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नागा और अघोरी

Vipin Bihari | विपिन बिहारी |وپن اپادھیائے
@vipinUPPSS
नागा और अघोरी दोनों ही हिंदू धर्म के विशेष प्रकार के साधु होते हैं। प्रयागराज महाकुंभ में सबसे चर्चित साधु यही रहते हैं जिनकी तस्वीरें अक्सर वायरल दिखाई देती हैं। हम सभी में उत्सुकता रहती है इनके बारे में जानने की।आइए थोड़ा समझते हैं इनके बारे में।

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नागा साधु
नागा साधु हिंदू धर्म के एक विशेष प्रकार के साधु होते हैं जो अपने जीवन को भगवान शिव की पूजा और सेवा में समर्पित करते हैं। वे अपने शरीर पर भस्म (राख) लगाते हैं और अपने बालों को जटा में बाँधते हैं। नागा साधु अक्सर नग्न या कम कपड़ों में रहते हैं और अपने जीवन को साधारण और तपस्वी बनाते हैं।

नागा साधुओं का मुख्य उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और भगवान शिव के साथ एकता प्राप्त करना होता है। वे अक्सर हिमालय और अन्य पवित्र स्थलों पर रहते हैं और अपने जीवन को तपस्या और ध्यान में समर्पित करते हैं।

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अघोरी बाबा
अघोरी बाबा भी हिंदू धर्म के एक विशेष प्रकार के साधु होते हैं, लेकिन वे नागा साधुओं से कुछ अलग होते हैं। अघोरी बाबा भगवान शिव के एक विशेष रूप, अघोर की पूजा करते हैं, जो भगवान शिव का एक क्रूर और भयानक रूप होता है।

अघोरी बाबा अक्सर श्मशान घाटों और अन्य पवित्र स्थलों पर रहते हैं और अपने जीवन को भगवान अघोर की पूजा और सेवा में समर्पित करते हैं। वे अक्सर अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं और अपने बालों को जटा में बाँधते हैं।

अघोरी बाबाओं का मुख्य उद्देश्य भगवान अघोर के साथ एकता प्राप्त करना और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना होता है। वे अक्सर तपस्या और ध्यान में रहते हैं और अपने जीवन को भगवान अघोर की सेवा में समर्पित करते हैं।

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:अंतर:
नागा साधु और अघोरी बाबा दोनों ही हिंदू धर्म के विशेष प्रकार के साधु होते हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं:

1. पूजा का विषय: नागा साधु भगवान शिव की पूजा करते हैं, जबकि अघोरी बाबा भगवान शिव के एक विशेष रूप, अघोर की पूजा करते हैं।

2. जीवनशैली: नागा साधु अक्सर नग्न या कम कपड़ों में रहते हैं और अपने जीवन को साधारण और तपस्वी बनाते हैं, जबकि अघोरी बाबा अक्सर श्मशान घाटों और अन्य पवित्र स्थलों पर रहते हैं।

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3. उद्देश्य: नागा साधुओं का मुख्य उद्देश्य आत्म-साक्षात्कार और भगवान शिव के साथ एकता प्राप्त करना होता है, जबकि अघोरी बाबाओं का मुख्य उद्देश्य भगवान अघोर के साथ एकता प्राप्त करना और आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करना होता है।

4. तपस्या का तरीका: नागा साधु अपने जीवन को तपस्या और आत्म-साक्षात्कार के लिए समर्पित करते हैं, जबकि अघोरी बाबा अपने जीवन को मृत्यु और जीवन के बीच की सीमा को पार करने के लिए समर्पित करते हैं।

5. निवास स्थान: नागा साधु अक्सर हिमालय की गुफाओं में रहते हैं, जबकि अघोरी बाबा अक्सर श्मशान घाटों में रहते हैं।

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:समानता:

1. शैव सम्प्रदाय: दोनों नागा साधु और अघोरी बाबा हिंदू धर्म के शैव सम्प्रदाय से जुड़े हुए हैं, जो भगवान शिव की पूजा करते हैं।
2. तपस्या और आत्म-साक्षात्कार: दोनों नागा साधु और अघोरी बाबा अपने जीवन को तपस्या और आत्म-साक्षात्कार के लिए समर्पित करते हैं।
3. वैराग्य और संयम: दोनों नागा साधु और अघोरी बाबा वैराग्य और संयम का जीवन जीते हैं, जिसमें वे अपने जीवन को साधारण और तपस्यामय बनाते हैं।
4. आध्यात्मिक साधना: दोनों नागा साधु और अघोरी बाबा अपने जीवन को आध्यात्मिक साधना के लिए समर्पित करते हैं, जिसमें वे अपने आत्मा को शुद्ध करने और भगवान के साथ एकता प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
5. पारंपरिक जीवनशैली: दोनों नागा साधु और अघोरी बाबा पारंपरिक जीवनशैली का पालन करते हैं, जिसमें वे अपने जीवन को प्राकृतिक और साधारण बनाते हैं।

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– विपिन बिहारी

डिस्क्लेमर : लेख X से प्राप्त है, लेखक के निजी विचार हैं, तीसरी जंग का कोई सरोकार नहीं है