नई दिल्ली। पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हिंदुओं को जल्द ही भारत में घर मिल सकेगा। केंद्र ने मौजूदा कानून में बदलाव करने का निर्णय लिया है जिससे भारतीय नागरिकता मिलने में परेशानी का सामना नहीं करना होगा। जुलाई-अगस्त में संसद के मॉनसून सत्र के दौरान सिटीजनशिप एक्ट 1955 को संशोधित करने के लिए बिल लाया जा सकता है।
गृह मंत्रालय अधिकारियों ने कहा, ‘कैबिनेट के प्रस्तावों को अंतिम रूप दे दिया गया है जिसे इस माह सहमति मिलने की उम्मीद है।‘ एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा कैबिनेट नोट तैयार किया जा रहा है और इसमें अनेकों ऐसे बदलाव भी शामिल है जिनकी मदद से वैसे पाकिस्तानी हिंदू जो भारतीय नागरिक बनने की चाहत रखते हैं उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है।
अपने चुनावी घोषणा पत्र में, भाजपा ने बताया कि पाकिस्तान में सताए गए हिंदुओं के लिए भारत उनका आवास होगा और उनका यहां स्वागत होगा। प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, भारतीय नागरिकता चाहने वाले हिंदुओं को कई छूट दी जाएगी। नागरिकता के लिए देश से एक त्याग प्रमाण पत्र अनिवार्य है। प्रस्ताव के अनुसार रजिस्ट्रेशन फीस में भी कमी की मांग की गयी है। गृह मंत्रालय ने कहा, ’परिवार के हर सदस्य के लिए 5,000 रुपये फीस है, पाकिस्तानी हिंदुओं के लिए यह कम से कम 100 रुपये हो सकता है।‘
प्रस्ताव के अनुसार, मौजूदा कानून में दूसरा बड़ा बदलाव यह है कि सिटीजनशिप मुद्दों के साथ जिला स्तर पर बातचीत होगी ताकि जिला मजिस्ट्रेट और सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस आवेदनों का परिक्षण कर सकें।
गृह मंत्रालय ने कहा, ‘इससे लंबे प्रोसेस में कटौती होगी और गृहमंत्रालय तक पहुंचने के बजाए आवेदकों को जल्दी सुविधाएं मुहैया होंगी।‘ इस कानून में संशोधन होने पर यह बैंक अकाउंट्स, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड और आधार कार्ड भी देगा।
बांग्लादेश व अफगानिस्तान से आने वाले हिंदू शरणार्थियों को ये सुविधाएं प्राप्त होंगी और उन्हें भारत की नागरिकता आसानी से मिल जाएगी।
हालांकि निश्चित संख्या के बारे में अभी नहीं पता है, भारत में इन देशों से करीब 2 लाख हिंदू और सिख समुदाय के लोग हैं। 400 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी जोधपुर, जैसलमेर, जयपुर, रायपुर, अहमदाबाद, राजकोट, कच्छ, भोपाल, इंदौर, मुंबई, नागपुर, पुणे, दिल्ली और लखनऊ में रह रहे हैं।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा पाकिस्तानी हिंदू लड़की मशाल माहेश्वरी को मदद के लिए किए गए वादे के बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने एक बैठक की जिसमें पड़ोसी देशों से भारत आए अल्पसंख्यक शरणार्थियों को मिल रही सुविधाओं की समीक्षा की गयी। पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक समुदायों द्वारा सामना किए जाने और धार्मिक प्रताड़ना के बाद भारत आने की समस्याओं के लिए मौजूदा सरकार ने कई कदम उठाए हैं।
इसके पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने लंबे अवधि के लिए वीजा आवेदनों के ऑनलाइन सिस्टम की शुरुआत की थी जो उन्हें भारत में पांच सल तक के लिए रहने की अनुमति देता है।
सत्ता में आने के एक साल बाद ही पड़ोसी देशों से आने वाले 4,000 हिंदुओं को एनडीए सरकार ने नागरिकता दी जबकि यूपीए सरकार ने अपने शासन काल के पांच साल की अवधि में मात्र 1,000 लोगों को ही नागरिकता दी थी। वर्ष 2015 में गृह मंत्रालय ने गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में जिला स्तर पर 26 विशेष कैंप का आयोजन किया था।