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नागरिकता संशोधन क़ानून को रद्द करने की मांग करते हुए ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने पूरे असम में भूख हड़ताल शुरू की : रिपोर्ट

नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) को रद्द करने की मांग करते हुए ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन ने रविवार को पूरे असम में भूख हड़ताल शुरू की है. सीएए के ख़िलाफ़ इस विरोध प्रदर्शन को 30 जनजातीय संगठन भी समर्थन दे रहे हैं.

कामरूप ज़िला इकाई छात्र संघ के कार्यकर्ता इस 12 घंटे की भूख हड़ताल पर सुबह 6 बजे से गुवाहाटी शहर के दिघलीपुखुरी के पास बैठे हुए हैं. गुवाहाटी के अलावा यह भूख हड़ताल और विरोध प्रदर्शन डिब्रूगढ़, गोलाघाट,चराइदेव, बिलासीपारा, नलबाड़ी तथा राज्य के कई ज़िलों में जारी है.

राज्य के इस प्रभावी छात्र संगठन का कहना है कि सीएए असम के सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय ताने-बाने के लिए ख़तरा है. लिहाजा दिसंबर 2019 में पास किए गए इस विवादास्पद क़ानून को लेकर सरकार को अपने रुख पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शुक्रवार को असम आने से पहले ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और अन्य क्षेत्रीय संगठनों ने राज्य भर में बाइक रैलियों के साथ सीएए के कार्यान्वयन के ख़िलाफ़ अपना विरोध कार्यक्रम शुरू किया था.

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष उत्पल सरमा ने कहा कि इस असम और असमिया विरोधी क़ानून को स्वीकार नहीं किया जाएगा. असम किसी भी परिस्थिति में विदेशियों का बोझ नहीं उठाएगा.

उन्होंने एक बयान में कहा, “असम समझौते के अनुसार हम पहले ही 1971 तक अतिरिक्त बांग्लादेशियों का बोझ उठा चुके हैं. लिहाजा असम जैसा छोटा राज्य फिर एक बार और विदेशी नागरिक का अतिरिक्त बोझ नहीं उठा सकता. फिर चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान.”

इससे पहले असम में विपक्षी दलों ने सीएए को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्य दौरे के दौरान उनसे मुलाक़ात करने का आग्रह किया था.

राज्य के 16 विपक्षी दलों के गठबंधन संयुक्त विपक्ष मंच ने असम के राज्यपाल के माध्यम से भारत के राष्ट्रपति को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को रद्द करने का आह्वान किया गया है.

ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष उत्पल सरमा (नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के समय मारे गए पांच युवकों की तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलित कर सीएए को लेकर आंदोलन लेने का संकल्प लेते हुएImage caption: ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष उत्पल सरमा (नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) के समय मारे गए पांच युवकों की तस्वीर के सामने दीप प्रज्वलित कर सीएए को लेकर आंदोलन लेने का संकल्प लेते हुए
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले महीने कहा था कि सीएए देश का क़ानून है और इसकी अधिसूचना लोकसभा चुनाव से पहले जारी की जाएगी.

उन्होंने कहा था कि सीएए को चुनाव से पहले लागू कर दिया जाएगा.

गृह मंत्री के इस बयान के बाद से असम में सीएए के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के लिए स्थानीय संगठन एकजुट होने लगे है.

दिलीप कुमार शर्मा

गुवाहाटी से, बीबीसी हिंदी के लिए