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ईरानी मजदूर साबिर हका की कविताएं
ईरानी मजदूर साबिर हका की कविताएं तडि़त-प्रहार की तरह हैं. साबिर का जन्म 1986 में ईरान के करमानशाह में हुआ. अब वह तेहरान में रहते हैं और इमारतों में निर्माण-कार्य के दौरान मज़दूरी करते हैं. साबिर हका के दो कविता-संग्रह प्रकाशित हैं और ईरान श्रमिक कविता स्पर्धा में प्रथम पुरस्कार पा चुके हैं. लेकिन कविता […]
अक्ल बाटने लगे विधाता,,,,By…Aarti Dubey
Aarti Dubey 😀😀😀😀😀 अक्ल बाटने लगे विधाता, लंबी लगी कतारी। सभी आदमी खड़े हुए थे, कहीं नहीं थी नारी।। सभी नारियाँ कहाँ रह गई, था ये अचरज भारी । पता चला ब्यूटी पार्लर में, पहुँच गई थी सारी।। मेकअप की थी गहन प्रक्रिया, एक एक पर भारी । बैठी थीं कुछ इंतजार में, कब आएगी […]
मधु मालती जी और ‘भूल-ग़लती’ का क़िस्सा…बेहद अँधेरे दिनों में भी हँसना ज़रूरी होता है!!
Kavita Krishnapallavi =============== · ( बेहद अँधेरे दिनों में भी हँसना ज़रूरी होता है I जीवन की विडम्बनाओं पर, त्रासदियों पर, अपने दुश्मनों पर, फ़ासिस्टों पर, नकली वामपंथियों पर, लिबलिब लिबरलों पर, कूपमंडूक “सद्गृहस्थों” पर दिल खोलकर हँसना चाहिए I हँसना ऊर्जस्वी और ताज़ादम बनाता है I इसलिए एकदम उन्मुक्तता और निर्मलचित्तता के साथ हँसना […]