साहित्य

“नाजुक डोर…..!!पार्ट-1!!

लक्ष्मी कान्त पाण्डेय
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“नाजुक डोर…..!!
मां…..बस अब बहुत हुआ …मैंने फैसला कर लिया है मुझे मोहनजी के साथ नहीं रहना बस…!!
सुधा…. पागलों जैसी बातें मत कर …ये क्या पागलपन है अच्छा खासा परिवार बन रहा है तेरा मोहन एक अच्छा लडका है और तेरी एक बेटी भी है तू कैसे भूल सकती है …बेटा ये क्या फितूर है….!!
मां….आपको पता है ना मुझे मार्डन टाइप लडके पसंद है एकदम फिल्मों के हीरो जैसे और ये ….ना कपडे पहनने का ढंग ना कुछ रोमांस …
मां मेरी भी कोई लाइफ है या नहीं …पापा के अचानक चले जाने के बाद आपके और रिश्तेदारों के दबाव में मैंने मोहनजी से शादी तो कर ली मगर वो जिंदगी जो मुझे जीनी चाहिए थी वो सुख जो मुझे चाहिए था वो कभी नहीं मिला ….
कया मतलब…. क्या मोहन तुझे प्यार नहीं करता …तेरी इच्छाओं को पूरा नहीं करता ….बोल तो आखिर कया कमी है उसमें …
मां …वो सब नहीं ….वो एक बहुत अच्छे इंसान हैं ….मेरे बिना कहे मेरी हर ख्वाहिश पूरी कर देते है चाहे वो खाने-पीने या पहनने से जुडी कोई मंहगी से मंहगी वस्तुएं क्यों ना हो सब लाकर देते है
और जब से ये आराध्या हुई तबसे तो और ज्यादा केयरिंग हो गए हैं मगर ….आपको नहीं पता मेरी सभी सहेलियों के पति एकदम टिपटॉप रहते है जींस टीशर्ट पहनकर कभी यहां तो कभी वहां घूमने फिरने ….एकदम फिल्मी हीरो जैसी जिंदगी जीते हैं और ये वहीं कोट पेंट और घर आकर कुर्ता पजामा…..
कोई रोमांटिक नहीं बस ….जी कहिए ….जी अच्छा…..
मेरे भी कुछ अरमान है मे भी जब बाहर जाऊं तो लोग कहे वो देखो हीरो हीरोइन जा रहे है तारीफें हो मगर ये….आपको पता है मेरी सहेलियों के फेसबुक पर इतने कमेंट लाइक्स आते है लुकिंग गुड ये वो वगैरह वगैरह…
और मै क्या डालूं ….कुर्ते पजामे वालै ओल्ड फैशन वाले इंसान को ….अरे कुछ रोमांटिक वीडियो बनाओ …लोगों को जरा उनके स्टाइलिंग के साथ चलेंगे तभी तो हमारे बच्चे भी मार्डन बनेंगे ….
आपको पता है मेरा एक सोशल मीडिया पर फ्रेंड बना है बिल्कुल मेरे सपनों के राजकुमार जैसा …ऐसी-ऐसी रोमांटिक शायरियां करता है ऐसी ऐसी बातें करता है बस पूछो मत ….मां वो बहुत हेंडसम है ….बिल्कुल रणबीर कपूर जैसा …..मां वो ….क्या बताऊं…
चुप कर ….ये सोशल मीडिया पर प्यार का फितूर जो चढा है ना वो सब नौंटकी भर है यहां सच्चाई कम और झूठ ज्यादा चलता है …..
यहां लोग बस फायदा उठाने की फिराक में लगे रहते है ….असल जिंदगी ये है तेरी ….बेटा मोहन एक समझदार इंसान है जो दिखावटी पन मे नहीं ब्लकि सच्चाई भरे जीवन मे जीवन जीता है
सालों से देख रही हूं कभी किसी को गलत नजरों से नहीं देखा इसलिए तेरे लिए उसे चुना था तेरे पापा ने ….मगर बात शादी तक पहुंचे इससे पहले वो …..
देख अच्छा पति वो होता है जो मन से आपको चाहे आपकी जरुरतों का ख्याल रखें आपका सम्मान करें समाज मे और खासतौर पर घर परिवार में ….
मोहन ने कभी कुछ ऐसा किया जिससे तुम्हारे मान सम्मान में ठेस लगें बोलो….
नहीं मां ऐसे तो वह बहुत अच्छे हैं मगर…..
अचानक मोहन को दरवाजे पर देखकर दोनो मां बेटी चौक गए….
मोहन बेटा …..आप ….बेटा वो….
मम्मी….नमस्कार…. कहकर अपने कमरे में चला गया ….
सुधा की मां सुधा को तो कभी नन्ही सी गोद मे सो रही आराध्या को देख रही थी उन्हें दोनों का भविष्य अब अंधकार में जाता नजर आ रहा था ….
हे भगवान….. जिसका डर था ….सुधा बेटा जाकर मोहनबाबू को मनाओ ….और छोड दो ये जिद ये पागलपन ….
मां ….मे फैसला कर चुकी हूं ….
तभी मोहन बाहर आया …..मम्मी …..आज आप आराध्या को अपने साथ घर ले जाएगी ….मुझे सुधा से अकेले में….
बेटा ये नादानी मे…..
मम्मी ….ये हम दोनों पति पत्नी के बीच का मामला है आप बडी है कृपा आप अभी दखलंदाजी ना करें फैसला हमें ही करना होगा
तो आप …..
आप खाना खा लीजिए और फिर मे आपको घर तक छोड आऊंगा ….
पर बेटा मे यही रुक…..
नहीं ….मम्मी आज हम दोनो को अकेला वक्त चाहिए इन सब से निपटने के लिए तो आप ….दोनो हाथ जोडकर मोहन बोला …..
सुधा की मां भीगी हुई पलकों को पोछने लगी ….पति के जाने के बाद एक अकेली मां जवान बेटी को एक अच्छे इंसान से बांधकर जहां स्वयं को समझा रही थी…
वो सचमुच भाग्यशाली हैं वही आज बेटी की नादानी से घर को उजाडने पर एक परिवार को बरबाद होते हुए देखकर सिवाय रोने के कुछ नहीं कर पा रही थी…..
रास्ते भर गाडी मे वो मोहन को बोलती रही वो सुधा को समझाऐगी ….वो मान जाएगी बेटा ….
मगर मोहन ने कहा ….देखिए ….पति पत्नी का रिश्ता विश्वास की नाजुक डोर से बंधा होता है ….और जब विश्वास डगमगाने लगे तो …..खैर ….देखते हैं फिलहाल आप आराध्या सहित अपना ख्याल रखिएगा ….
कहकर मोहन लौट आया ….घर आते ही ……
आगे की कहानी …..थोडे समय बाद …..!!
क्या होगा मोहन और उसकी पत्नी के रिस्ते का उन दोनों का रिश्ता रहेगा या टूट जायेगा पढ़िये अगले भाग मे….!!