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न्यूयॉर्क में यूनुस और बाइडन की मुलाक़ात, बांग्लादेश ने अमित शाह के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई : रिपोर्ट

भारत के गृह मंत्री अमित शाह के बयान पर सोमवार को बांग्लादेश ने कड़ी आपत्ति जताई थी.

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा था, ”जब सरकार में उच्च पदों पर बैठे लोग इस तरह की टिप्पणी करते हैं तो आपसी समझ और सम्मान पर सीधा असर पड़ता है.”

हालांकि भारत में बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों का मामला कोई नया नहीं है और चुनाव में यह अक्सर उठते रहता है.

बीजेपी के चुनावी एजेंडे में यह मुद्दा हमेशा से रहा है.

अमित शाह और बीजेपी की ओर से चुनावी रैलियों में इस तरह की टिप्पणियाँ पहले भी हुई हैं और बांग्लादेश पहले भी आपत्ति जताता रहा है. लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है.

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद का माहौल

पहले जब अमित शाह बांग्लादेश की ओर से घुसपैठ का मुद्दा उठाते थे, तब बांग्लादेश में शेख़ हसीना की सरकार थी.

शेख़ हसीना को भारत समर्थक प्रधानमंत्री के रूप में देखा जाता था लेकिन अब वहाँ एक ऐसी सरकार है, जो हसीना को अपदस्थ करके आई है.

शेख़ हसीना अभी भारत में रह रही हैं. बांग्लादेश की वर्तमान सरकार चाहती है कि भारत शेख़ हसीना को सौंप दे.

अमित शाह के बयान और बांग्लादेश की आपत्ति को ढाका से छपने वाले अख़बारों ने भी जगह दी है.

बांग्लादेश के प्रमुख अख़बार ढाका ट्रिब्यून ने तो बुधवार को संपादकीय टिप्पणी छापी है.

इस संपादकीय टिप्पणी में कहा गया है, ”अमित शाह का बयान निंदनीय और ग़ैर-ज़िम्मेदाराना है. बांग्लादेश में अवामी लीग की सरकार जाने के बाद से दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में तनाव पहले से ही है. ऐसे में भारत के किसी नेता की तरफ़ से इस तरह की टिप्पणी आएगी तो संबंध और ख़राब होंगे. यह अच्छी बात है कि इन मामलों में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार स्पष्ट रूप से अपना रुख़ ज़ाहिर कर रही है. इससे पहले भारत बांग्लादेश बॉर्डर पर एक बांग्लादेशी की मौत को लेकर भी अंतरिम सरकार ने विरोध दर्ज कराया था.”

ढाका ट्रिब्यून ने अपनी संपादकीय टिप्पणी में लिखा है, ”दोनों देशों के प्रतिनिधि न्यूयॉर्क में मिल चुके हैं. इससे स्पष्ट है कि दोनों देश अपने ऐतिहासिक संबंधों को मधुर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. लेकिन इस बीच शत्रुता भरे बयान कहाँ से आते हैं? भारत से बांग्लादेश दोस्ताना संबंध चाहता है लेकिन भारत को चाहिए कि वह अपने नेताओं को बांग्लादेशी नागरिकों के प्रति नफ़रत भरे बयान देने से रोके.”

बांग्लादेश के अख़बार में शाह का ज़िक्र

बांग्लादेश के प्रमुख अख़बार डेली स्टार ने भी अमित शाह की टिप्पणी और बांग्लादेश सरकार की आपत्ति को जगह दी है.

डेली स्टार ने लिखा है, ”अमित शाह पश्चिम बंगाल के अलावा दूसरे राज्यों में भी बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए बोलते रहे हैं. इसीलिए उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून लागू किया है. तब आनंदबाज़ार पत्रिका ने पूछा था कि पिछले 10-15 सालों में बांग्लादेश ने आर्थिक तरक़्क़ी की है, फिर भी बांग्लादेश से अवैध प्रवासी भारत क्यों जा रहे हैं? इस पर अमित शाह ने कहा था कि बांग्लादेश की तरक़्क़ी का फ़ायदा भारत से लगी सीमा पर रहने वाले बांग्लादेशी नागरिकों को नहीं मिल रहा है.”

डेली स्टार के लेख के मुताबिक़, ”दूसरा कारण अमित शाह ने यह बताया था कि किसी देश में जब विकास गति पकड़ता है तो उसका शुरुआती फ़ायदा अमीरों को होता है न कि ग़रीबों को और बांग्लादेश में अभी यही हो रहा है. ग़रीब बांग्लादेशी अब भी भूख से जूझ रहे हैं. घुसपैठ इसीलिए थम नहीं रही है और अब भी जारी है. घुसपैठ केवल बंगाल में ही नहीं बल्कि भारत के अन्य राज्यों में भी हो रही है. यहाँ तक कि जम्मू-कश्मीर में भी.”

डेली स्टार ने अपने एक और लेख में लिखा है, ”बांग्लादेश और भारत क़रीबी पड़ोसी हैं. बांग्लादेश की स्थिरता से भारत की सुरक्षा जुड़ी हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चाहिए कि वह भारत के भीतर से अतिवादी टिप्पणी आने से रोकें. सरहद के आस-पास शांति बनाए रखने के लिए यह ज़रूरी है. भारत के नीति निर्माताओं को चाहिए कि वे घरेलू राजनीति के मुद्दों का दोहन इस तरीक़े से ना करें कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दे. यह भारत के हक़ में है कि वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का समर्थन करे.”

न्यूयॉर्क में यूनुस और बाइडन की मुलाक़ात

24 सितंबर को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की मुलाक़ात हुई.

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद दोनों देशों के प्रमुखों की ये पहली मुलाक़ात है. इस मुलाक़ात की एक तस्वीर भी चर्चा में आ गई है.

ये तस्वीर इसलिए भी अहम है कि जब बाइडन-यूनुस की मुलाक़ात हुई, उससे ठीक पहले पीएम मोदी भी अमेरिका में थे. मगर मोहम्मद यूनुस और पीएम मोदी की मुलाक़ात नहीं हुई.

भारत बांग्लादेश का दोस्त रहा है. मगर शेख़ हसीना के सत्ता में हटने के बाद से बांग्लादेश और भारत के संबंधों पर सवाल उठने लगे हैं. बांग्लादेश में बीएनपी का उभार हो रहा है. बीएनपी की छवि भारत विरोधी की मानी जाती है.

ऐसे वक़्त में अमित शाह के बयान पर जानकार भी टिप्पणी कर रहे हैं.

भारत के पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल एक्स पर लिखते हैं, ”अमित शाह के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश क्यों करना? शाह बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों की बात कर रहे थे, जिनके कारण झारखंड की आबादी का अनुपात बदल रहा है. वो बांग्लादेशियों की बात नहीं कर रहे थे. बांग्लादेश से भारत आने वाले अवैध प्रवासियों की समस्या असली है. क्या चीन और म्यांमार में अवैध रूस से भारतीय जाते हैं जो वहां की आबादी को बदल रहे हों?”

अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार ब्रह्मा चेलानी ने बाइडन-यूनुस की तस्वीर को साझा करते हुए लिखा, ”वेनेज़ुएला, कॉन्गो में सत्ता परिवर्तन की नाकाम कोशिश, जिसके बाद तख़्तापलट की कोशिश के कारण तीन अमेरिकियों को मौत की सज़ा सुनाई गई. बाइडन ने बांग्लादेश में सेना के बैठाए मोहम्मद यूनुस से मुलाक़ात की और पूरा समर्थन देने की बात कही.”

इस ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए कंवल सिब्बल ने लिखा, ”बांग्लादेश के ज़मीनी हालात को देखते हुए बाइडन-यूनुस का गले लगना अमेरिका के लोकतंत्र और अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों से मेल नहीं खाता. बांग्लादेश में हुए तख्तापलट से इस्लामिक और भारत विरोधी ताक़तों के रास्ते खुले हैं. ये भारत की सुरक्षा के लिए ख़तरा है.”

सिब्बल लिखते हैं, ”सत्ता परिवर्तन के बाद निशाने पर आए हिंदू भारत के लिए चिंता की बात है. अमेरिका भारत की चिंताओं को नज़रअंदाज़ कर रहा है. बांग्लादेश में बदलते हालात को अमेरिका काबू नहीं कर पाएगा.”

सिब्बल ने ट्वीट किया, ”जहां इस्लामिक ताकतें कंट्रोल हासिल कर रही हों, जहां हिंदू निशाने पर हों, जहां अर्थव्यवस्था पर संकट हो, जहां भारत से साझेदारी पर सवाल हों- ऐसी अव्यवस्था के ढेर पर बैठे शख़्स से इस तरह मिलना असंगत है.”

बाइडन यूनस की तस्वीर पर चर्चा

थिंक टैंक रैंड कॉर्पोरेशन के सीनियर फेलो डेरेक जे ग्रॉसमैन ने सोशल मीडिया पर लिखा, ”झूठ नहीं बोलूंगा पर मुझे ये कई मामलों में असहज करता है. यूनुस चुने हुए नेता नहीं हैं. हिंदुओं पर हमले और इस्लामिक कट्टरपंथियों के प्रति उदार रुख़ को लेक कई जायज़ चिंताएं हैं. भारत-अमेरिका के संबंधों पर इसका असर होगा. बांग्लादेश से ऐसा रिश्ता दिखाकर अमेरिका को क्या हासिल होगा?”

वहीं थिंक टैंक विल्सन सेंटर में साउथ एशिया के एनलिस्ट माइकल जे कुगलमैन लिखते हैं, ”अगर मैं ग़लत नहीं हूं तो बाइडन यूनुस की ये मुलाक़ात बीते 24 सालों में पहली द्विपक्षीय वार्ता होगी. इससे पहले साल 2000 में ढाका में शेख़ हसीना और बिल क्लिंटन की मुलाक़ात हुई थी.”

पीएम मोदी से मुलाक़ात ना होने के बारे में माइकल जे कुगलमेन ने कहा, ”यूनुस अमेरिका तब आए, जब मोदी अमेरिका से चले गए.”