दक्षिण पश्चिमी पुर्तगाल के छोटे से कस्बे साओ तेओतोनियो में पुर्तगाली से ज्यादा भारतीय और नेपाली रेस्त्रां हैं. इसकी वजह तब समझ में आती है, जब यहां के खेतों और बागों में आप भारत और नेपाल के लोगों की बहुतायत देखते हैं.
नेपाल से आए 36 साल के मेश खत्री साओ तेओतोनियो के ग्रीनहाउसों में रसभरी और स्ट्रॉबेरी जमा करते हैं. उनकी बीवी 28 साल की ऋतु खत्री शहर में कैफे चलाती हैं. उनका सात साल का बेटा पुर्तगाली भाषा बोलता है और थोड़ी बहुत अंग्रेजी भी जानता है लेकिन नेपाली बिल्कुल नहीं.
खत्री दिसंबर 2012 में पुर्तगाल आए. उससे पहले वह बेल्जियम में काम करते थे. उन्होंने बताया, “मैं यहां इसलिए आया क्योंकि बेल्जियम में रेजिडेंट परमिट हासिल करना बहुत मुश्किल है.” पुर्तगाल आने के पांच साल बाद उन्हें यहां रेजिडेंसी मिल गई और उसके दो साल बाद पुर्तगाल का पासपोर्ट.
पुर्तगाल में दक्षिण एशियाई
लिस्बन की सड़कों पर साइकिल से डिलीवरी करने वालों में अब भारतीय और दक्षिण एशियाई लोग ज्यादा दिखते हैं. शुक्रवार की नमाज के वक्त सैकड़ों मुसलमान मौरारिया की पतली सड़कों पर बनी दो मस्जिदों में जाने के लिए कतार में खड़े हो जाते हैं. 43 साल के पाकिस्तानी यासिर अनवर ने बताया कि रुआ दो बेनफोर्मोसो में इतने बंगाली दुकानें और रेस्त्रां हैं कि लोग उसे ‘बांग्लादेश स्ट्रीट’ कहने लगे हैं.
अनवर 2010 में यहां बिना वीजा के आए. इससे पहले वो कुछ समय डेनमार्क और नॉर्वे में भी रहे थे. उन्हें हमेशा यहां से निकाले जाने का डर रहता था. आखिरकार कानून में बदलाव के बाद 2018 में उन्हें दस्तावेज मिले. लंबे समय तक बार और रेस्त्रांओं में फूल बेचने के बाद आखिर एक रेस्त्रां मालिक ने उन्हें नौकरी दी. अनवर को पुर्तगाली भाषा और खाना बनाना सिखाया. अब वो पुर्तगाली पासपोर्ट पाने के इंतजार में हैं. उन्हें उम्मीद है कि एक दिन उनकी बीवी और दो बच्चे उनके साथ रहेंगे.
विदेशियों की संख्या बढ़ी
अलेंतेजो के इलाके में पिछले एक दशक में आबादी 13 फीसदी बढ़ी लेकिन खेतीबाड़ी करने वालों की संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है. प्रवासी कामगारों के कारण इस इलाके की रौनक लौटी है. यूरोप में आप्रवासियों के लिए सबसे खुली नीति अपनाने वाले पुर्तगाल में पिछले पांच सालों में विदेशी लोगों की आबादी दोगुनी हो गई है. 2018 तक पुर्तगाल में विदेशियों की संख्या पांच लाख से कम थी. पिछले साल यह संख्या 10 लाख तक पहुंच गई. यहां की आबादी में हर दसवां आदमी विदेशी है. यह आंकड़े शरणार्थियों से जुड़ी पुर्तगाल की एजेंसी एआईएमए के हैं.
ब्राजील का पुर्तगाल के साथ ऐतिहासिक संबंध है. वहां के लोगों की संख्या यहां अब भी सबसे ज्यादा है, करीब चार लाख. इसके बाद ब्रिटेन और दूसरे यूरोपीय देशों की बारी आती है. यहां लगभग 58,000 भारतीय और 40,000 नेपाली हैं. यह संख्या पुर्तगाल के कई पूर्व उपनिवेशों से आए लोगों से ज्यादा है. पुर्तगाल में सबसे ज्यादा लोग जिन 10 देशों से आ रहे हैं, उनमें पाकिस्तान और बांग्लादेश भी हैं.
पुर्तगाल में खेती, मछली पकड़ने और रेस्त्रां में काम करने आए लोगों की बड़ी संख्या है. 2015 से ही सत्ता पर काबिज पुर्तगाल की समाजवादी सरकार इसे बढ़ावा दे रही है. हालांकि 10 मार्च को होने जा रहे चुनाव में अगर सरकार बदली, तो फिर परिस्थितियां भी बदल सकती हैं.
बीते दिनों में पुर्तगाल में धुर दक्षिणपंथी चेगा पार्टी की लोकप्रियता बढ़ी है. हालांकि सर्वेक्षण दिखाते हैं कि आप्रवासियों का मुद्दा पुर्तगाल के लिए उतना बड़ा नहीं है, बाकी यूरोप से उलट यहां प्रवासन का मुद्दा सकारात्मक है. 2019 में बनी चेगा के लिए भी आप्रवासियों का मुद्दा उसके घोषणा पत्र में प्राथमिकताओं की सूची में सातवें नंबर पर है. चुनाव से पहले सर्वेक्षणों में पार्टी को 20 फीसदी वोट मिलते दिखे हैं.