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पाकिस्तान, चीन और अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच इस्लामाबाद में बैठक हुई, पढ़िए जारी बयान में क्या कहा!

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी, चीन के विदेश मंत्री चिन गांग और अफ़ग़ानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री मौलवी अमीर ख़ान मुत्तक़ी के बीच इस्लामाबाद में बैठक हुई.

पांचवे चीन-अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान विदेश मंत्री डायलॉग में तीनों ही देशों ने सुरक्षा, विकास और राजनीतिक क्षेत्र में आपसी हितों की रक्षा के लिए संबंधों को और मज़बूत करने पर प्रतिबद्धता जताई.

तीनों ही पक्षों ने इस क्षेत्र की स्थिरता और आर्थिक समृद्धि को प्रभावित करने वाली सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की ज़रूरतों पर भी ज़ोर दिया. साझे बयान में तीनों ही पक्षों ने सुरक्षा, संगठित अपराध और ड्रग्स तस्करी के मुद्दों पर सहयोग पर सहमति जताई है.

पढ़िए जारी बयान में क्या कहा गया-

क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को पेश आ रहे सुरक्षा चुनौतियों से निपटने की ज़रूरतों पर ज़ोर दिया.
तीनों ही पक्षों ने इस पर भी सहमति जताई कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी), ईस्टर्न तुर्किस्तान इस्लामिक मुवमेंट (ईटीआईएम) समेत किसी व्यक्तिगत, समूह या पार्टी को अपने क्षेत्र का इस्तेमाल क्षेत्रीय सुरक्षा, हित और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए नहीं करने देंगे.
वहीं तीनों इस पर भी सहमत थे कि वो अफ़ग़ानिस्तान के आंतरिक मामलों में दख़ल देने से बचेंगे और अफ़ग़ानिस्तान में शांति, सुरक्षा और उसके निर्माण को बढ़ावा देंगे. अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के रास्ते तलाशने की ज़रूरत को भी रेखांकित किया गया. इसमें तीनों ही देशों की भूमिका वाले रास्ते तलाशने और औद्योगीकिकरण और नौकरियों के सृजन पर भी बात हुई.
अफ़ग़ानिस्तान में मानवीय सहायता मुहैया कराने के प्रति भी एकजुटता प्रकट की गई. बयान में कहा गया कि अफ़ग़ानिस्तान के लोगों को मिलने वाली मानवीय सहायता किसी भी तरह की राजनीति से इतर है.
बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के तहत आपसी सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी ज़ाहिर की गई और संयुक्त तौर पर चीन-पाकिस्तान कॉरिडोर को अफ़ग़ानिस्तान तक बढ़ाने पर भी बात हुई.
तीनों ही मंत्रियों ने कृषि, व्यापार, ऊर्जा, कैपिसिटी ब्लिडिंग पर भी मज़बूत सहयोग देने की बात कही. मंत्रियों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ान पक्ष के साथ जुड़ने का आह्वान किया.
अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार बार-बार आश्वासन तो देती रही है कि वो महिला अधिकारों की रक्षा करेंगे लेकिन इस दिशा में बात आगे बढ़ नहीं पाई है. इस पर क्या कहा गया-

अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार के इस आश्वासन का हवाला देते हुए तीनों ही पक्षों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अफ़ग़ानिस्तान के पुनर्निर्माण और विकास में मदद देने का आह्वान किया.
उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान में शासन में सुधार और क्षमता निर्माण में मदद देने की अपील की ताकि अफ़ग़ान समाज के सभी वर्गों (महिला और बच्चे समेत) के हितों की रक्षा हो सके.

एक दिन पहले ही चीन के विदेश मंत्री चिन गांग ने कहा था कि उनका देश अफ़ग़ानिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तैयार है लेकिन तालिबान को नरम नीति अपनानी चाहिए और सरकार में सभी की भागीदारी तय करनी चाहिए.

इस्लामाबाद में चौथे पाकिस्तान-चीन स्ट्रैटेजिक डायलॉग के प्रेस कॉनफ्रेंस में पाकिस्तान और चीन ने अपने बयान जारी किए थे.

 

Afghanistan, China, Pakistan urge release of overseas Afghan frozen assets

Afghanistan, China and Pakistan have jointly urged relevant countries to remove sanctions on Kabul and release Afghan overseas frozen assets.

On Monday, Pakistani Foreign Minister Bilawal Bhutto-Zardari, the Taliban’s Acting Foreign Minister Amir Khan Muttaqi and Chinese State Councilor and Foreign Minister Qin Gang issued a joint statement after holding the 5th China-Afghanistan-Pakistan Foreign Ministers’ Dialogue in Islamabad, Pakistan, on Saturday.

“The three sides urged the relevant countries lift their unilateral sanctions against Afghanistan and return the assets overseas for the benefit of the Afghan people, and create opportunities for economic development and prosperity in Afghanistan,” the statement said.

Muttaqi concluded his four-day trip to Pakistan on Monday, after holding bilateral and trilateral meetings with his Pakistani and Chinese counterparts in Islamabad.

“Taking note of the Afghan Interim Government’s repeated assurances to respect and protect women’s rights and interests, the three sides called on the international community to support the reconstruction and development of Afghanistan, and help Afghanistan to improve governance and strengthen the capacity building, so as to effectively protect the basic rights and interests of all segments of the Afghan society, including women and children,” the statement read.

Since the full collapse of the US-backed government in Kabul and the Taliban takeover in August 2021, vast foreign subsidies were halted and aid programs and financial assistance were dramatically cut back as many countries refused to deal with the Taliban authorities.

No country has yet recognized the Taliban government and their rule over Afghanistan. Since their takeover, the Taliban have been struggling to contain a deepening economic crisis.

Afghanistan’s heavily aid-dependent economy, mostly funded by international donors, has been in chaos since the Western countries suspended humanitarian aid and froze Afghan assets.

The administration of US President Joe Biden has frozen over $7 billion in Afghan assets since NATO’s withdrawal from the country. Washington has said that half of the assets would be made available to victims of the September 11, 2001 attacks.

The US invaded Afghanistan in October 2001 following the 9/11 attacks on the United States. American forces occupied the country for about two decades after removing the Taliban from power. But as the US forces left Afghanistan, the Taliban stormed into Kabul, weakened by continued foreign occupation.

Millions of Afghans are without work today, the banking system is virtually dysfunctional, medical facilities are lying in shambles and the worst humanitarian crisis in modern history is unfolding.

Top diplomats of Afghanistan, China and Pakistan on Monday also “reaffirmed to continue cooperation in areas of mutual interest like economic development, capacity building, and improving livelihoods.”

They also “agreed to strengthen cooperation in the fields such as agriculture, trade, energy, capacity building, border management etc.”

Last month, the United Nations warned that around 34 million people in Afghanistan were mired in poverty, as sanctions by the US against the de-facto Taliban government and the freeze of the country’s assets have exacerbated the humanitarian crisis there.