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पवित्र क़ुरआन पार्ट-40 : क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि शैतान किस पर उतरते है…?!
अल-नम्ल सूरे की आयतें मक्के में विभिन्न अवसरों पर नाज़िल हुईं। क़ुरान के अन्य सूरों के विपरीत इस सूरे में बिस्म… का ज़िक्र दो बार हुआ है। एक बार सूरे के शुरू में और दूसरी बार 30वीं आयत में हज़रत सुलेमान की ओर से सबा की रानी को लिखे गए पत्र के शुरू में। 18वीं […]
पवित्र क़ुरआन पार्ट-31 : न्याय वह चीज़ है जिस पर पूरा ब्रह्मांड चल रहा है!
महान व सर्वसमर्थ ईश्वर पवित्र कुरआन के सूरये नहल की ४८ वीं आयत में कहता है” क्या उन लोगों ने ईश्वर की सृष्टि में से किसी एसी चीज़ को नहीं देखा जिसकी छाया कभी दाहिने ओर और कभी बायीं ओर पलटी रहती है और विनम्रता के साथ ईश्वर का सजदा करती है? पवित्र कुरआन की […]
“सुन्नतों को ज़िंदा करना”
Shams Bond ================= “सुन्नतों को ज़िंदा करना” ज़रूर ये बात चौंकाने वाली है, क्यूंकि अहले इमान का दावा है कि वो सुन्नतों की पैरवी करते हैं, फिर सुन्नत को मौत कब आई जो ज़िंदा करने की बात हो रही है। हम अपने आसपास मुस्लिम्स को देखते हैं तो ज़रा ज़रा सा ज़ाहिर अंतर दिखता है […]