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पिछले 10 साल अन्याय काल के रहे हैं, कामकाजी परिवारों के मुंह पर तमाचा मारने जैसा…जयराम रमेश

कांग्रेस ने कर्मचारी भविष्य निधि (पीएफ) के अंतिम निपटान को खारिज किए जाने की दर में कथित वृद्धि को लेकर शुक्रवार को सरकार की आलोचना की। उन्होंने दावा किया पिछले 10 साल अन्याय काल के रहे हैं, जिसकी वजह से किसी भी समुदाय को उसका पूरा हक नहीं मिल सका है।

ईपीएफ अंतिम निपटान की अस्वीकृति दर 13 फीसदी बढ़ी
कांग्रेस महासचिव प्रभारी संचार जयराम रमेश ने एक्स पर एक मीडिया रिपोर्ट साझा की, जिसमें दावा किया गया है कि ईपीएफ अंतिम निपटान की अस्वीकृति दर 2017-18 में लगभग 13 फीसदी से बढ़कर 2022-23 में लगभग 34 फीसदी हो गई है।

महिलाएं नौकरी से बाहर हो गईं
उन्होंने कहा कि पिछले साल के अन्याय काल को इससे समझा जा सकता है कि इसमें किसी भी समुदाय को उसका पूरा हक नहीं मिला है। महिलाएं नौकरी से बाहर हो गई हैं। युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। किसान अपने फसल की पर्याप्त कीमतें पाने में असमर्थ हैं।

अपनी मेहनत की कमाई पाने में असमर्थ
उन्होंने आगे कहा, यहां तक कि श्रमिक, जो मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं, अपनी मेहनत की कमाई पाने में असमर्थ हैं। ईपीएफओ भारत के श्रमिकों के लिए भविष्य निधि का प्रबंध करने वाला सरकारी संगठन है। इसमें भविष्य निधि (पीएफ) क्लेम के अंतिम निपटान के लिए अस्वीकृति की दरों में काफी वृद्धि देखी है।

कामकाजी परिवारों के मुंह पर तमाचा मारने जैसा
जयराम रमेश ने कहा कि अभी पीएफ के अंतिम निपटान के लिए लगभग तीन में से एक क्लेम खारिज कर दिए गए हैं। यानी अस्वीकृति दर 2017-18 में 13 फीसदी से अधिक है। खारिज होने वाला हर क्लेम कामकाजी परिवारों के मुंह पर तमाचा मारने जैसा है। यह साधारण और गरीब परिवारों के लिए अत्यधिक तनाव और पीड़ा का कारण बन रहा है।

सेवानिवृत्त कर्मचारी को तो आत्महत्या…
उन्होंने कहा कि क्लेम्स को प्रोसेस करने के लिए ऑनलाइन प्रणाली का लागू किया जाना बड़े पैमाने पर इनके खारिज होने का प्रमुख कारण हैं। ईपीएफओ की असंवेदनशील और नौकरशाही से भरी नीतियों के कारण कम से कम एक सेवानिवृत्त कर्मचारी को तो आत्महत्या करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।