साहित्य

#नाती_पोते_और_बुजुर्गों_की_खुशियाँ◆●◆

संदीप क़िताबी 

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#नाती_पोते_और_बुजुर्गों_की_खुशियाँ◆●◆

इसके बाबा सामने होते हैं न! तो चाहें फिर ये कितनी भी गलती क्यों न करे इसे डांटने नहीं देते। यदि डांटा तो फिर इसकी तरफदारी में हम दोनों को डांटते हैं कि ” मेरे पोते को यदि मारा तो मैं तुम्हारे हाँथ का खाना नहीं खाऊंगा आज से।”

कभी कभी तो लगता है मानों इन्होंने जिद पकड़ रखी है कि मेरे बच्चे को बिगाड़ कर ही जायेंगे। अरे भला अभी से इसे नहीं डांटेंगे नहीं मारेंगे तो गली मोहल्ले के बच्चों के साथ घूम घूमकर बिगड़ जाएगा ये तो, गाली देना सीख गया है ये। ये तो घर में पड़े रहते हैं, सुने हम बाहर वालों की कि देखो फलानी का लड़का अभी से गाली देने लगा। और जब मैं इतनी बात पलट कर कह देती हूँ समझाने के लिए तो फिर मुझसे नाराज हो जाते हैं। बुजुर्गों की ये आदत बहुत परेशान करती है। एक तरफ ये बच्चे नहीं चैन से बैठते ऊपर से ये बुढ़ापे पर हर दम चिल्ली चिंगार।

कुछ ऐसी थी अभी पिछले कुछ सालों से मेरे दोस्त की मैडम की शिकायत। हर रोज बच्चों और अपने ससुर का रोना मेरे घर आकर शुरू कर देतीं। मैं चुप चाप सा सुनता, अगर बोल देता कुछ तो मैं भी उन्हीं में शामिल।

हालांकि मैंने कई बार सोचा गुजरती पीढ़ी और शुरू होती पीढ़ी के बीच सम्बन्धों में शिक्षा के आदान प्रदान के विषय और महत्व के बारे में बताऊं इन्हें बैठकर, बताऊं कि जितना नाती पोते दादा दादी नाना नानी के प्यार लाड़ दुलार में सीखते हैं उतना इस डांट फटकार से नहीं। कई बार सोचा समझाऊं इन्हें कि इस प्रदान की गई समझदारी की सबसे बड़ी बजह है उनकी आपस की दोस्ती प्यार और माफीनामा। बुजुर्ग कहाँ बच्चों से परेशान होते हैं, वो तो अपने गुजरते समय में बच्चों में घुलकर अपने बच्चों के बचपन को यादकर खुश हो लेते हैं। रिटायर होने के बाद खाली समय में उन दिनों को याद करने की एक बजह देते हैं ये नाती पोते जिन्हें वो अपने बच्चों को कभी गौर से देख ही नहीं पाए थे जीवन की भागदौड़ और आपाधापी में। आज जब वो अपने आखिरी पड़ाव में आ गए हैं उन्हें वक्त मिला है कि नाती पोतों में अपने बच्चों के बचपन को निहार लें तो आप उन्हें बेग़ैरत समझकर दूर कर लेते हो। अरे उन्होंने आपके पति को पालकर तुम्हें सौंप दिया, वो जानते हैं कि बच्चा कैसे बिगड़ेगा कैसे सुधरेगा। आपके बाप हैं वो, उन्हें जी लेने दो इन नन्हें बच्चों की नन्हीं नन्हीं उंगलियों की उछल कूद के साथ, वो तुम्हारे बच्चों में अपनों बच्चों का बचपन निहारकर स्वर्ग का रास्ता हंसते मुस्कराते गुजारना चाहते हैं। ख़ैर….

आज वो घर की तेजतर्रार बहु बीमार पड़ी है, घर का बेटा बाहर मीटिंग में गया है सात दिन के लिए। लेकिन घर के काम में कोई कमी नहीं आई है, क्योंकि दादी अपने डंडे का सहारा लेकर सुबह से काम कर रही हैं, उनके साथ उनका पोता भी हल्के हल्के कदमों से दादी से सबाल जबाब करता उन्हें गुदगुदाता काम में लगा है उनका हौसला बनकर बुढ़ापे में। सब कुछ निपटाकर दादी जब मूंग की दाल बनाने चलीं रशोई में तो पोता सब समझ रहा था, मम्मी से बोला ” मम्मी आप आराम करो मैं दादा के साथ जाकर मिलकर वर्तन धुल लूँगा मेरी उनसे बात हो गई है, और दादी तुम्हारे लिए दाल बनाकर ला रही है ” ।

आपको पता है उस माँ की आंखों में आँशु आ गए, 5 साल का बच्चा इतना ख़्याल रखना जाना कैसे । शायद ऐसे कि जब मां को सुबह उल्टी हो रही थी तो बाबा ने पोते को प्यार से गले लगाकर आराम से समझाया था कि ” बेटा आज आप बिलकुल शैतानी मत करना माँ आज बीमार है बहुत देखो। आज हम लोग घर का काम करेंगे तो मां को बहुत अच्छा लगेगा। “

आपको पता है बच्चे ऐसे काम बहुत लग्न से करते भी हैं और सीखते भी हैं। क्योंकि सबसे अच्छे दोस्त बचपन के नाना नानी और दादा दादी होते हैं। जब बाबा के साथ सारे वर्तन धुल लिए और मम्मी के पास भागता हुआ गया वह 5 साल का बच्चा कूदता हुआ यह कहने कि मम्मी मैंने आज सारे वर्तन धुल लिए आप परेशान न होना। तब दादी भी वहीं बैठीं थीं और पीछे से दादा भी सुन रहे थे। मम्मी धीरे से मुस्कराई और चारपाई पर लेटे लेटे गले लगा लिया। दादी ने सिर पर हाँथ फेरकर लम्बी उम्र की दुआ दी। और दादा ने उसके साहस को यह कहकर और खुशी दी कि हां भाई आज पोते ने बहुत काम किया।

यकीन मानिए छोटे बच्चों के हौसलों को सबसे ज्यादा अगर कोई मजबूत करता है तो वो सिर्फ और सिर्फ दादा दादी नाना नानी का प्यार। इसलिय कभी बचपन को बुजुर्गों से दूर मत करना, बल्कि उनके आपस के प्यार को समझना। देखना आपके घर में हमेशा खुशियां रहेंगी। आप के घर में हमेशा शांति रहेगी।
✍️ संदीप क़िताबी