Related Articles
*ननदरानी अब मुझसे उम्मीद करना ग़लत है*
Laxmi Kumawat ==================== दिव्या जितनी कोशिश कर सकती थी, उतना जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए घर की तरफ जा रही थी। शाम के सात बज चुके थे। अभी तो उसे सब्जियाँ भी खरीदना था। घर पर आज के खाने के लिए सब्जी कुछ भी नहीं थी। ऊपर से घर जाकर खाना भी बनाना था। खैर, […]
चौथीराम यादव, हजारी प्रसाद द्विवेदी के अन्तिम शिष्य थे
जयचंद प्रजापति ============== चौथीराम यादव हजारी प्रसाद द्विवेदी के अन्तिम शिष्य थे ………. हिन्दी साहित्य के प्रसिध्द आलोचक चौथीराम यादव के निधन से हिन्दी साहित्य का एक मुखर वक्ता चला जाना साहित्य की एक गली सूनी हो गयी। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी के प्रोफेसर रहे चौथीराम यादव का जन्म 29 जनवरी 1941को कायमगंज जौनपुर […]
कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे….”गोपालदास नीरज”
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से लुट गए सिंगार सभी बाग़ के बबूल से और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे कारवाँ गुज़र गया ग़ुबार देखते रहे नींद भी खुली न थी कि हाए धूप ढल गई पाँव जब तलक उठे कि ज़िंदगी फिसल गई पात-पात झड़ गए कि शाख़-शाख़ जल गई चाह तो […]