धर्म

नमाज़-ए-जनाज़ा की दुआ

Farooque Rasheed Farooquee
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. नमाज़-ए-जनाज़ा की दुआ
(बालिग़ मर्द और औरतों के लिए)
या अल्लाह! हमारे ज़िंदा लोगों और मुर्दों की, जो मौजूद हैं उनकी और जो मौजूद नहीं हैं उनकी, छोटों और बड़ों की, मर्दों और औरतों की मग़फ़िरत कर दे। या अल्लाह हम में से जिसको तू ज़िंदा रख उसे इस्लाम पर ज़िन्दा रख और जिसे मौत दे उसे ईमान पर मौत दे। या अल्लाह! हमें मरने वाले (पर सब्र) के सवाब से महरूम न कर और इसके बाद हमें गुमराह न कर।

नोट — पहली बार अल्लाहु अकबर कहकर नीयत बाॅंध कर सना (सुब्हानकल्लाहुम्मा वबिहम्दिका ——) पढ़ेंगे, दूसरी तकबीर के बाद दुरूद शरीफ़ पढ़ेंगे, तीसरी तकबीर के बाद यह दुआ (अरबी में) पढ़ेंगे और चौथी तकबीर के बाद कुछ पढ़े बग़ैर दोनों तरफ़ सलाम फेरेंगे। सिर्फ़ पहली तकबीर के बाद ही हाथ उठाकर नीयत बाॅंधेंगे और बाक़ी तकबीरों में हाथ बॅंधे रहेंगे। ऊपर लिखी हुई दुआ रोज़ दूसरी दुआओं के साथ पढ़ना चाहिए और इसे याद कर लेना चाहिए। हर मुसलमान मर्द को नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ाने का तरीक़ा मालूम होना चाहिए। अपने माॅं और बाप की नमाज़-ए-जनाज़ा बेटों को ही पढ़ाना चाहिए। मौत को हमेशा याद रखना चाहिए। क्या पता किस लम्हे मौत आ जाए। अल्लाह सब ईमान वालों की मग़फ़िरत फ़रमाए। आमीन!