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निर्भया और बिल्क़ीस बनो, एक के लिए मौत की सज़ा की मांग और दूसरे के लिए….कांप उठी पीड़िता बिल्क़ीस की आत्मा

भारत में गुजरात राज्य की सरकार ने क्रूर अपराधियों पर प्यार लुटाते हुए उनका बेहद जघन्य अपराध माफ़ करके जेल से रिहा मर दिया जिस पर पूरे देश में इंसाफ़ पसंद हल्क़ों में थू-थू हो रही है।

जिस दिन भारत ने अपना 75वां स्वातंत्रता दिवस मनाया उसी दिन गुजरात की सरकार ने गैंग और और सात लोगों के सामूहिक नरसंहार के सज़ा याफ़्ता अपराधियों को आम माफ़ी देकर जेल से रिहा कर दिया।

गुजरात सरकार के इस फ़ैसले की देश के अनेक गलियारे कड़ी निंदा कर रहे हैं। रिहा किए गए 11 अपराधी गोधरा जेल में उम्र की सज़ा काट रहे थे। उन्हें 2002 के कुख्यात गुजरात दंगों के दौरान एक गर्भवती महिला बिलक़ीस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उनके ख़ानदान के 7 लोगों का सामूहिक नरसंहार करने का दोषी पाया गया था।

गुजरात सरकार ने उनकी सज़ा माफ़ करने का फ़ैसला तब किया जब दिल्ली में लाल क़िले की प्राचीर से भारत के प्रधानमंत्री मोदी महिला सशक्तीकरण और महिलाओं को सम्मान देने की बड़ी लुहावनी बातें कर रहे थे।

कांग्रेस के नेता पवन खेड़ा ने गुजरात सरकार के इस क़दम की निंदा करते हुए पीएम मोदी को पूर्व प्रधानमंत्री वापजेयी की राजधर्म निभाने की नसीहत याद दिलाई।

कम्युनिस्ट पार्टी और आल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमन एसोसिएशन की अध्यक्ष कविता कृष्णन ने ट्वीट किया कि 2022 के स्वतंत्रता दिवस के मौक़े पर जब भारतीय प्रधानमंत्री नारी शक्ती की बात कर रहे थे तो गुजरात की सरकार माफ़ी के नाम पर बिल्क़ीस बानो को सामूहिक बलात्कार करने वाले अपराधियों को रिहा कर रही थी। क्या मोदी हमें बता सकते हैं कि बिल्क़ीस बानो उनकी नारी शक्ति का हिस्सा नहीं है क्योंकि वह मुसलमान है?

एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन उवैसी ने गुजरात सरकार के फ़ैसले की निंदा करते हुए सवाल किया कि क्या यही महिला को सशक्त बनाने की मिसाल है?

जाने माने पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने दो गैंग रेप की घटनाओं की तुलना करते हुए लिखा कि यह फ़ैसला कैसे किया जाए तो एक गैंग रेप और क़त्ल निर्भया का मामला और दूसरे केस बिल्क़ीस बनो से ज़्यादा घिनौना है, एक के लिए मौत की सज़ा की मांग और दूसरे के लिए नहीं?