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नेहरू के खून में कुछ बात तो है, वरूण गांधी-चाहे कुछ हो जाये वो अपनी बहन प्रियंका के ख़िलाफ़ चुनाव नहीं लड़ेंगे!

Deepak Sharma
@DeepakSEditor
नेहरू के खून में कुछ बात तो है।

पीलीभीत से वरूण गांधी को किनारे करने के बाद अब बीजेपी उन्हे रायबरेली से लड़ाना चाहती है।इस सिलसिले में वरूण को बीजेपी के वरिष्ठ नेता नेता ने सम्पर्क किया।

लेकिन वरूण का कहना था कि चाहे कुछ हो जाये वो अपनी बहन प्रियंका के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेंगे।

कई बार के दबाव के बाद जब फाईनली वरूण गांधी ने मना कर दिया तो बीजेपी अब रायबरेली से सपा के पूर्व विधायक राकेश सिंह को मैदान में उतारने पर विचार कर रही है।

Zakir Ali Tyagi
@ZakirAliTyagi
सहारनपुर में राजपूत समाज
@Imranmasood_Inc
को जो प्यार दे रहा है वह ताउम्र के लिए इतिहास में अंकित किया जायेगा, इमरान मसूद के लिए राजपूत समाज के साथ साथ अन्य समाज के लोग भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे है ,परिणाम जो भी हो लेकिन फ़िलहाल इमरान मसूद को बधाई और उम्मीद है कि वह अपने क्षेत्र की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे!

आसमोहम्मद कैफ़ । Aas mohd kaif 🇮🇳
@journoaas
जुमे की नमाज़ के बाद सहारनपुर की वोटिंग में पैटर्न फिर से चेंज हो गया है। इमरान मसूद के समर्थकों को उम्मीद है कि माजिद अली ने जो नुकसान पहुंचाया है उसे राजपूत समाज बैलेंस कर देगा। इमरान ने पूरा दम लगा दिया है। पुराना खिलाड़ी है, सब कुछ झोंक रहा है। चुनाव में दम आ गया है।


ravish kumar
@ravishndtv
जे एन यू कभी भी टुकड़े- टुकड़े गैंग का हिस्सा नहीं था- कुलपति

मौजूदा कुलपति ने पूर्ववर्ती नेतृत्व( वाइस चांसलर के अलावा क्या हो सकता है ) की असफलता को उजागर करते हुए कहा है कि उस समय के नेतृत्व ने सँभालने में ग़लती की।

जे एन यू को बदनाम करने में मोदी राज के दौर में बहुत बड़ा निवेश किया गया। मीडिया को भी लगाया गया। निशाने पर जे एन यू था और उसके बहाने सरकार के आलोचकों को भी टारगेट किया गया।

जे एन यू को राष्ट्र विरोध से इस तरह जोड़ दिया गया कि उस समय देशभक्ति सिखाने के लिए टैंक लगाने और तिरंगा लगाने की बात होने लगी।

जे एन यू की कुलपति का यह इंटरव्यू जागरण में छपा है ।

देखना चाहिए कि जे एन यू की घटना को जागरण ने कैसे कवर किया है।