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पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ने खोले गुजरात दँगों के कई राज़,कहा “फ़ौज गाड़ियों का इंतज़ार करती रही और गुजरात जलता रहा”

नई दिल्ली: देश मे 2002 मगुजरात दँगों का दर्द हमेशा महसूस किया जाता रहेगा,लेकिन धीरे धीरे समय के साथ घाव भरते हैं लेकिन ज़िक्र आते ही देशवासी उस दर्द को महसूस करते हैं,इस बार गुजरात दँगों का ज़िक्र भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल जमीरउद्दीन शाह ने किया है।

भारतीय सेना के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह ने ‘द सरकारी मुसलमान’ शीर्षक के साथ एक किताब लिखी है। इस किताब का विमोचन हाल ही में हुआ है। इस किताब में उन्होंने गुजरात दंगा 2002 का भी उल्लेख किया है। उन्होंने किताब में कई राज़ खोले हैं। इस किताब में उन्होंने दावा किया है कि जिस वक्त गुजरात में दंगा हुआ उसे नियंत्रित करने के लिये सेना को भेजा गया था, सेना के जवान अपना सामान बांधकर गुजरात तो पहुंच गए लेकिन सेना को गाड़ियां ही नहीं दी गईं।

ज़मीरुद्दीन शाह ने किताब के विमोचन के दौरान जी सलाम न्यूज़ चैनल से बात करते हुए बताया कि “फ़ौज गाड़ियों का इंतज़ार करती रही और गुजरात फसादात में जलता रहा” उन्होंने कहा कि 2002 गुजरात सांप्रदायिक दंगे के दौरान गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अगर सही वक़्त पर सही क़दम उठाए होते तो मरने वालों की संख्या कम हो सकती थी।

पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ने दावा किया कि दंगे को बढने से रोका जा सकता था. सरकार चाहती तो 24 घंटे पहले दंगे रुक सकते थे. जानकारी के लिये बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान फौज की कमान संभाल जनरल ज़मीरूद्दीन शाह संभाल रहे थे। उन्होने अपनी किताब ‘द सरकारी मुसलमान’ में इसका खुलास किया है। गुजरात दंगों के दौरान दंगों पर नियंत्रण करने के लिये भेजे गए फौज के दस्ते का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि 28 फरवरी को फौज अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंच गई थी. यहां से लोकल पुलिस, सिविल ए़मिनिस्ट्रेशन और गाडिय़ों की जरूरत थी, 24 घंटे के इंतेज़ार के बाद ये मदद मिली. यह भी देखने को मिला कि लोकल पुलिस एक तरफा कार्रावाई कर रही थी। गौरतलब है कि मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के भाई पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल ज़मीरुद्दीन शाह अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के वाईस चांसलर भी रहे हैं।