धर्म

पैगम्बर मोहम्मद साहब ने हुक्म दिया है कि “मज़दूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मज़दूरी देदो”

@मुफ़्ती उसामा इदरीस नदवी

इस्लाम एक आसान दीन का नाम है ,जिसमें इंसान को ज़िन्दगी गुज़ारने के लिये हर मोड़ पर रहनुमाई मौजूद है,इस्लाम ने पूँजीवाद को कभी बढ़ावा नही दिया है,बल्कि अपने मूलभूत सिद्धांतों में अमीर की तिजोरी से माल को गरीब के कटोरे में पहुंचाना एक धर्म और महापुण्य का नाम दिया है,ऐसे ही सामाजिक समानता और न्याय को बढ़ावा दिया है।

दुनिया में आज विश्व मज़दूर दिवस मनाया जारहा है,आज सोशल मीडिया पर मज़दूर और गरीबों के हितों की बातें होरही हैं जबकि वास्तविक ज़िन्दगी में ये पूँजीवादी ताकतें गरीब मज़दूर को कीड़े मकोड़ो की तरह कुचलते हैं।

हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहू अलैय्ही व्सल्लम ने मुसलमानों को हुक्म दिया है कि “मज़दूर का पसीना सूखने से पहले उसकी मज़दूरी देदो” इस हदीस के द्वारा पैगम्बर साहब ने दुनिया को एक पैगाम दिया है कि इस्लाम दुनिया की रहनुमाई के लिये हमेशा हमेश रहेगा और ज़िन्दगी के किसी भी मोड़ पर रहनुमाई से खाली नही रहेगा।

एक दूसरी जगह हज़रत पैगम्बर मोहम्मद साहब ने कहा है कि “मालदार का टालमटोल करना ज़ुल्म है” किसी भी काम में मालदार आदमी गरीब लोगों को उनका हक देने में टालमटोल करे तो इसको ज़ुल्म कहा गया है तथा इस पर गुनाह भी मिलेगा।

आजके इस पूंजीवादी दौर में टाल मटोल करना और और तनख्वाहें और मज़दूरी रोकना कल्चर बन गया है जिसकी वजह से गरीब और नादार लोग परेशानी में मुब्तिला होते हैं,इस लिये इन सब बातों से मुसलमानों को ख़ास तौर से बचना चाहिए ।

दुनिया दिखावे के लिये मज़दूर दिवस मना रही है जबकि उसके पास कोई सिद्धान्त या विचारधारा उनके पास नही है लेकिन फिर भी वो दुनिया के सामने अपने आपको दिखा रहे हैं मुसलमानों को चाहिए कि नबी के पैगाम और उनकी शिक्षा को दुनिया के हर व्यक्ति तक पहुँचा दिया जाए ताकि दुनिया में अमन इंसाफ न्याय समानता बनी रहे।