धर्म

पवित्र क़ुरआन पार्ट-42 : क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि शैतान किस पर उतरते है…?!

सूरे क़सस पवित्र कुरआन का २८वां सूरा है और यह मक्का से मदीना पलायन से पूर्व मक्के में नाज़िल हुआ था।

इस सूरे में ८८ आयतें हैं। इस सूरे में हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के पैदा होने, उनके बचपने, जवानी, पैग़म्बरी, एकेश्वरवाद की ओर निमंत्रण और फिरऔन से संघर्ष जैसी उनके जीवन की कुछ घटनाओं को बयान किया गया है। इसी प्रकार इस सूरे की कुछ आयतों में क़ारून की कहानी की ओर भी संकेत किया गया है।

सूरे क़सस की आरंभिक आयतों में सत्य और न्याय की सरकार स्थापित होने और अत्याचारियों की सरकार समाप्त होने की शुभ सूचना अत्याचारग्रस्तों को दी गयी है। यह ऐसी शुभ सूचना है जो बहुत शांतिदायक और आशा जनक है। महान ईश्वर सूरे क़सस की पांचवीं और ६ठीं आयत में कहता है” मैंने इरादा किया है कि जो लोग ज़मीन में कमज़ोर कर दिये गये हैं उन पर एहसान करूं और उन्हें ज़मीन का वारिस बनाऊं और ज़मीन में हमने उन्हें शक्ति प्रदान की और फिरऔन, हामान और उनकी सेनाओं को वह चीज़ दिखाऊं जिसकी उन्हें आशंका थी”

यद्यपि ये आयतें चौथी आयत के बाद आई हैं जो बनी इस्राईल पर फिरऔन के अत्याचार के बारे में हैं परंतु उसका संबंध बनी इस्राईल के कमज़ोरों और फिरऔन की अत्याचारी सरकार से नहीं है। इस आयत का संदेश सार्वजनिक है ताकि वह पूरे इतिहास के अत्याचारग्रस्तों और कमज़ोरों के लिए आशा की किरण बन सके। यह आयत असत्य पर सत्य की और कुफ्र पर ईमान की जीत की शुभ सूचना देती है। यह आयत समस्त आज़ादी और न्याय की सरकार की स्थापना की इच्छा रखने वालों को शुभ सूचना देती है। इस आयत का एक नमूना फिरऔन की सरकार का अंत और बनी इस्राईल का सत्ता में पहुंचना था। उसका सबसे स्पष्ट और अच्छा उदाहरण इस्लाम के उदय के बाद पैग़म्बरे इस्लाम और उनके अनुयाइयों की सरकार का बनना था। पैग़म्बरे इस्लाम और उनके अनुयाइयों को सदैव काफिरों एवं अनेकेश्वरवादियों की ओर से हेय दृष्टि से देखा जाता था और वे सदैव उनका उपहास करते थे और उन्हें दबाव का सामना रहता था परंतु महान ईश्वर ने मुसलमानों के हाथों अत्याचारियों की सत्ता का अंत कर दिया। उससे भी विस्तृत एवं व्यापक नमूना महामुक्तिदाता हज़रत इमाम मेहदी के प्रकट होने के बाद का है। उस समय इमाम मेहदी की विश्व व्यापी सरकार होगी पूरी दुनिया में न्याय का बोल बाला होगा दुनिया न्याय से उस तरह से भर जायेगी जिस तरह से वह अत्याचार से भरी होगी।

सूरे क़सस की पांचवीं और छठीं आयत भविष्य में इमाम मेहदी के प्रकट होने और इस प्रकार की सरकार की स्थापना की शुभ सूचना देती है।

कमज़ोर वह व्यक्ति नहीं है जो अक्षम हो और उसके पास शक्ति न हो बल्कि कमज़ोर वह व्यक्ति है जिसे कमज़ोर कर दिया गया हो और उसके अंदर शक्ति मौजूद हो परंतु अत्याचारियों की ओर से उसे भारी दबाव में रखा गया हो परंतु अत्याचारियों की ओर से उसे जिस दबाव में रखा गया है वह चुप नहीं बैठता है और वह सदैव अत्याचारियों के अंत के लिए प्रयास करता रहता है और उसकी हार्दिक इच्छा न्याय की स्थापना होती है।

महान व सर्वसमर्थ ईश्वर ने इस प्रकार के गुट की सहायता और ज़मीन में न्याय पर आधारित सरकार के गठन का वादा किया है।

पवित्र कुरआन का सूरे क़सस ऐसी स्थिति में उतरा कि मुसलमानों के शक्तिशाली शत्रु उनके मुक़ाबले में थे। संख्या और शक्ति की दृष्टि से मुसलमानों के शत्रु उनसे कई गुना अधिक थे। काफिरों और अनेकेश्वरवादियों की शक्ति व संख्या के मुकाबले में मुसलमानों की संख्या व शक्ति बहुत कम थी इस प्रकार से कि बहुत से मुसलमान इस बात को लेकर चिंतित थे। जो हालत फिरऔन की शक्ति के मुकाबले में बनी इस्राईल की थी वही हालत पैग़म्बरे इस्लाम के काल के मुसलमानों की थी। साथ ही इस सूरे में हज़रत मूसा और फिरऔन की कहानी के कुछ भागों की ओर संकेत किया गया है।

पवित्र क़ुरआन के सूरे क़सस की तीसरी से ४६वीं तक कि आयतों में हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के जीवन के विभिन्न पहलुओं को बयान किया गया है। वास्तव में पवित्र कुरआन असत्य पर सत्य और अत्याचारियों पर कमज़ोंरों की विजय के लिए हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और फिरऔन की कहानी को उदाहरण के रूप में पेश करता है। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम और फिरऔन की कहानी उस समय आरंभ होती है जब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अपने बचपने से बहुत कमज़ोर स्थिति में थे और इसके विपरीत फिरऔन बहुत मज़बूत स्थिति में था और कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि हज़रत मूसा फिरऔन पर विजय प्राप्त कर लेंगे और उसका अंत हो जायेगा परंतु महान ईश्वर ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को विजय दिलाकर और फिरऔन को नील नदी में डूबाकर दिखा दिया कि ईश्वर हर कार्य पर पूर्ण सक्षम है।

हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ऐसे समय में पैदा हुए जब फिरऔन के आदेश से बनी इस्राईल के नवजात शिशुओं की हत्या कर दी जाती थी। महान ईश्वर ने हज़रत मूसा की मां के दिल में यह बात डाल दी कि वह अपने बच्चे को एक संदूक़ में बंद करके नील नदी में डाल दें। हज़रत मूसा की मां ने ऐसा ही किया। फिरऔन अपनी पत्नी के साथ आनंद लेने के लिए नील नदी के किनारे बैठा था। उसने जब पानी में संदूक़ देखा तो उसे पकड़ने का आदेश दिया। जब संदूक़ आ गया और उसके खोला गया तो उसमें से एक बच्चा मिला। पहले तो फिरऔन ने उस बच्चे की भी हत्या कर देने की सोची परंतु अपनी पत्नी आसिया के कहने पर हत्या के इरादे से वह पीछे हट गया और उसकी पत्नी ने हज़रत मूसा को पालने के लिए ले लिया।

बहरहाल महान ईश्वर की इच्छा यह था कि उसका कमज़ोर बंदा उसके शक्तिशाली शत्रु के घर में पले बढ़े। उसने हज़रत मूसा की मां को दाइया के रूप में स्वीकार किया ताकि वह हज़रत मूसा को दूध पिलाती रहें। इस प्रकार हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम अपने शत्रु के घर में पले बढ़े। पवित्र कुरआन के सूरे क़सस की ७वीं से १३ तक की आयतों में हज़रत मूसा के बाल्यकाल की ओर संकेत किया गया है। जब हज़रत मूसा बड़े हुए तो वे एक हष्ट पुष्ट और शक्तिशाली जवान हुए। एक दिन उन्होंने अचानक एक अत्याचारग्रस्त की आवाज़ सुनी। वह उस आवाज़ की तरफ दौड़े दौड़े गये तो देखा कि वहां फिरऔन के कारिन्दे एक व्यक्ति के साथ ज़ोर ज़बरदस्ती कर रहे हैं। हज़रत मूसा से यह दृश्य देखा न गया। फिरऔन के कारिन्दों और उनके बीच विवाद हो गया। हज़रत मूसा ने फिरऔन के कारिन्दे को एक ऐसा मुक्का मारा कि उसका काम वहीं पर खत्म हो गया। उसके बाद हज़रत मूसा के लिए कुछ घटनायें घटीं। उनमें से एक यह है कि नगर के दूरस्थ क्षेत्र से एक व्यक्ति दौड़ा दौड़ा हज़रत मूसा के पास आया और उनसे कहने लगा। फिरऔन के आदमी आप को सलाह मशवेरे के लिए ढ़ूढ रहे हैं ताकि आपकी हत्या कर दें। तो आप तुरंत यहां से चले जाइये। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम हर वक्त किसी घटना के घटित होने की प्रतीक्षा में था और चिंतित व भयभीत स्थिति में मिस्र छोड़कर मदयन की ओर चल पड़े।

हज़रत मूसा जब मदयन के एक कुएं के पास पहुंचे तो उन्होंने देखा कि कुछ लोग कुएं के पास एकत्रित हैं ताकि अपनी अपनी भेंड़ों को पानी पिलायें। लोगों की भीड़ के किनारे दो लड़कियों को देखा जो अपनी भेंड़ों को पानी पिलाने के लिए खड़ी हैं और वे कुएं के निकट नहीं आ रही हैं। हज़रत मूसा ने उनसे पूछा आप लोग अपनी भेड़ों को क्यों पानी नहीं पिला रही हैं? उन लड़कियों ने जवाब दिया हम उस समय तक अपनी भेड़ों को पानी नहीं पिलायेंगे जब तक समस्त चरवाहे यहां से न चले जाते और हमारे पिता बूढे हैं और उनके अंदर भेंड़ों को पानी पिलाने की शक्ति नहीं है। हज़रत मूसा कमज़ोरों की सहायता करने में सबके आदर्श थे इसलिए वह लड़कियों की बात सुनकर उनकी सहायता करने के लिए आगे आ गये और उनकी भेडों को पानी पिलाया। उसके बाद हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम छाया में आये और कहा हे पालनहार तू जो भी नेकी मेरे लिए भेज मुझे उसकी आवश्यकता है। इसके बाद वह दोनों लड़कियां अपने घर लौट गयीं। उनके बाप ने कहा क्या हुआ? आज क्यों जल्दी आ गयी? लड़कियों ने अपने बाप को बताया कि कुएं पर उन्होंने एक भले व्यक्ति को देखा है जिसने मेरी सहायता की और मेरी भेड़ों को पानी पिलाया है।

उसके बाद दोनों लड़कियों में से एक बहुत ही लज्जा के साथ हज़रत मूसा के पास गयी और उनसे कहा हमारे बाप ने आपको बुलाया है ताकि आप ने जो मेरे साथ भलाई की है उसके बदले में आपको कुछ दें। जब हज़रत मूसा लड़कियों के बाप के पास गये तो उन्होंने उनसे अपनी आप बीती बतायी। लड़कियों के पिता हज़रत शुएब भी पैग़म्बर थे उन्होंने हज़रत मूसा से कहा अब तुम बिल्कुल भयभीत न हो अब तुम अत्याचारी क़ौम से मुक्ति पा चुके हो। उस समय उनकी दोनों लड़कियों में से एक ने कहा हे पिता इस व्यक्ति को अपनी सेवा के लिए रख लीजिये क्योंकि यह वह बेहतरीन इंसान है जो आपकी सेवा कर सकता है और यह शक्तिशाली एवं अमीन व्यक्ति है। हज़रत शुएब ने कहा मैं चाहता हूं कि अपनी दोनों लड़कियों में से एक का विवाह तुमसे कर दूंगा इस शर्त के साथ कि तुम आठ साल तक मेरे के लिए काम करो और अगर इस अविध को १० वर्ष कर दो तो यह तुम्हारा प्रेम है। मैं तुमसे कड़ाई नहीं करना चाहता।

सूरे क़सस की २९ से ३५ तक की आयतों में हज़रत मूसा के पैग़म्बर होने की ओर संकेत किया गया है। इन आयतों में महान ईश्वर कहता है जब मूसा ने शुएब के पास निर्धारित समय पूरा कर दिया और अपने परिवार के साथ मदयन से मिस्र की ओर चल पड़े तो रास्ते में उन्होंने तूर नाम के पर्वत की ओर आग देखा। उन्होंने अपने परिजनों से कहा थोड़ा रुको। मैंने आग देखी है मैं वहां जाता हूं शायद तुम्हारे लिए कोई खबर ले आऊं या तुम्हारे लिए आग का एक शोला ले आऊं ताकि तुम उससे गर्म हो सको। इसके बाद हज़रत मूसा आग की ओर गये। जैसे ही हज़रत मूसा आग के निकट पहुंचे पहाड़ी के दाहिने दर्रे पर मौजूद एक वृक्ष से आवाज़ आयी हे मूसा बेशक मैं ईश्वर हूं। विश्व का पालनहार, अपनी लाठी फेंक दो। जब हज़रत मूसा ने अपनी लाठी फेंक दी तो देखा कि वह एक सांप की तरह तेज़ी से चल रही है। हज़रत मूसा डर कर पीछे हट गये यहां तक कि उन्होंने अपने पीछे भी नहीं देखा। उस समय आवाज़ आयी हे मूसा! आगे आओ डरो नहीं निःसंदेह तुम सुरक्षित हो।“

यहां से बनी इस्राईल जाति के मार्गदर्शन और उसे फिरऔन के अत्याचार से मुक्ति दिलाने हेतु हज़रत मूसा की ज़िम्मेदारी का आरंभ हुआ। हज़रत मूसा ईश्वर की ओर से चमत्कार प्राप्त करने के बाद अपने भाई हारून के साथ फिरऔन और उसके समीपवर्ती लोगों के पास गये। क्योंकि फिरऔन और उसके समीपवर्तियों ने ज़मीन में उददंडता फैला रखी थी।