धर्म

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं – “जो अल्लाह और क़यामत पर ईमान रखता है वह अपने पड़ोसी को कष्ट नहीं पहुंचाता है”

पार्सटुडे- पड़ोसियों के सम्मान का लोगों के सामाजिक जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। आज लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं और उनकी जीवन शैली शहरी हो गयी है। इस बात के दृष्टिगत पड़ोसी और उसके अधिकारों का विषय अधिक महत्वपूर्ण हो गया है।

इस्लाम धर्म में इस बात पर बल दिया गया है कि पड़ोसियों के साथ अच्छा संबंध स्थापित किया जाना चाहिये और उनकी और उनके अधिकारों की अनदेखी करने से मना किया गया है।

पैग़म्बरे इस्लाम और उनके पवित्र परिजनों ने पड़ोसियों और उनके अधिकारों पर ध्यान देने की बहुत सिफ़ारिश की है। यहां पर हम उनकी कुछ सिफ़ारिशों का उल्लेख कर रहे हैं।

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं” पड़ोसी का सम्मान इंसान पर उस तरह से है जैसे इंसान पर उसकी मां का सम्मान

इमाम जाफ़र सादिक़ फ़रमाते हैं” लानत है लानत है उस इंसान पर जो अपने पड़ोसी को कष्ट पहुंचाये।

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं” जो अल्लाह और क़यामत पर ईमान रखता है वह अपने पड़ोसी को कष्ट नहीं पहुंचाता है।

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं” जो इंसान अपनी भलाई को अपने पड़ोसी तक पहुंचने से रोके अल्लाह क़यामत के दिन अपनी भलाई व ख़ैर को उस तक पहुंचने से रोकेगा।

इमाम जाफ़र सादिक़ फ़रमाते हैं” जो शख़्स अपने पड़ोसी से अच्छा बर्ताव न करे वह हमसे नहीं है।

पैग़म्बरे इस्लाम फ़रमाते हैं जीब्रईल ने पड़ोसी के बारे में मुझसे इतनी सिफ़ारिशें की कि मुझे गुमान हुआ कि उन्हें वरासत में से भी देना पड़ेगा।

इमाम जाफ़र सादिक़ फ़रमाते हैं” ख़ुदा की क़सम अल्लाह और क़यामत के दिन पर वह ईमान नहीं लाया है जो रात को भरा पेट सोये और उसका पड़ोसी भूखा हो।