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ज़रूर पढ़ें रूबी सत्येन्द्र कुमार की एक लघुकथा – ठूंठ
रूबी सत्येन्द्र कुमार की कविता मंजरी ============ एक लघुकथा निवेदित है। लघु कथा:-ठूंठ हाँ! मैं अब ठूंठ हूं। आज मेरे पास कोई नहीं आता ,ना तो मेरी डालियों पर चिड़ियों के बसेरे हैं, और ना ही मेरी छाया में बैठे अनगिनत लोग ,जो अपने अपने किस्सों को एक दूसरे के साथ बड़ी स्नेह से देर […]
“देखो बेटा, बाई की बेइज़्ज़ती नहीं करते, उसके साथ तमीज़ से पेश आया करो”
Ankit Tiwari ================= #कहानी- महत्वाकांक्षा नियुक्ति का पत्र हाथ में लिए वह ख़ुशी से पागल हुई जा रही थी. कितनी ही बार पढ़ा उसने पत्र को. क्या सचमुच यह नियुक्ति-पत्र ही है? सपना तो नहीं देख रही मैं? नहीं, यह सपना नहीं है. हक़ीक़त है. उसने घर के दरवाज़े खोल दिए, ठंडी हवा के झोंकें […]
*मेरे रिश्तेदार और तुम्हारे रिश्तेदार*
Harish Yadav ================= * मेरे रिश्तेदार और तुम्हारे रिश्तेदार * ” तुम्हारे घर से जब कोई रिश्तेदार आता है तो तुम्हारे चेहरे की रौनक देखने लायक होती है। तब तो बड़े हंस-हंसकर आज ये बनवाओगे कल वो बनवाओगे। लेकिन जब मेरे घर से कोई आता है, तब तुम्हें क्या हो जाता है” मानवी अपने पति […]