हो तो फिर जेब मे प्याज रखकर घर से निकलें। जरा सोचिए कि बिना विज्ञान पढ़े हमारे बुजुर्गों को ये अकल कहाँ से आई होगी। खैर हम अपने विषय पर आयें। फिलहाल निष्कर्ष की तरह यह मान लें कि गैमियों में इसका शीतल प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है। इसीलिए लू लग जाने पर प्याज को आग में भूनकर पीसा हुआ गूदा पैरों के तलवे के लपट देते हैं, इससे आराम मिलता है।

तो अब बात होगी प्याज के ब्याज पर। ब्याज शब्द का शाब्दिक अर्थ किसी को दिए गए निर्धारित धनराशि की प्राप्ति के साथ साथ उंसके एवज में अतिरिक्त धनराशि प्राप्त करने से है। यहाँ प्याज की फसल याने कंदो के प्राप्त करने के अलावा जब इसकी पत्तियाँ भी सब्जी, चटनी या अन्य व्यंजनों के लिए प्राप्त की जाती है तो इसे ब्याज ही माना जायेगा।

प्याज लगाने वाले किसान जब प्याज का रोप लगाते हैं तब रोप से अल्पविकसित कन्द के ऊपर की पत्तियों को काटकर हटा देते हैं। इससे रोपित भाग अच्छी तरह विकास करता है। यही पत्तियाँ बाजार में या परिचितों के घर पर आ जाती है। इन पत्तियों से भी स्वादिष्ट साग तैयार किया जाता है। भाजी की तरह इन्हें काटकर बना लिया जाता है। चटनी बनाने के लिये इन पत्तियों को सिलबट्टे में पीसकर मिर्च, लहसन, धनिया व नमक के साथ कच्चा या बघार लगाकर ग्रहण किया जाता है। लेकिन मुझे जो पसन्द है वह व्यंजन आपके सामने है। हम इन्हें फँगोरे कहते है। इसकी विधि पोस्ट के अंत मे उपलब्ध करा दूँगा।

प्याज दुनिया की एकमात्र ऐसी सब्जी है जिसका हर भाग उपयोगी है, हर समय उपयोगी है और हर रूप में उपयोगी है। मैं आपका ध्यान प्याज की 2 बिल्कुल अलग प्रवत्तियों की ओर ले जाने वाला हूँ, इसके बाद प्याज के औषधीय गुणों की भी चर्चा करूँगा। ये दोनो विपरीत गुण हैं- प्याज का तीक्ष्ण- गर्म व शीतल स्वभाव। इसकी पत्तियाँ तीक्ष्ण स्वभाव की होती हैं, जिन्हें सर्दियों में ग्रहण करने से फायदा मिलता है। जबकि कन्द शीतल प्रवत्ति का होता है, जिसे गर्मियों में ग्रहण किया जाता है। इसके अलावा प्याज का तेल भी तीक्ष्ण प्रवत्ति का होता है।

वैसे तो प्याज में पाचक एंजाइम पाये जाते हैं जो भोजन के पाचन में सहायक होते हैं। जिसमे पाया जाने वाला सल्फर एक विशेष प्रकार का सौंधापन पैदा करता है, जिससे व्यंजनों का स्वाद बढ़ जाता है। प्याज के रस में सूक्ष्मजीव रोधी गुण पाये जाते है अतः दाद खाज खुजली जैसी त्वचा की बीमारियों में प्याज का रस फायदेमंद होता है। दांतो के कीड़े झड़ाने वाले सबसे चर्चित नुस्खे में रक्त तप्त ईंट पर प्याज रखकर धुआं दिया जाता हैं। कहने को तो प्याज इतनी आम है कि हर घर मे आसानी से मिल जाती है, लेकिन इतनी खास भी है कि सरकारें गिरा दे। कुल मिलाकर हर किसी के पास बतियाने के लिए प्याज के पर्याप्त किस्से हैं। और एक मैं बावरा हूँ, जो प्याज को छोड़कर इसके ब्याज याने इसकी पत्तियों पर लट्टू हूँ।
#फंगोरे

आइये अब आपको प्याज के फँगोरे बनाना सिखाता हूँ। यह हमारे क्षेत्र का एक प्रमुख क्षेत्रीय व्यंजन है। प्याज की पत्तियों के फंगोरे- पतोड़, पात्रे, भाप के पकोड़े, बिना तेल के पकोड़े आदि कई नामों से जाने जाते हैं।
सामग्री:

हरी पत्तेदार प्याज या पत्तियाँ, बेसन, मिर्च, हरा धनिया, काला नमक, सामान्य नमक और थोड़ी मात्रा में जीरे, अजवाइन, सौंफ, हल्दी आदि।
विधि-

प्याज के पत्तो को छोटा छोटा काटकर, बेसन और बाकि सभी सामग्री मिलकर गूथ ले (पानी बहुत कम लगता है, क्योंकि प्याज के पत्तो में काफी मात्रा में पानी रहता है), फिर इसकी लड्डुओं की तरह गोल या अंडाकार बॉल्स बना लें। इन्हें बर्तन के मुँह पर कपड़ा बांधकर या छन्नी के ऊपर रखकर भाप में पकायें।
1. थोड़ा ठंडा होने के बाद क्षेत्रीय व्यंजन भाप के पकोड़े तैयार हैं। भाप में पकने के बाद इसे ऐसे ही खाया जाता है। आप चाहें तो टोमेटो सॉस के साथ परोस सकते हैं।

2. अगर कुछ पकोड़े बच जाए तो दोपहर के नास्ते के लिए अन्य तरह से और अधिक स्वादिष्ट बनाकर इसे परोस सकते हैं।इसके लिये बॉल्स के छोटे छोटे टुकड़े काटकर उसे तेल मसाले और कड़ी पत्ते के साथ फ्राय करें। गर्मागर्म नास्ता तैयार हो जायेगा।
प्याज के पत्तो के अलावा यह व्यंजन अरबी/ घुंयां, ब्रम्हराकस तथा ग्रामीण क्षेत्रो में मिलने वाली लताओं के पत्ते जैसे मुष्ठी के पत्तो और रेटू/ लसोड़ा की पुष्प पालिकाओं से भी बनाये जाते है। तो प्याज का यह ब्याज आपको कैसा लगा बताइयेगा।
धन्यवाद 🙏
विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिन्दवाड़ा (म.प्र.)

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