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वो शायद भगवान भी नहीं कर सकते, मां वो जो मन पढ़ ले…..By-Santosh Kumar Pant
Santosh Kumar Pant ============= · मां और शहर ———-:————– ईजा (मां).. ईजा (मां)….मि ऐ गईं (मैं आ गया हूं)..यह कहते हुए मैं अभी अभी ‘शहर’ से लौटा था, और मां से पूरे 1 साल के बाद मिला था,मां से लिपटा…लगा जैसे समंदर ने हज़ार नदियों को अपने अंदर समेट लिया हो।हजारों बरस तक अलग न […]
⚘आज फिर जाँच, एक लघुकथा…By – रूबी गुप्ता
Satyendra Rubi Gupta ============== एक लघुकथा: ⚘आज फिर जाँच। सुबह का समय सब कुछ अपने नियत समय से चल रहा था। प्रार्थना सभा के बाद कुछ कहानी कविताओं के साथ आज के पठन पाठन कार्यक्रम की शुरुआत हुई। प्रति दिन के भाँति ही सब कुछ सामान्य था रसोईघर में दाल के छौंक से बच्चों के […]
शैलजा का जीवन अब सही मायने में ‘#सहजीवन’ के भाव से परिपूर्ण था
दो लफ्ज ============== आंगन से बहू ऋचा के झल्लाने की तेज़ आवाज़ें आ रही थीं. आम के पेड़ पर अमरबेल फैल गयी थी. बस डंडे से उसी को खींच-खींच कर अलग करती जा रही ऋचा लगातार ग़ुस्से से बड़बड़ाती जा रही थी. रसोईघर में सबका खाना बनाती शैलजा ने एक गहरी सांस भरी. वह समझ […]