विशेष

”पुरुष इस समाज में हमेशा ही पवित्र रहता है”

लंबे संभोग से दीर्घकालीन तृप्ति
उस वर्तुल के अनुभव बड़े अदभुत हैं;
क्योंकि जब वह वर्तुल बनता है, तभी तुम्हें ठीक अर्थों में यह पता चलता है कि तुम एक हुए। स्त्री और पुरुष एक हुए, इसका अनुभव तुम्हें वर्तुल बनने के पहले पता नहीं चलता। उसके बनते ही मैथुन में रत दो व्यक्ति दो नहीं रह जाते, उस वर्तुल के बनते ही वे एक ही ऊर्जा के, एक ही शक्ति के प्रवाह बन जाते हैं; कोई चीज जाती और आती और घूमती हुई मालूम पड़ने लगती है और दो व्यक्ति मिट जाते हैं। यह वर्तुल जिस मात्रा में बनेगा, उसी मात्रा में संभोग की आकांक्षा कम और दूरी पर हो जाएगी। यह हो सकता है कि एक दफा वर्तुल बन जाए तो वर्ष भर के लिए भी फिर कोई इच्छा न रह जाए, कोई कामना न रह जाए; क्योंकि एक तृप्ति की घटना घट जाए

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इसे ऐसे ही समझ सकते हो कि एक आदमी खाना खाए और वॉमिट कर दे, खाना खाए और उलटी कर दे, तो कोई तृप्ति तो नहीं होगी! खाना खाने से तृप्ति नहीं होती, खाना पचने से तृप्ति होती है। आमतौर से हम सोचते हैं—खाना खाने से तृप्ति होती है। खाना खाने से कोई तृप्ति नहीं होती, तृप्ति तो पचने से होती है

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ndra pratap
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संभोग शादी का स्तंभ है, लेकिन समाज इस बात को मनाने से कतराता है समाज का कहना है कि शादी सिर्फ संभोग के लिए नहीं होती है, और भी कारण हैं,

लेकिन यदि किसी से पूछो कि तुम्हे सब मिलेगा बस सेक्स करने को नहीं मिलेगा तो इसे कोई शादी करने को तैयार नहीं होगा

ठीक इसी तरह लडको के बारे में भी धारणा होती है, कि हर लड़के को सुंदर और कामुक स्त्री चाहिए होती है, यदि लड़की सुंदर है तो उसकी शादी में कोई दिक्कत नहीं होगी, लेकिन अगर वो सुंदर नहीं है तो लाखों समस्या होगी

क्यों कि सुंदरता को सीधे कामवासना से जोड़ा जाता है

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मैं भी कोई बहुत सुंदर नहीं हूं, इस लिए शादी होना बहुत बड़ी बात थी मेरे लिए भी ऊपर से एक एक्सीडेंट के बाद से मेरे पापा की जॉब चली गई थी, और वो थोड़ा मानसिक तौर पर भी अंस्टेबल हो गए थे

उस दिन के बाद से हमारा परिवार बिखरने लगा था l, क्यों की जितने जमा पूंजी थी वो पापा के इलाज में लग गई थी l हमारे पास खाने को कुछ नहीं था ऐसे में मेरी बुआ ने हम लोगों को सहारा दिया

लेकिन इस सहारे की एक कीमत देनी पड़ी, और ये कीमत थी अपने बुआ के घर में ही मुझे और मेरी मां को नौकर बन के काम करना पड़ता था, बदले घर की साफ सफाई, और खाना मिलता और मां को 5000 रूपये

बचपन में हुए इस एक्सीडेंट की वजह से मेरा बचपन तक खत्म हो गया था मेरी जवानी भी ऐसे ही ढल रही थी

बुआ की एक ही बेटी थी जो दिखने में किसी पारी से कम नहीं थी, और बुआ उनके लिए काफी अच्छे लड़के देखती थी

इसी तरह विजय घर पे आए और बुआ की बेटी को देखने का कार्यक्रम शुरू हुआ, घर में उनके परिवार वाले आए तो मुझे भेजा गया चाय नाश्ता के लिए, घर का कोई भी काम होता तो बुआ मुझे आवाज लगाती और मैं करती, बुआ ने बताया कि घर के ज्यादातर काम मैं करती हूं, और फिर उन्होंने बोला कि बचपन से हमारे साथ है, मुझे अच्छा लगा सुन के लेकिन फिर उन्होंने बोला कि मेरे घर के मेड की बेटी है, ये बात मुझे पसंद नहीं आई, दोनो परिवार खुश थे, बुआ की बेटी उन्हें पसंद आई थी और दोनो लोगों ने नंबर शेयर किया, और बात होना शुरू हुई, हफ्तों एक दूसरे को जानने के दौरान बुआ की बेटी ने विजय को बताया कि हम लोग कौन हैं

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विजय ने बोला कि वो तुम्हारी बुआ हैं उनकी परिस्थिति खराब है तुम्हारी मां ने बोला कि वो नौकर की बेटी है, इन पर बुआ की बेटी के पास कोई जवाब नहीं था, अगले दिन विजय बोलते हैं, देखो बुरा मत मानो लेकिन मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता हूं, क्यों की ये काफी बड़ी बात थी जो तुम्हारी मां ने अपने स्वार्थ के लिए छिपाया, मैने देखा है किचन का छोटा से छोटा और बड़े से बड़ा काम वो लड़की अकेले कर रही थी यदि पॉसिबल हो तो मैं उससे शादी करना चाहूंगा क्यों कि मुझे ऐसी पत्नी चाहिए जो मेरा साथ दे

ये सुन कर बुआ की बेटी ने फोन कर दिया और नीचे आके रोते हुए सारी बात अपनी मां की बताई, बुआ को गुस्सा आया और उसी दिन उन्होंने हमें अपने घर से निकाल दिया,
पहले 2 दिन तो मै मां और बीमार पापा गुरुद्वारे में थे, उसके बाद हमने एक सस्ता सा कमरा किराए पर लिया और मैं नौकरी ढूंढने के लिए इधर उधर भटकने लगी
तभी एक दिन विजय मुझे मेट्रो में मिले और बात करने की कोशिश की , पर मैं अन्दर से नाराज़ थी क्यों की आज हमारे पास घर नहीं था तो इसाक कराड विजय थे
मैने बात नहीं की और लेडीज कंपार्टमेंमनेट में चढ़ गई, 3 दिन बाद फिर वो मुझे दिखे और बोला जॉब इंटरव्यूज के लिया जाते हैं ? मैं हेल्प कर सकता हूं

ये बात सुन के मै रुक गई क्यों की परिस्थित के अनुसार मुझे नौकरी की अत्यधिक आवश्यता थी, मैने तुरंत हां बोल, विजय ने अपने एक दोस्त से बात की और एक कम्पनी में मुझे नौकरी पर रख लिया, फिर उन्होंने मुझे शादी करने का प्रस्ताव रखा, मैने स्पष्ट बोला मेरी स्थिति नहीं कि मैं शादी करूं और शादी का खर्च उठा पाऊं आप अमीर लोग हैं बड़ी शादियां होती है जिसके लिए मैं इस जन्म में सक्षम नहीं होंगी, उन्होंने बोला हां शादी तो ग्रैंड होती है हमारे यहां एक बार मुझे तुम्हारी मां से बात करनी है अपना एड्रेस बताओ, मैने बताया तो 1 सप्ताह बाद विजय अपनी मां के साथ मेरे घर आए और मेरी मां से शादी का प्रस्ताव रखा मां ने भी वही उत्तर दिया जो मैने दिया था, विजय की मां ने बोला, आप हां बोलिए, शादी का खर्च मेरे तरफ से होगा, हमें एक अच्छी लड़की की तलाश है जो अपनी गरिमा समझे

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मां ने हां कहा उसके बाद मेरी शादी हो गई, शादी का पूरा खर्च विजय ने उठाया था, शादी के बाद मैने विजय से पूछा मेरी बहन मुझे लाख गुना ज्यादा सुन्दर है अपने मुझसे शादी क्यों की
उन्होंने बोला, सुन्दरता सिर्फ कुछ साल के लिए है, उसके बाद क्या ??

मुझे ऐसी लड़की चाहिए थी जिसमें सादगी हो, जो तुम्हे थी, मुझे ऐसी लड़की चाहिए थी जो परिवार की गर्मियां और अपनी मर्यादा समझे, ये मुझे तब दिखा जब तुम्हारी बुआ ने तुम्हे नौकर की बेटी कहा था और तुम चुप चाप वहां खड़ी थी, विजय की बाद सुन कर मुझे इस बात पर यकीन हुआ कि हर लड़के कामुक और सुन्दर लड़की की तलाश में नहीं होते हैं कुछ आज भी हैं जिन्हें मर्यादित लड़की चाहिए, जिंदगी ने शुरुवाती दिनों में ठोकर देके बचपन छीन लिया था, लेकिन जवानी में जिंदगी मेहरबान थी और बदसूरत होते हुए भी अच्छा पति और परिवार मुझे मिला

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Pawan Kumar Chandel ·
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संभोग किसी पुरूष का औरत के साथ रहने का मुख्य कारण है

लेकिन जब बात शादी की आती है, तो ज्यादातर पुरुष इन दोनों कारणों के लिए शादी नहीं करते। वे स्थिरता के लिए शादी करते हैं।

इसका मतलब क्या है:
एक पुरुष आपसे प्यार कर सकता है लेकिन शादी नहीं करेगा। वह सालों तक आपके साथ शारीरिक संबंध बना सकता है लेकिन शादी नहीं करेगा। लेकिन जैसे ही उसे कोई ऐसी महिला मिलती है जो उसकी जिंदगी में स्थिरता लाती है, वह उससे शादी कर लेता है।

स्थिरता से मेरा मतलब है मन की शांति। मैंने पुरुषों को यह कहते सुना है, “मुझे इस महिला से प्यार है, लेकिन मैं पूरी जिंदगी उसके साथ नहीं बिता सकता।”

जब पुरुष शादी के बारे में सोचते हैं, तो वे वेडिंग ड्रेस या ब्राइड्समेड्स जैसी चीजों पर ध्यान नहीं देते, जैसा कई महिलाएं करती हैं। इसके बजाय, वे सोचते हैं, “क्या ये महिला मेरे साथ एक घर बना सकती है? क्या ये मेरे बच्चों और मेरी देखभाल कर सकती है? क्या ये मुझे शांति और आराम देगी?”

पुरुषों को शांति चाहिए। वे ऐसी महिलाओं को पसंद नहीं करते जो उन्हें तनाव दें। यही वजह है कि एक पुरुष किसी महिला के साथ सालों तक रह सकता है, लेकिन किसी दूसरी महिला से कुछ ही समय में शादी कर सकता है।

पुरुषों के लिए यह सिर्फ सेक्स या प्यार के बारे में नहीं है। यह सम्मान के बारे में है, क्योंकि सम्मान से ही स्थिरता मिलती है।😏😏

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Indra pratap
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पत्नी भी उतना ही संभोग करना चाहती हैं जितना कि एक पति, बस दोनों में अन्तर इतना होता है, पुरुष पहल करते हैं, स्त्रियां पहल नहीं करती,

पुरुष ये जताते हैं कि उन्हें भोग की जरूरत है, स्त्रियां इसे छिपा ले जाती है,

क्यों कि उन्हें पता है कि जितना पुरुष को इससे दूर रखेंगे। उतना उग्र संभोग होगा

परंतु यदि रोज रोज इसे दिया जाए तो एक दिन पति को फर्क पड़ना बंद हो जाएगा

ओशो रजनीश के लिखे इस वाक्य ने मेरी भी जिंदगी बदल के रख दी,

प्रकृति ने हमे ऐसा बनाया कि स्त्री से प्रेम करने के लिए हम अपनी फीलिंग छुपा नहीं सकते पर कब ये प्रेम वास्तव में प्रेम है और कब ये प्रेम आप को चलाने वाल चाबुक है दोनों में अन्तर करने आप को आना चाहिए

मेरी शादी के बाद धर्म पत्नी से खूब प्रेम करता था, जैसा कि एक पुरुष का स्वभाव है, लेकिन यदि पत्नी ही ऐसी मिल जाए जो खुद संभोग के लिए पहल करे,
तो किसी पुरुष के लिए ये स्वर्ग से कम नहीं है

यदि पत्नियां पहल करती हैं तो पुरुष के मन में ये बात आती है कि पत्नी उससे अटूट प्रेम करती है,

पर समय के साथ साथ ये चीज कम होने लगी, 1 साल के भीतर ही संभोग तृप्ति के लिए मुझे कई बार पहल करनी पड़ती थी, फिर कभी महीने में 2 3 बार कुछ हो पाता था

पर धीरे धीरे मैने देखा कि जब हमारे बीच कुछ होता अगले दिन पत्नी की एक डिमांड शुरू होती,

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मैं खुशी खुशी उसे पूरा करता
लेकिन मेरी ये आदत ही मेरे परिवार के टूटने का कारण बन गई l,
पत्नी चाहती थी कि घर में सब उसके हिसाब से हो पर काम ना करना पड़े
मां चाहती थी कि अब वो बूढ़ी हो गई हैं काम बहु कर दे घर मेरे हिसाब से चले
अपनी बात मनवाने के लिए पति शारीरिक सुख का लालच देती मै भी कभी कभी ये करता
लेकिन एक दिन हद तब हुई जब पत्नी ने मुझे अलग रहने के लिए कहा
मैने मना किया कि मैं मां बाप को छोड़ के अकेला नहीं रहूंगा उसने मेरी ना मानी और अपने मायके चली गई
2 महीने बाद काफी रिक्वेस्ट के साथ उसे घर लेके आया तब भी वो इसी जिद में रहती की उसे अलग रहना है, घर में आजादी नहीं है
फिर उसकी बात सुनते हुए मैं उसी शहर में एक अलग फ्लैट लिया, का पापा अकेले थे,

NL Beauty

धीरे धीरे मां पापा से संपर्क टूट गया,
पापा की तबीयत खराब हुई, मै तुरंत उनके पास गया और उन्हें अस्पताल में एडमिट किया दवाई कराई
जब ये बात मेरी पत्नी को आप्त चली तो उसने बोला वो सक्षम है उन्हें पेंशन मिलती है तुम क्यों पैसा खर्च किए
तुम्हे अपने भविष्य की चिंता नहीं,
उसके कुछ दिन बाद पापा नहीं रहे मां अकेली हो गई
पापा के सारे क्रिया कर्म करने के बाद मैने मां को घर पे लाया
इससे पत्नी फिर खिन्न हो गई और बोली जब उनको यहां रखना है तो क्या जरूरत है किराए के मकान में रहने की
और मां और पत्नी के बीच युद्ध फिर से शुरू हो गया
मैने मां को बोला कि वो घर वापस चली जाएं और उन्हें घर पर ले जाके छोड़ दिया
मैने मां के पैर पकड़े उनसे माफी मांगी और बोला कि मैं एक अच्छा बेटा नहीं बन सका

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और घर आगया
कुछ हफ्तों बाद मेरी पत्नी मुझसे बोलती है, कि पुराने घर को बेच के एक नया फ्लैट लेते हैं l, आखिर कब तक किराए के मकान में रहना है
मैने बोला अगर घर बेच दिया तो मां कहा रहेंगी, उसने बोला कि मां की उम्र देखते हुए ये नहीं लगता कि वो ज्यादा दिन रहेंगी उन्हें साथ में रख लेंगे जब तक हैं वो
मैं तुरंत मां के पास गया उसने बोला नया घर लेने का
मां ने बोला लेलो अभी लो या बाद में घर तो तुम्हारा ही है
मैने पेपर पे साइन कराया, और घर की 1 करोड़ में बेच दिया
मां को घर लेके आया, पर घर में शांति नहीं थी, मां की पत्नी से नहीं बनती और पत्नी की मां से नहीं बनती थी
और मुझे दिखता था मां की कोई गलती नहीं रहती
जब पानी सिर के ऊपर से गया तक मैने तलाक की अर्जी दे दी
क्यों कि मैने ओशो के वाक्य सुने थे और उससे अमल किया
तलाक की अर्जी देते ही मेरी पत्नी ने मुझे भला बुरा कहा और कोर्ट में अपील की कि घर बिका है उसकी आधी आधी रकम दी जाए, और हर महीने खर्च मुझे दिया जाए

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लेकिन कोर्ट ने सब खारिज कर दिया
क्यों कि मैने घर को बेचने के साथ ही अपनी नौकरी से रिजाइन कर दिया था, तो मेरे पास अब कमाई का जरिया नहीं था,
और घर बेचने में जो पैसे मिले थे उसे मैने एक मथुरा की संस्था को दान दे दिया और अब मेरे पास कुछ नहीं था,
बाद में मै और मेरी मां दोनों उसी संस्था में चले आए क्यों की मां कृष्ण भक्त थी और मैने मां पापा को बहुत कष्ट दिया था और मां के अंतिम समय में मै उनके साथ रहना चाहता था
जब मां को पता चला कि मैने घर बेच के संस्था को दान दे दिया तो मां काफी नाराज़ हुई कि पिता जी की संपत्ति बेचकर मैने पैसे दान कर दिए
फिर मैने मां की बताया कि मां जिस संस्था को दान किया है वो संस्था आप के नाम है, और आप इस संस्था की मालकिन
तब मां के आंखो में सुकून था और इस सुकून को देखने के लिए मैने कई सालों इंतजार किया था
आज मां नब्बे साल की हैं और इन बातों को बीते 20 साल हो गए

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Indra pratap
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संभोग का आनन्द प्राप्त करते ही एक जवान स्त्री अपवित्र हो जाती है, जबकि पुरुष इस समाज में हमेशा ही पवित्र रहता है
23 साल की उम्र में मेरी शादी हो गई थी। आरव एक बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे। आरव का कहना था कि मेरी पत्नी सिर्फ समाज के लिए नहीं, बल्कि मेरे लिए एक दोस्त से ज्यादा होनी चाहिए, क्योंकि हमें साथ में पूरी जिंदगी बितानी है।

आरव ने बताया, “प्यार, रोमांस, और शारीरिक आकर्षण तो एक दिन खत्म हो जाएगा, लेकिन हमारा साथ हमेशा रहेगा।” उनकी यह बात सुनकर मुझे डर लगता था कि कहीं हमारी शादी के बाद हमारा रिश्ता ना टूट जाए।

लेकिन ऐसा नहीं था। आरव मुझे भरपूर प्यार देते थे और एक स्त्री की सभी जरूरतों जैसे शारीरिक और मानसिक हर चीज का ध्यान रखते थे।

आरव के अच्छे होने का सबसे बड़ा कारण था मेरे माता-पिता का अच्छा होना। शादी के बाद जब मैं ससुराल गई, तो चूल्हे की रस्म में कुछ मीठा बनाना था। घबराहट के कारण मैंने हलवा खराब बना दिया था। मां को यह बात पता चली, तो उन्होंने उस हलवे में से एक निवाला निकालकर भगवान को भोग लगाया। फिर उन्होंने तुरंत जुटकर नया हलवा बनाने में लग गईं और बहुत अच्छा हलवा बना कर मुझे बोला, “सभी मेहमानों को खिला दो।”

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बाहर आकर उन्होंने खुद कहा, “भाई-बहू की पहली रसोई है, काफी मेहनत के साथ इसने सब किया है। अब खा कर बताओ कैसा लगा।” मुझे खुशी हुई। पूरे दिन के काम के बाद जब मैं थक कर अपने कमरे में गई, तो सो गई।

सुबह उठते ही देखा तो ६:३० पर नींद खुली। कमरे से निकलकर जल्दी-जल्दी नहा कर किचन में आई तो देखा पापा चाय छान रहे थे। उन्हें यह करते देखकर मैं शर्मिंदा हो गई और डर से बोली, “पापा जी, सॉरी मुझे लेट हो गया।”

उन्होंने तुरंत बोला, “लेट कहाँ हुआ है, आओ चाय पियो।” और उन्होंने कहा कि चाय बनाने का काम शुरू से मेरा है। आज की चाय खास है क्योंकि मैं अपनी बेटी के साथ पी रहा हूँ, क्योंकि आरव की कोई बहन नहीं थी।

आरव तो अच्छे थे, लेकिन उनके मम्मी-पापा उनसे भी अच्छे थे। मेरा जन्मदिन था और यह मेरे लिए खास मौका था। शादी को मात्र ७ महीने हुए थे। आरव चाहते थे कि जन्मदिन सेलिब्रेशन में किसी चीज की कमी ना हो।

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मेरे पापा ने आरव के दोस्त को फोन किया और बोला, “२ घंटे से कहा गया समान लेने, अभी तक नहीं आया।” तब सबकी चिंता बढ़ने लगी। पापा और आरव के दोस्त घर से बाहर निकले पता लगाने। कुछ दूर जाने के बाद पता चला कि फूल की दुकान के सामने एक व्यक्ति को ऑटो वाले ने धक्का मार दिया, और वह चालक से टकरा गया। उसे अस्पताल ले जाया गया।

पापा और उनके दोस्त अस्पताल गए तो देखा वह आरव थे। उनका फोन २ तुकड़े में टूट गया था, पास में छोटी को देने के लिए एक बुके था। सब कुछ तो था, पर अब आरव नहीं थे। उनकी पसली टूट कर दिल में छेद कर दी थी, जिससे मौके पर ही उनकी मृत्यु हो गई।

मेरे साथ मेरा पूरा परिवार स्तब्ध था। इस सदमे से बाहर निकलने में मुझे २ साल का वक्त लगा। पर आज मेरे सास-ससुर चाहते हैं कि मैं अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करूं और शादी कर के अपना दुबारा घर बसाऊं, क्योंकि २७ साल की उम्र कोई ज्यादा नहीं है।

पर इस समाज को मेरा और मेरे माता-पिता का दुख नहीं दिखता। एक विधवा या तलाकशुदा लड़की से कोई शादी नहीं करना चाहता क्योंकि शादी के बाद संभोग कर के वो अपवित्र है। वहीं, वही लड़की जो बिना शादी के १०-१० लोगों के साथ संबंध बनाती है और फिर पतिव्रता बन जाती है, उसे समाज आसानी से स्वीकारता है।

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हां, मेरे और आरव के बीच शारीरिक संबंध थे और बहुत अच्छे थे, क्योंकि हमारी शादी हुई थी। पर आज आरव मेरे साथ नहीं हैं, तो इसमें मेरी क्या गलती है? क्यों ये समाज किसी विधवा और तलाकशुदा लड़की को अपना घर ठीक से दुबारा बसाने नहीं देता?

शादी के बहुत से ऑप्शन हैं, लेकिन २७ साल की लड़की को ४० साल के आदमी मिलते हैं। पर यही कोई स्त्री की मृत्यु होती तो उसके पति को तुरंत नई लड़की मिल जाती।

सीख:
समाज में महिलाओं के प्रति धारणाएँ अक्सर अनुचित होती हैं। विधवा या तलाकशुदा महिलाओं को सम्मान और पुनर्वास का अवसर मिलना चाहिए। हर महिला की जिंदगी में सम्मान और समर्थन की आवश्यकता होती है, न कि पूर्वाग्रह और तिरस्कार की। हमें समाज में समानता और समझदारी को बढ़ावा देना चाहिए ताकि हर व्यक्ति को खुशहाल जीवन जीने का अवसर मिल सके।