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पटना से राँची के लिए #VandeBharat शुरू, AC Chair का क़िराया 1025, Executive का 1930 जबकि पटना से राँची के लिए जनशताब्दी का 195 है!

M.M. Dhera(Advocate)
@AdvocateDhera
पटना से राँची के लिए वन्दे भारत ट्रेन शुरू की गई है।
AC Chair Car का किराया ₹1025 जबकि Executive Chair Car का किराया ₹1930 है। यात्रा पूरी होने में 6 घंटे का समय लगता है।

पटना से राँची के लिए जनशताब्दी भी चलती है।
Chair Car का किराया ₹195 जबकि
AC Chair Car का किराया ₹650 है। यात्रा पूरी होने में 7.45 घंटे का समय लगता है।

वन्दे भारत में केवल 1.45 घंटे का समय कम लग रहा है लेकिन किराया लगभग 300% अधिक है।

भारत के रेल यात्रियों ने समय के साथ देर चलने वाली रेलगाड़ियों से समझौता पहले से कर लिया है। दूसरी तरफ़ पेट पर लात पर ही रही है। अब पंत प्रधान अपने सुकुमार ट्रेन को हिट कराने के चक्कर में जनशताब्दी को बंद न करवा दे।

हमसफ़र जैसी घटिया ट्रेन को लॉंच कर के गरीब रथ को पहले ही कई रूटों में बंद कर दिया गया है। गरीब रथ का किराया भी अन्य ट्रेनों की थर्ड एसी से लगभग 30 फ़ीसदी कम था।
#VandeBharatExpress

ANI_HindiNews
@AHindinews
पुलिस को सूचना मिली की एक नीरज नामक व्यक्ति अपनी दुकान से पैसे लेकर बैंक में जमा करने जा रहा था। रास्ते में दो बाइक पर सवार 4 लोगों ने उसका बैग छीन लिया। मेरे द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण किया है। उक्त व्यक्ति से तहरीर लेकर अभियोग पंजीकृत कर लिया गया है। CCTV की जांच जारी है। शीघ्र ही घटना का अनावरण किया जाएगा: शुभम पटेल, DCP ग्रामीण, गाज़ियाबाद (30.06)

https://twitter.com/i/status/1674779925935718403


Abhishek Anand Journalist 🇮🇳
@TweetAbhishekA
“श्री कन्हैयालाल के दोनों हत्यारे BJP के सक्रिय कार्यकर्ता थे. अमित शाह को जांच करवानी चाहिए कि इन दोनों के मददगार कौन भाजपा नेता थे जो इनके लिए पुलिस थानों में फोन करते थे। एक ओपन एंड शट केस में चार्जशीट फाइल होने में भी इतना अधिक समय क्यों लगा और इन्हें अब तक सजा क्यों नहीं हुई?”- अशोक गहलोत

“शाह ने झूठ बोला कि कन्हैयालाल के हत्यारों रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को NIA ने पकड़ा जबकि सत्य यह है कि इन्हें घटना के महज चार घंटों में राजस्थान पुलिस पकड़ लिया था।”:
@ashokgehlot51

https://twitter.com/i/status/1674795404830081031

 

डिस्क्लेमर : ट्वीट्स में लोगों के अपने निजी विचार और जानकारियां हैं, तीसरी जंग हिंदी का कोई सरोकार नहीं है