साहित्य

न जाने क्या हुआ उसको वो देखता ही नही…काशिफ अहसन क़ाश कन्नौजी की एक #ग़ज़ल!

काशिफ अहसन काश कन्नौजी
======================
___________💐💐 #ग़ज़ल // #غزل 💐💐_________
जो कोहरा ग़ैर शनासी का था छटा ही नही
न जाने क्या हुआ उसको वो देखता ही नही
جو کہرا غیر شناسی کا تھا چھٹا ہی نہیں
نہ جانے کیا ہوا اس کو وہ دیکھتا ہی نہیں
हज़ार बार मै धोया हूँ आंसुओं से उसे
लिखा था जो मेरी क़िस्मत मे ग़म मिटा ही नही
ہزار بار میں دھویا ___ ہوں آنسوؤں سے اسے
لکھا تھا جو میری قسمت میں غم مٹا ہی نہیں
गुज़र गया था वो कल पास से मेरे ऐसे
कि जैसे उसका मेरा सामना हुआ ही नही
گزر گیا تھا وہ کل پاس سے میرے ایسے
کہ جیسے اس کا میرا سامنا ہوا ہی نہیں
हमेशा वो ही क्यूँ होता है साथ मे मेरे
मै जिसको ख्वाब ख्यालों मे सोचता ही नही
ہمیشہ وہ ہی کیوں ______ رہتا ہے ساتھ میں میرے
میں جس کو خواب خیالوں میں سوچتا ہی نہیں
मेरे नसीब मे लिक्खा है एक तरफा इश्क
मै जिस किसी को भी चाहूँ वो चाहता ही नही
میرے نصیب میں ____ لکّھا ہے ایک طرفہ عشق
میں جس کسی کو بھی چاہوں وہ چاہتا ہی نہیں
कोई तो ऐब है मुझमे य़ा है वफा मे कमी
वो पेश आया है ऐसे कि जानता ही नही
کوئی تو عیب ہے مجھ میں یا ہے وفا میں کمی
وہ پیش آیا ہے _______ ایسے کہ جانتا ہی نہیں
वो एक शख्स जो आँखों से होगया ओझल
वो है सदा मेरे दिल मे कहीं गया ही नही
وہ ایک شخص جو آنکھوں سے ہو گیا اوجھل
وہ ہے سدا میرے دل میں کہیں گیا ہی نہیں
मुझे अज़ीज़ है काशिफ वो जान से ज़्यादा
कि जिसको दिल मेरा वहशत मे भूलता ही नही
काशिफ अहसन काश कन्नौजी
مجھے عزیز ہے ________ کاشف وہ جان سے زیادہ
کہ جس کو دل میرا وحشت میں بھولتا ہی نہیں
کاشف احسن “کاش قنّوجی “