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प्रतीक और परम्पराओं के सहारे…By-Tajinder Singh
Tajinder Singh ============== प्रतीक और परम्पराओं के सहारे… मेरा घर जिस जगह है वो प्राइवेट इलाका है। मेरे घर से एक किलोमीटर की दूरी से टाटा कंपनी का इलाका शुरू हो जाता है। यहां है चौड़े चौड़े रोड, चारो तरफ लगे वृक्ष। वृक्षों का एक जंगल है यहां। आप हर चौथे घर मे आम का […]
एक इजाज़त दे दो बस, जब इसको दफ़नाऊँगी…
गाड़ी में जैसे ही fm ऑन किया सागर फ़िल्म के गीत के ये बोल बज रहे थे…. सुनते थे हम ये ज़िन्दगी ग़म और ख़ुशी का मेल है हमको मगर आया नज़र ये ज़िन्दगी वो खेल है कोई सब जीते सब कोई हार दे अपनी तो हार है यार मेरे हाँ यार मेरे…… हमारी कॉलेज […]
💓 गोपी के गोपाल 💓
लक्ष्मी कांत पाण्डेय =============== · . 💓 गोपी के गोपाल 💓 एक छोटा सा पांच साल का बालक था गोपी। वह अपनी मां के साथ रहता था। उसकी मां मेहनत मजदूरी का काम करती थी ।गोपी इसी साल से जंगल के रास्ते से पाठशाला में पढ़ने जाता था। वह बहुत ही सीधा साधा और शांत […]