नई दिल्ली । बिहार में 200 नीलगायों की गोली मारकर हत्या के मामले में केंद्र के दो मंत्री आमने-सामने आ गए हैं। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने गुरुवार को प्रकाश जावड़ेकर की अगुआई वाले पर्यावरण मंत्रालय पर जमकर निशाना साधा। मेनका ने कहा कि वह मंत्रालय के ‘जानवरों को मारने की हवस’ को समझ नहीं पा रहीं।
मेनका गांधी ने आरोप लगाया कि पर्यावरण मंत्रालय हर राज्य को चिट्ठी लिखकर पूछ रहा है कि किस जानवर को मारना है, वह आदेश दे देगा। वहीं जावड़ेकर का कहना है कि जानवरों के हाथों फसल खराब होने से परेशान किसानों ने इसकी मांग की थी, जिसके बाद जानवरों को मारने की अनुमति दी गई है।
मेनका ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय हर राज्य को लिख रहा है कि आप बताओ किसको मारना है। हम इजाजत दे देंगे। बंगाल में उन्होंने कह दिया कि हाथी को मारें। हिमाचल को कहा कि हाथी को मारें। गोवा में कह दिया कि मोर को। अब कोई जानवर नहीं छूटा। चांदपुर में इतना अनर्थ हो रहा है कि उन्होंने 53 जंगली सुअर मारे हैं। अभी और 50 की इजाजत दी है। इस घटना के लिए पर्यावरण मंत्रालय जिम्मेदार है।
मेनका ने इन घटनाओं के पीछे पर्यावरण मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया। पर्यावरण मंत्री की भूमिका के बारे में सवाल पूछे जाने पर मेनका ने कहा, ‘इजाजत उन्हीं को देना है। यह पहली बार हुआ है कि मिनिस्ट्री इजाजत दे रही है।’
वहीँ जावड़ेकर ने इस बात पर जोर दिया कि यह जानवरों की संख्या का ‘वैज्ञानिक प्रबंधन’ है और ‘खूंखार’ घोषित किए जानवरों को मारने की इजाजत विशेष इलाकों और समयावधि के लिए होती है। जावड़ेकर ने कहा, ‘मौजूदा कानून के तहत जब किसान बहुत अधिक समस्याओं का सामना करते हैं और उनकी फसलें पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाती हैं तथा जब राज्य सरकार प्रस्ताव भेजती हैं तो हम (मारने की) इजाजत देते हैं और राज्य सरकारों के एक विशेष इलाके और समयावधि संबंधी प्रस्ताव को अनुमति प्रदान करते हैं।’